
Bhagat Singh Best Dialogues In Hindi: 28 सितंबर यानि कि आज का दिन पूरे देश के लिए बेहद गर्व का दिन है क्योंकि आज ही के दिन भारत माता ने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर देने वाले और युवाओं के अंदर स्वाधीनता की आग भरने वाले एक क्रांतिकारी को जन्म दिया था। हम बात कर रहे हैं शहीद भगत सिंह की ।
28 सितंबर 1907 को भगत सिंह का जन्म हुआ था। मात्र 23 साल की उम्र में फांसी के फंदे को चूम लेने वाले इस क्रांतिकारी ने लाखों युवाओं को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया था और कई युवा उन्हें देखकर स्वाधीनता संग्राम में कूदे थे।
उनके विचार आज भी लोगों में आग भर देते हैं। भगत सिंह ने अपने छोटे से लेकिन प्रभावपूर्ण जीवन में कई किताबें लिखी थी जिनमें से भगत सिंह जेल डायरी, भगत सिंह और उनके साथियों के दस्तावेज़, भगत सिंह की फांसी का सच, मैं नास्तिक क्यों हूँ ? इन किताबों से आज भी लाखों लोग प्रेरित होते हैं।
आज आपको बताएंगे शहीद भगत सिंह के कुछ सुने और कुछ अनसुने डायलॉग जिनसे आज आप भी अपनी जिंदगी में क्रांति की आग भर सकते हैं ।
जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है।
दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।।
इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से।
अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूँ तो इंक़लाब लिख जाता है।।
दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उलफत।
मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए वतन आएगी ।।
लिख रह हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।।
पिस्तौल और बम इंकलाब नहीं लाते, बल्कि इंकलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है और यही चीज थी, जिसे हम प्रकट करना चाहते थे।
किसी भी इंसान को मारना आसान है, परन्तु उसके विचारों को नहीं। महान साम्राज्य टूट जाते हैं, तबाह हो जाते हैं, जबकि उनके विचार बच जाते हैं।
क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है। श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है।
सिने पर जो ज़ख्म है, सब फूलों के गुच्छे हैं,हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।।
कोई भी व्यक्ति, जो जीवन में आगे बढ़ने के लिए तैयार खड़ा हो। उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा और चुनौती भी देना होगा।
मैं खुशी से फांसी पर चढ़ूंगा और दुनिया को दिखाऊंगा कि कैसे क्रांतिकारी देशभक्ति के लिए खुद को बलिदान दे सकते हैं।
वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, मेरी आत्मा को नहीं।
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है।
“व्यक्ति की हत्या करना सरल है परन्तु विचारों की हत्या आप नहीं कर सकते”