राजस्थान के सियासी घमासान और सीएम अशोक गहलोत की फिरकी में प्रदेश प्रभारी अजय माकन बुरी तरह फंस गए हैं। नौबत यहां तक आ गई है कि कभी भी उनसे इस्तीफा लिया जा सकता है। उनका प्रभारी पद से हटना तय माना जा चुका है। इससे पहले सचिन पायलट की बगावत के बाद राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे को भी पद से हटा दिया गया था। इस बार अजय माकन के साथ ऐसा हो सकता है। कुछ वहज हैं जो अजय माकन का पद छीनने का इशारा करती हैं। सियासी गलियारों में इसे लेकर चर्चाओं का दौर चल रहा है।
शुक्रवार को अजय माकन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसमें वह अशोक गहलोत की ओवर स्मार्टनेस पर ठहाके लगाते दिख रहे हैं। यह वीडियो माकन के कार्यालय का बताया गया। वीडियो में सचिन पायलट गुट के विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा भी माकन के कार्यालय से बाहर निकलते दिखाई दे रहे हैं। साथ ही कुछ लोग वीडियो में बात करते हुए भी दिख रहे हैं।
वीडियो में माकन ठहाके लगा कर कह रहे हैं कि 'अभी संख्या और बढ़ती दिखाई देगी।' इसके बाद माकन के सामने बैठा एक व्यक्ति कहता है कि गहलोत की ओवर स्मार्टनेस ने भारत जोड़ो यात्रा...इतना कह वह हाथों से खत्म होने का इशारा कर रहा है। वीडियो सामने आने के बाद गहलोत समर्थकों ने माकन को जमकर आड़े हाथों लिखा। साथ ही कांग्रेस आलाकमान से कार्रवाई भी मांग की।
अजय माकन राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी हैं। ऐसे में उनकी जिम्मेदारी है कि वह पार्टी के नेताओं को एकजुट रखें, लेकिन माकन ऐसा नहीं कर पाए। सचिन पायलट गुट की बगावत के बाद 2020 में माकन को प्रभारी बनाया गया था। सचिन पायलट गुट के विधायकों की वापसी के बाद उन पर जिम्मेदारी थी कि वह गहलोत और पायलट गुट में समन्वय बनाएं, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए। समय-समय पर दोनों गुट एक दूसरे का विरोध करते रहे। कई बार तो यह विरोध खुलकर सामने भी आया, लेकिन उन्होंने इसे सुलझाने की कोशिश नहीं की।
प्रदेश प्रभारी होने के नाते कांग्रेस आलाकमान ने अजय माकन और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को सीएम उम्मीदवार के चयन के लिए राजस्थान भेजा था। दोनों नेताओं के जयपुर आने के बाद गहलोत गुट के विधायकों ने विरोध कर दिया। अजय माकन को इसकी भनक तक नहीं थी कि ऐसा हो सकता है। वह प्रदेश कांग्रेस के सियासी हालात पर नियंत्रण रखमें पूरी तरह से असफल हो गए। कहा गया कि विधायकों की नब्ज टटोलने के बजाय माकन ने आदेशात्मक रवैया अपनाया जिससे बात बिगड़ गई। बात में विधायक दल की बैठक ही निरस्त कर दी गई।
अशोक गहलोत गुट के विधायकों ने अजय माकन पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। मंत्री शांति धारीवाल ने साफ तौर पर कहा कि राजस्थान में जो भी कुछ हुआ उसमें अजय माकन कीब बड़ी भूमिका है। माकन सरकार के खिलाफ बगावत कर चुके नेता को सत्ता देने के लिए पक्षपात कर रहे हैं। मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा था कि माकन हमारे परिवार के मुखिया हैं। हमारी आवाज को सुनना, समझना और उसे आलाकमान तक पहुंचाना उनकी जिम्मेदारी है। इस तरह के और गंभीर हैं, पार्टी आलाकमान इस एक्शन ले सकता है।
विधायकों के विरोध के बाद अगले दिन सीएम अशोक गहलोत माकन और खड़गे से मिलने के लिए पहुंचे, लेकिन माकन से गहलोत से मुलाकात नहीं की। इस दौरान गहलोत सिर्फ खड़गे से मुलाकात की। कहा जाता है कि माकन से कार्यकताओं और नेता का मिलना मुश्किल से होता है। राजस्थान आने पर वह होटल से बाहर ही नहीं निकलते हैं। कार्यकर्ता और नेताओं की ओर से लिखे गए पत्र का जवाब भी नहीं मिलता है।
साल 2020 में पायलट गुट की बगावत के बाद तत्कालीन प्रभारी अविनाश पांडे पर पक्षपात के आरोप लगाए गए थे। जिसके बाद पार्टी ने उन्हें प्रभारी पद से हटाया दिया था। दो साल बाद गहलोत गुट की ओर से अजय माकन पर भी वैसे ही आरोप लगे हैं। इससे साफ है कि पार्टी उन पर एक्शन ले सकती है, अर्थात उनको प्रदेश प्रभारी के पद से हटाया जा सकता है।