Bageshwar Dham: बागेश्वर धाम सरकार के महंत आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के पक्ष में अब तक अनेक संत, महंत समेत कई राजनेताओं के बयान आ चुके है। बाबा रामदेव भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे चुके। इसी बीच अब राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय का भी बयान आया है। चंपत राय ने इसे ईश्वरीय शक्ति बताया। उन्होंने मजारों का भी जिक्र किया और कहा कि आलोचना कोई भी कर सकता है, पर चमत्कारों के प्रति आस्था अपनी जगह है।
कानपुर में विश्व हिंदू परिषद की बैठक में शामिल होने पहुंचे चंपत राय से बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के कथित चमत्कारों लेकर उठ रहे विवाद पर पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैं आमतौर पर इन बातों में नहीं पड़ता। ईश्वरीय शक्तियां जन्म से आती हैं। आप जितनी ऊंचाई पर खड़े होते हैं, उतनी ही दूर तक आप देख सकते हैं। यह ऐसा ही है।'
उन्होंने आगे कहा, "यदि ईश्वर ने किसी को जन्म से उस तरह की शक्ति दी है कि उसकी आंतरिक क्षमता इतनी ऊंचाई पर पहुंच जाती है कि वह दूसरे लोगों के मन की बात समझ सकता है।" मजारों का जिक्र करते हुई उन्होंने कहा कि "कुछ हिंदू भी मजार जाते हैं। अगर वहां किसी को अपनी शांति मिलती है तो हम उसे रोकने वाले कौन होते हैं।"
उन्होंने राम मंदिर से जुड़े विवाद पर भी बात की। महासचिव ने कहा राम मंदिर पर सवाल खड़ा करने वालों के लिए कोर्ट, पुलिस और आयकर विभाग का दरवाजा खुला है।
मध्य प्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का दावा है कि वह बिना किसी से सवाल पूछे उसके मन को पढ़कर उसकी परेशानी बता देते हैं। इसी महीने जब वह नागपुर में 'श्रीराम चरित्र कथा' करने गए थे तो उन्हें अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव ने खुला चैलेंज दिया कि धीरेंद्र शास्त्री उनके सामने अपनी सिद्धियां दिखाएं। ऐसा करने पर उन्हें 30 लाख रुपये देने की बात भी कही गई।
लेकिन मामला तब दिलचस्प हो गया जब इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी कथा दो दिन पहले ही समाप्त कर दी और चले आए। इसे लेकर दावा किया गया कि धीरेद्र शास्त्री ने डरकर कथा जल्दी समाप्त कर दी। कहा गया कि समिति ने उनके ऊपर जादू-टोना और अंधविश्वास फैलाने को लेकर शिकायत दी थी, इसलिए धीरेंद्र शास्त्री डर गए। हालांकि धीरेंद्र शास्त्री की तरफ से बताया गया कि यह पहले से ही तय था।
यूपी के मैनपुरी (Mainpuri) में एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे ओपी राजभर ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर लग रहे आरोपों को लेकर कहा कि आरोप और प्रत्यारोप लगाना एक अलग विषय है, कोई भी संत या कोई कथावाचक आपस में बैर रखना नहीं सिखाता है। उन्होंने कहा, जो भी व्यासपीठ पर बैठता है वह ज्ञान और उपदेश ही देता है, अब उसे सुनने वालों के चश्मे की पावर अलग-अलग होती है कुछ लोग उसमें बुराई ढूंढते हैं तो कुछ लोग उससे सीख लेते हैं।