Artificial Intelligence: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से सीमाएं होंगी महफूज, दुश्‍मन की हर गतिविध‍ि पर रहेगी पैनी नजर

देश की उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर सुरक्षा चाकचौबंद की जा रही है। रक्षा सूत्रों के अनुसार इन सीमाओं पर एआई आधारित निगरानी प्रणालियों को तैनात किया जा रहा है। साथ ही सेना अपनी क्षमताओं में इजाफा करने जा रही है।
Artificial Intelligence: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से सीमाएं होंगी महफूज, दुश्‍मन की हर गतिविध‍ि पर रहेगी पैनी नजर

भारतीय सेना उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर अपनी क्षमताओं को मजबूत करने और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence, AI) आधारित निगरानी प्रणाली तैनात कर रही है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि सीमाओं पर एआई आधारित निगरानी प्रणालियों (AI-based surveillance systems) को तैनात करने के अलावा इसका इस्‍तेमाल रीयल टाइम की सोशल मीडिया निगरानी के लिए भी किया जाएगा। रक्षा सूत्रों ने बताया कि आतंकवाद रोधी अभियानों में खुफिया जानकारी के लिए एआई-आधारित रीयल टाइम मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर तैनात किया गया है। एआई आधारित संदिग्ध वाहन पहचान प्रणाली को उत्तरी और दक्षिणी थिएटर में आठ स्थानों पर तैनात किया गया है। सेना अधिकारियों की मानें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सैन्य अभियानों के दौरान काफी मददगार है।

इनके लिए किया जाएगा एआई का इस्‍तेमाल

माना जा रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्‍तेमाल से युद्ध के प्रतिमानों में बदलाव आएगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्‍तेमाल निगरानी और पता लगाने, रियल टाइम सोशल मीडिया निगरानी, पैटर्न की आदि के लिए किया जा सकता है। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक एआई आधारित खास परियोजनाओं को अमली-जामा पहनाने के लिए भारतीय सेना डीआरडीओ के साथ सहयोग कर रही है।

एआई लैब स्थापित की

इसके लिए मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में एआई लैब की स्थापना की गई है। तैनाती से पहले इन उपकरणों की इन-हाउस टेस्टिंग की गई है। भारतीय सेना अब एआई प्रोजेक्ट्स को प्रोडक्शन एजेंसी को सौंपने जा रही है। भारतीय सेना ने उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर एआई पावर्ड स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम की कई इकाइयां तैनात की हैं। ये इकाइयां पीटीजेड कैमरों और हैंडहेल्ड थर्मल इमेजर्स जैसे उपकरणों के जरिए तगड़े इनपुट उपलब्‍ध कराने में सक्षम हैं। सीमा पर एआई आधारित पहचान प्रणाली ने मैन्युअल निगरानी की जरूरतों को काफी हद तक कम कर दिया है। यही नहीं सेना भविष्‍य की स्‍पेस वॉर जैसी चुनौतियों को लेकर भी अपनी तैयारियों को धार दे रही है। सेना ने जुलाई के अंतिम हफ्ते में अपने सभी सेटेलाइट आधारित सैन्य संसाधनों की संचालन तैयारियों का अभ्यास किया।

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