उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित देवबंद में आज यानी 28 मई से जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दो दिन का जलसा (Saharanpur Deoband Jamiat Ulama e Hind Muslims Conference) आयोजित किया जा रहा है। इसमें जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय सचिव मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि आज हमारा देश धार्मिक भेदभाव और नफरत से सुलग रहा है। युवकों को इस ओर बढ़ाया जा रहा है। देश के मुस्लिम नागरिकों, पुराने जमाने के मुस्लिम शासकों और इस्लामी सिविलाइजेशन और कल्चर के विरुद्ध और निराधार आरोपों को जोरों से फैलाया जा रहा है। सत्ता में बैठे लोग उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के बजाय उन्हें आजाद छोड़ कर हौसला बढ़ा रहे हैं। इस जलसे के पहले दिन ये इस्लामोफोबिया के खिलाफ लामबंद होने पर सहमति बनी तो साथ ही मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सरकार को भी घेरा।
देश के विरोधी तत्वों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का मौका मिल रहा : नियाज
मौलाना नियाज अहमद ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद इस बात पर चिंतित है कि भरी सभाओं में मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ शत्रुता के प्रचार से दुनिया में हमारे देश की बदनामी हो रही है। इससे हमारे देश के विरोधी तत्वों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का मौका मिल रहा है। ऐसी परिस्थिति में जमीयत उलमा-ए-हिंद देश की एकता, अखंडता और प्रगति के बारे में चिंतित हैं। भारत सरकार से आग्रह करती है कि ऐसी गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाई जाए जो लोकतंत्र, न्यायप्रियता और नागरिकों के बीच समानता के सिद्धांतों के खिलाफ और इस्लाम पर आधारित हैं।
मौलाना नियाज अहमद फारूकी के अन्य बयान
राजनीतिक वर्चस्व के लिए बहुसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं को अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्तेजित करना, देश के साथ दुश्मनी है। मुस्लिमों से अपील है कि प्रतिक्रियावादी रवैया अपनाने के बजाए एकजुट होकर राजनीतिक स्तर पर चरमपंथी फांसीवादी ताकतों का मुकाबला करें। फांसीवादी संगठन अगर यह समझते हैं कि देश के मुसलमान जुल्म की जंजीरों में जकड़ लिए जाएंगे, तो यह उनकी भूल है। मुस्लिम नौजवानों और छात्र संगठनों को सचेत करता हूं कि वे देश के दुश्मन अंदरूनी व बाहरी तत्वों के सीधे निशाने पर हैं। भारत में इस्लामोफोबिया और मुस्लिम विरोधी उकसावे की घटनाएं बढ़ रही हैं। देश की सत्ता ऐसे लोगों के हाथों में है, जो सदियों पुरानी भाईचारे की पहचान को बदल देना चाहते हैं। उनको बस सत्ता प्यारी हैं।
देशभर से जुटे कम्यूनिटी के लोग
सम्मेलन में मुख्य तौर पर महाराष्ट्र से आए मौलाना नदीम सिद्दीकी, UP से मौलाना मोहम्मद मदनी, तेलंगाना से हाजी हसन, मणिपुर से मौलाना मोहमद सईद, केरल से जकरिया, तमिलनाडु से मौलाना मसूद, बिहार से मुफ्ती जावेद, गुजरात से निसार अहमद, राजस्थान से मौलाना अब्दुल वाहिद खत्री, असम से हाजी बसीर, त्रिपुरा से अब्दुल मोमिन पहुंचे हैं। सांसद मौलाना बदरूद्दीन अजमल, पश्चिम बंगाल में ममता सरकार में मंत्री मौलाना सिद्दीकी उल्लाह चौधरी और शूरा सदस्य मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी सहित कई बड़ी हस्तियां भी देवबंद पहुंच चुकी हैं। इसके अलावा झारखंड, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल से भी मुस्लिम संगठन के लोग आए हैं। जमीयत उलमा-ए-हिंद सम्मेलन में 25 राज्यों से लोग शामिल हुए हैं।
सम्मेलन में पुलिस और प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद
सम्मेलन को लेकर पुलिस-प्रशासन ने भी पूरी तैयारी कर रखी है। देशभर से आने वाले डेलिगेशन और उलमाओं की सुरक्षा को लेकर खास इंतजाम हैं। अन्य जिलों से एक्सट्रा फोर्स मंगवाई गई है। पंडाल और आसपास LIU भी सचेत है। SSP आकाश तोमर ने कहा कि सम्मेलन के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। सम्मेलन स्थल पर एक कंपनी PAC, तीन पुलिस निरीक्षक, दस उपनिरीक्षक, छह महिला कांस्टेबल और 40 सिपाहियों की तैनाती की गई है।
ज्ञानवापाी, मथुरा और कुतुबमीनार जैसे मामलों पर बताई जा रही बैठक
जमीयत ने यह साफ किया है कि इस आयोजन का ऐलान अचानक तो नहीं हुआ। 15 मार्च को दिल्ली में हुई बैठक में ही देवबंद के इस कार्यक्रम को तय कर दिया गया था। उस वक्त ज्ञानवापी और मथुरा जैसे मुद्दे शुरू भी नहीं हुए थे। लेकिन दूसरी ओर बताया जा रहा है कि ज्ञानवापी, मथुरा और कुतुबमीनार मसले पर चर्चा करने के लिए यह बैठक बुलाई गई है। हालांकि, जमीयत से जुड़े लोग कह रहे हैं कि देश के मौजूदा हालातों पर इन तीनों सत्रों में चर्चा होगी। इसमें चर्चा का बिंदु कुछ भी हो सकता है।