26/11 मुंबई हमले के 13 सालः वो हमला जिसकी मीडिया कवरेज विश्वस्तर पर न होती तो बच जाती कई ज़िंदगियाँ

26 नवंबर की रात 9:43 बजे शुरू हुआ आतंक का तांडव 29 नवंबर की सुबह 7 बजे खत्म हुआ। मौत का यह तांडव पुरे 60 घंटे तक चला। इस हमले में 166 बेगुनाह लोग मारे गए थे। मुठभेड़ में 9 आतंकवादी भी मारे गए। जबकि इकलौता आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया, जिसे 21 नवंबर 2012 को फांसी दी गई थी।
Image Credit: Hindustan Times
Image Credit: Hindustan Times

26 नवंबर 2008 की शाम, ऐसी खौफनाक शाम जो भुलाए नहीं भुलाई जा सकती। एक ऐसी शाम जिसने सपनों की नगरी 'मुंबई' के भागते – दौड़ते पहियों को थाम दिया। मुंबई हमेशा की तरह शान से दौड़ रही थी। शहर के लोगों को अंदाज़ा भी नहीं था कि उनकी खुशहाल ज़िंदगी अब नरक की और जा रही थी। आज 26 नवंबर 2021 को मुंबई में एक सीरीज में हुए कई ब्लास्ट के 13 साल पूरे हो चुके हैं। 13 साल पहले आज ही के दिन आतंकियों ने अपने नापाक मंसूबों से सपनों की नगरी को दहला दिया था। उस वक्त पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने करीब 4 दिनों तक 12 हमलों को अंजाम दिया था। आइए जानते है कि, उस काली रात को क्या – क्या हुआ था ?

8 बजकर 20 मिनट और मुंबई की तबाही शुरू

26 नवंबर 2008 के दिन, जब सब लोग अपने अपने कामों में व्यस्त थे, कि अचानक हवा ने अपना रुख बदल लिया। 10 लोग हथियारों के साथ अरब सागर के रास्ते मुम्बईवासियों के लिए मौत का पैगाम लिए आगे बढ़ रहे थे। इन 10 आतंकियों के बैग में 10 एके-47, 10 पिस्टल, 80 ग्रेनेड, 2,000 गोलियां, 24 मैगजीन, 10 मोबाइल फोन, विस्फोटक और टाइमर रखे हुए थे। इतना उपकरण मुंबई में तबाही मचाने के लिए काफी था। उनके हैंडलर बार-बार उनसे कह रहे थे, 'तुम्हारे चेहरे पर चांद की तरह नूर दिखाई देगा। तुम्हारे शरीर से गुलाब की महक आएगी और तुम सीधे जन्नत जाओगे।'

अजमल कसाब और उसके नौ साथियों ने उस रात ठीक 8 बजकर 20 मिनट पर मुंबई की सरजमीं पर अपने कदम रखें। उनसे कहा गया था कि, 'तुम्हारा सबसे बड़ा हथियार है…उन्हें चकित करना।' उन्हें सिखाया गया था कि टैक्सियों में टाइम बम कैसे लगाया जाता है, ताकि वे पूरे शहर को एक बार में तहस – नहस कर सके।

Image Credit: News 18 Hindi
Image Credit: News 18 Hindi

हमले के लिए बनाया था मास्टरप्लान

मुंबई में उतरने के बाद आतंकी दो – दो के गुटों में बंट गए और अलग-अलग रास्तों पर चल पड़े। पहला हमला लियोपोल्ड कैफे के बाहर रात 9:43 मिनट पर किया गया। जिस टैक्सी से आतंकी आए थे, उसमें भी उन्होंने टाइम बम रखा था। कैब रुकी ही थी कि बम फट गया। चालक और टैक्सी में बैठी दो महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई। लोग वहां से भागे तो दो आतंकियों ने सड़क पर ही एके-47 से फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में 9 लोगों की मौत हो गई थी। ड्राइवर और टैक्सी में बैठी दो महिलाओं की तुरंत मौत हो गई। जब लोग वहां से भागे, तो दो आतंकियों ने सड़क पर ही एके-47 से फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में 9 लोग मारे गए।

CST पर सबसे ज्यादा मौतें

मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) पर पहले हमले के ठीक 2 मिनट बाद यानि 9:45 बजे हमला किया गया। इसे दो आतंकियों अजमल कसाब और इस्माइल खान ने अंजाम दिया था। कसाब लोगों पर फायरिंग कर रहा था, जबकि इस्माइल का काम भाग रहे लोगों पर हथगोले फेंकना था। इस हमले में सबसे ज्यादा 58 लोग मारे गए थे। किसी के लिए न रुकने वाली मुंबई उस रात दहल गई थी, थम सी गई थी। सीएसटी पर हमले के बाद कसाब और इस्माइल वहां से कामा अस्पताल पहुंचे। यह एक धर्मार्थ अस्पताल है, जिसे 1880 में एक अमीर व्यापारी ने बनवाया था। उसमे प्रवेश करते ही आतंकवादियों ने सबसे पहले चौकीदार को मार डाला। अस्पताल के बाहर आतंकियों से मुठभेड़ हुई, जिसमें मुंबई पुलिस के तत्कालीन एटीएस चीफ हेमंत करकरे, अशोक कामटे और विजय सालस्कर मारे गए।

मुंबई ने दो आतंकियों को उतारा मौत के घाट

कसाब और इस्माइल के पीछे पुलिस पड़ चुकी थी। अब इसे चमत्कार कहे या किस्मत, उसी समय आतंकियों की कार भी पंचर हो गई। इसके बाद आतंकियों ने एक स्कोडा कार छीन ली। पुलिस ने आगे बैरिकेडिंग कर रखी थी। बैरिकेडिंग करने से पहले कार भी रुक गई। तभी इस्माइल ने पुलिसकर्मियों को अपनी ओर आते देख फायरिंग शुरू कर दी। लेकिन पुलिस ने भी हार नहीं मानी और उन्हें गोलियों से भून डाला। अंततः पुलिस ने इस्माइल को मार गिराया और कसाब को जिंदा पकड़ा गया। हालांकि इस मुठभेड़ में पुलिस इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबले शहीद हो गए। उसी रात दो आतंकियों ने नरीमन हाउस को भी निशाना बनाया। यहूदी पर्यटक अक्सर यहाँ रुकते थे। बाद में दोनों आतंकी भी मारे गए, लेकिन मरने से पहले उन्होंने 7 लोगों को भी मार गिराया था।

Image Credit: Moneycontrol
Image Credit: Moneycontrol

मुंबई के दो फाइव स्टार होटलों पर हमला

आतंकियों को तांडव यही नहीं रुका। उसी रात दो आतंकी ओबेरॉय होटल में घुसे और 4 आतंकी ताज पैलेस होटल में घुसे। ताज में घुसते ही आतंकियों ने बैग जमीन पर रख दिए और उनसे एके-47 निकाल ली और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। ताज होटल पर हुए हमले के बाद ही मुंबई और दुनिया को पता चला था कि कितना बड़ा आतंकी हमला हुआ है। दोनों आतंकवादी मारे गए, लेकिन तब तक वे 31 लोगों की जान भी ले चुके थे। ओबेरॉय होटल में दो आतंकी भी भारी मात्रा में गोला-बारूद के साथ घुसे। बताया जाता है कि हमले के वक्त होटल में 350 लोग मौजूद थे। दोनों आतंकियों को एनएसजी कमांड ने मार गिराया। लेकिन तब तक 32 लोगों की जान जा चुकी थी।

26 नवंबर की रात से शुरू हुआ तांडव 29 नवंबर की सुबह हुआ खत्म

26 नवंबर की रात 9:43 बजे शुरू हुआ आतंक का तांडव 29 नवंबर की सुबह 7 बजे खत्म हुआ। मौत का यह तांडव पुरे 60 घंटे तक चला। इस हमले में 166 बेगुनाह लोग मारे गए थे। मुठभेड़ में 9 आतंकवादी भी मारे गए। जबकि इकलौता आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया।

कसाब ने किए थे अहम खुलासे

इन धमाकों के बाद जिंदा पकड़े गए एकमात्र आतंकी कसाब ने इस मामले में अहम खुलासे किए। कसाब ने कहा कि हमले की योजना, समन्वय और संचालन लश्कर और पाकिस्तान में मौजूद अन्य मॉड्यूल द्वारा किया गया था। देश में खुफिया एजेंसियों को दी गई गवाही में कसाब ने कहा था कि सभी हमलावर पाकिस्तान से आए थे और उन्हें नियंत्रित करने वाले भी सीमा पार से काम कर रहे थे। बता दें की कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई।

Image Credit: LatestLY
Image Credit: LatestLY

मीडिया कवरेज ने मिली थी आतंकियों को मदद

हमले की अगली सुबह यानी 27 नवंबर को खबर आई थी कि ताज होटल के सभी बंधकों को मुक्त करा लिया गया है, लेकिन बाद में खबर आई कि कुछ लोग अभी भी आतंकवादियों के कब्जे में हैं, जिनमें कई विदेशी भी शामिल हैं। हमलों के दौरान, दोनों होटल रैपिड एक्शन फोर्ड (आरपीएफ), मरीन कमांडो और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) कमांडो से घिरे हुए थे। मीडिया की लाइव कवरेज से आतंकियों को काफी मदद मिली, क्योंकि उन्हें टीवी पर सुरक्षा बलों की हर हरकत के बारे में पता चल रहा था।

बता दें की 29 नवंबर की सुबह तक नौ हमलावर आतंकवादियों का सफाया हो चुका था और अजमल कसाब के रूप में एक हमलावर पुलिस की हिरासत में था। स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में थी लेकिन 160 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।

Related Stories

No stories found.
logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com