बप्पा की शान या अपमान! गणपति प्रतिमाओं को दिया बाहुबली, पुष्पा और कृष का रूप
देश में 31 अगस्त को बड़े धूमधाम से गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया गया। देश के कई हिस्सों में भगवान गणेश की मूर्तियां पंडाल और घरों में स्थापित की गईं। बॉलीवुड सितारे हों या फिर आम आदमी हर कोई बप्पा को अपने घर लेकर आया। इसी बीच भगवान गणेश की कई मूर्तियों पर फिल्मी टच देखने को मिला है। गणेश चतुर्थी के मौके पर देश भर में ऐसी कई मूर्तियां स्थापित की गईं हैं, जिनमें गणेश जी की मूर्ति को फ़िल्मी कैरेक्टर का रूप दिया गया है जैसे- बाहुबली, पुष्पा, RRR, कृष, बाजीराव इत्यादि।
देवताओ की मूर्तियों को दिया फ़िल्मी रोल का रूप
अक्सर ये होता है की कोई इंसान अच्छा काम करता है, धर्म की राह अपनाता है लोगो का भला करता है तो लोग उसे भगवान का दर्जा देते है उसे दैवीय मानते है लेकिन विड़ंबना देखिए इस घोर कलयुग में फ़िल्मी दुनिया ने लोगों को इस तरह रोमांचित कर दिया की लोगों ने भगवान को ही फ़िल्मी कैरेक्टर का रूप दे दिया।
धर्म-ग्रंथों में देवी-देवताओं के रूप- आचरण, कर्म क्रिया और उनके विचारों को देखकर फिल्म में कैरेक्टर का निर्माण किया जाता है लेकिन लोगों ने तो इसका उल्टा कर दिया, देवताओं की मूर्तियों को ही फ़िल्मी रोल का रूप दे दिया। चूँकि भगवान सर्वशक्तिमान है और उन्हें किसी भी पात्र या किरदार में दिखाना उनकी शक्ति की तुलना करने जैसा ही है, भगवान गणेश को फ़िल्मी कैरेक्टर के रूप में दिखाना किसी अपमान से कम नहीं है।
मूर्तियों को मनचाहा रूप देने की आजादी पड़ेगी महंगी
जहां एक तरफ लोग बॉलीवुड फिल्मों का बॉयकॉट कर रहे क्यूंकि इन फिल्मों में हमारी धार्मिक मर्यादाओं की धज्जियां उड़ाई जाती है एंटरटेनमेंट के नाम पर हमारे देवी देवताओं का मजाक उड़ाया जाता है वहीं अब लोग अगर भगवान की मूर्तियों को फ़िल्मी रूप देने लगेंगे तो इसका बहुत नकारात्मक परिणाम हो सकता है।
आज लोगों को कृष और बाहुबली का कैरेक्टर पसंद है तो वह उनका रूप देकर भगवान की मूर्ति बना रहा वहीं अगर आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोग इस आजादी का दुरूपयोग कर मूर्ति को नेगेटिव रोल का रूप देने लगे तो क्या होगा इसलिए अभी से मूर्तियों को मनचाहा रूप देने की आजादी पर लगाम लगाना बेहद जरूरी है।