करौली दंगे पर BBC के झूठ की पड़ताल; दंगों के जन्मदाताओं को बताया पाक-साफ तो हमला सहने वालों को अपराधी

पिछले साल नव संवत्सर पर रैली के दौरान हुए दंगों पर बीबीसी की ओर से लेख जारी किया गया है। जिसकी हमारी टीम ने पड़ताल की है। इस रिपोर्ट को पढ़कर आप चौंक जायेंगे कि कैसे सच को झूठ बनाकर हमारे समाज में परोसा जा रहा है...
करौली दंगे पर BBC के झूठ की पड़ताल; दंगों के जन्मदाताओं को बताया पाक-साफ तो हमला सहने वालों को अपराधी
Pic Credit- Since Independence/Abhinav Singh

2 अप्रैल, 2022 को करौली में मजहबी भीड़ की ओर से की गई हिंसा पर विदेशी मीडिया (BBC) ने ग्राउंड रिपोर्ट के नाम पर एक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें वह सीधे तौर पर उस मजहबी भीड़ को पाक-साफ दिखा रहा है जो करौली दंगों का जन्मदाता है जबकि रैली में हमला सहने वाले हिंदुओं को अपराधी दिखाने का काम करता नजर आ रहा है।

बीबीसी की इस ग्राउंड रिपोर्ट पर तस्वीरें के साथ पढ़े , हमारी Since Independence की पड़ताल...

करौली दंगे पर BBC के झूठ की पड़ताल; दंगों के जन्मदाताओं को बताया पाक-साफ तो हमला सहने वालों को अपराधी
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बीबीसी जिस पर एक तबका भरोसा करता है वह शुरूआत में ही बहुसंख्यकों को दंगाई की नजर से दिखाते हुए लिखता है कि “कल डर की वजह से लोगों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं. तीन दिन पहले ही सुरक्षा की वजह से इधर-उधर चले गए. कम से कम 40 प्रतिशत मुसलमान चले गए."

जबकि हमारी पड़ताल में पता चला कि रामनवमी से पहले करौली हिंसा में पीड़ित नाबालिगों को गहलोत सरकार की पुलिस व प्रशासन की ओर से पाबंदी नोटिस घर भेजा गया। सूत्रों के मुताबिक, 517 हिंदुओं लोगों को नोटिस दिया गया लेकिन ये आपकों समझना होगा कि क्यूं बीबीसी की कलम ये बात लिखने से घबराती है?

Karauli Violence, BBC Hindi- Since Independence

नव संवत्सर पर पिछले साल हुए दंगों की जगह बीबीसी की ओर से फूटाकोट, करौली बताई जाती है जबकि रैली पर पत्थर और शिलाएं हटवाड़ा बाजार में स्थित मजहबियों की छत से बरसाये गये थे। यहीं से इस सांमप्रदायिक दंगों की शुरूआत हुई थी।

Karauli Violence, BBC Hindi- Since Independence

जिन्हें विदेशी मीडिया (BBC) ड़रा हुआ, पीड़ित, परेशान, बता रहा है। उन्हीं मजहबियों को सरकार की ओर से संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। वह व्यक्ति जो शोभायात्रा से पूर्व भगवा झंडे व पोस्टरों का इंतजाम करता है उसी साहब सिंह गुर्जर पर दंगे के मास्टरमाइंड जैसी धाराओं में केस बनाया जाता है। पूर्व सभापति राजाराम गुर्जर पर शोभायात्रा के दौरान प्रशासन से अनुमति लेने के कारण समान धाराओं में केस दायर किया जाता है। यहां तक की नाबालिगों, हिंदू युवाओं पर केस लगा दिया जाता है।

आपकों यह जानकर चौंक जायेंगे कि दंगे में घायल हुए अमित गुर्जर जिसने जन्म और मृत्यु की जंग लड़ी, उस पर प्रशासन की ओर से मुकदमा दर्ज किया गया।

इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि ड़रा हुआ और पीड़ित आखिर कौन है?

बीबीसी की इस रिपोर्ट में साबू खान नाम के व्यक्ति ने कहा कि "डर के कारण चले गए. डर था कि लाखों आदमी आ रहे हैं यह करेंगे वो करेंगे."

क्या पिछले साल हुई हिंसा में इन लाखों लोगों ने ही सुनियोजित रूप से पत्थर और बड़ी-बड़ी शिलाएं अपने छत पर इकट्ठा की और रैली के दौरान बरसाने का कार्य किया?

Karauli Violence, BBC Hindi- Since Independence

करौली पुलिस अधीक्षक नारायण सिंह टोगस बीबीसी इस रिपोर्ट में कहते है कि “त्योहारों पर हमने सस्पेक्ट लोगों पर नज़र रखी और उनको पाबंद किया. उनकी गतिविधियों पर नज़र रखी."

पुलिस अधीक्षक साहब, इन लोगों को तो आप सस्पेक्ट के तौर पर पाबंद कर रहे है लेकिन क्या आपने उन लोगों को सलाखों के पीछे डालने की कोशिश की, जो इन दंगों के मुख्य आरोपी है?  

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