डेस्क न्यूज़- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में बढ़ती कट्टरता पर तीखा हमला किया। मोदी ने कहा, "मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से जुड़ी हैं और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता कट्टरपंथ है।" अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है। एससीओ को इस मुद्दे पर पहल करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर हम इतिहास पर नजर डालें तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र उदारवादी और प्रगतिशील संस्कृति और मूल्यों का गढ़ रहा है। सूफीवाद जैसी परंपराएं यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और दुनिया में फैल गईं। हम अभी भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में उनकी छवि देख सकते हैं। मध्य एशिया की इस ऐतिहासिक विरासत के आधार पर एससीओ को कट्टरपंथ और चरमपंथ से लड़ने के लिए एक साझा खाका विकसित करना चाहिए।
मोदी ने यह भी कहा कि भारत में और एससीओ के लगभग सभी देशों में इस्लाम से संबंधित उदार, सहिष्णु और समावेशी संस्थान और परंपराएं हैं। एससीओ को उनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। मोदी ने एससीओ की बीसवीं वर्षगांठ का जिक्र करते हुए कहा कि यह खुशी की बात है कि हमारे साथ नए दोस्त जुड़ रहे हैं। मैं ईरान का स्वागत करता हूं। मैं तीन नए डायलॉग पार्टनर सऊदी अरब, मिस्र और कतर का भी स्वागत करता हूं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर एससीओ की बैठक में शामिल होने के लिए पहले ही दुशांबे पहुंच चुके थे। उन्होंने इस बैठक में शारीरिक रूप से भाग लिया। यह एससीओ के सदस्य देशों की 21वीं बैठक है, जिसकी अध्यक्षता ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान कर रहे हैं। शंघाई सहयोग संगठन भी अपनी स्थापना की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस संगठन की स्थापना 15 जून 2001 को हुई थी और 2017 में भारत इसका पूर्णकालिक सदस्य बना।
एससीओ बैठक से इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। इसके बाद उन्होने सोशल मीडिया के जरिए कहा कि बैठक में भारत-चीन सीमा पर डिसएंगेजमेंट पर चर्चा हुई और इस बात पर जोर दिया गया कि सीमा पर शांति के लिए डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना जरूरी है। इसके साथ ही वैश्विक विकास पर भी चर्चा हुई और चीन से कहा कि वह भारत के साथ अपने संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिए से न देखे।
वही दूसरी ओर चीन, ईरान, पाकिस्तान और रूस के विदेश मंत्रियों ने एससीओ में मोदी के संबोधन से पहले मुलाकात की। चीन, ईरान, पाकिस्तान और रूस के विदेश मंत्री मिल चुके हैं। इस मुलाकात के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लेवरोव के साथ बातचीत में व्यापार, निवेश, ऊर्जा और रक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई है।