टीम इंडिया की सेमीफाइनल में हार के बाद पत्रकार-लेखक-बुद्धिजीवी दिलीप मंडल के द्वारा लगातार ट्वीटर पर खिलाड़ियों को लेकर जातिवाद ट्वीट किए जा रहे है। दिलीप ने लिखा- राहुल-रोहित को कोई धक्के मारकर बाहर क्यों नहीं निकालता? बड़ा सवाल खड़ा होता है कि देश के खिलाड़ियों के लिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना करना कहा तक ठिक है।
दिलीप मंडल लिखते है कि- "सिर्फ़ 7, जी हाँ सात मैच ख़राब खेलने पर विनोद कांबली ज़िंदगी भर के लिए टीम से निकाल दिए गए। जबकि उनकी परफ़ॉर्मेंस सचिन तेंदुलकर से बहुत आगे की थी। राहुल और रोहित को कोई धक्के मारकर बाहर क्यों नहीं निकालता? EWS कोटा से आए हैं, पर इतनी ख़राब परफ़ॉर्मेंस?"
लगभग ढाई दशक के अपने पेशेवर सफर में ‘जनसत्ता’, ‘अमर उजाला’, ‘इंडिया टुडे’, ‘आज तक’, ‘स्टार न्यूज’, ‘इकॉनोमिक टाइम्स’, ‘सीएनबीसी आवाज’ और ‘द प्रिंट’ समेत कई पत्र-पत्रिकाओं और न्यूज़ चैनलों से जुड़े रहे। ‘इंडिया टुडे’ के प्रबंध सम्पादक भी रहे। भारतीय जनसंचार संस्थान, दिल्ली और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल में अध्यापन का कार्य भी किया। माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में एडजंक्ट प्रोफेसर थे। ‘दिलीप मंडल की पाठशाला’ इनका चर्चित वीडियो कॉलम है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इंडिया कॉन्फ्रेंस, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उत्कृष्ट पत्रकारिता और मीडिया लेखन के लिए भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा प्रेस कौंसिल से सम्मानित किए जा चुके हैं।
साल 2021 में मंडल ने मां सरस्वती को लेकर ट्वीटर पर अश्लील टिप्पणी करते हुए लिखा था कि "सरस्वती को मैं शिक्षा की देवी नहीं मानता। उन्होंने न कोई स्कूल खोला, न कोई किताब लिखी। ये दोनों काम माता सावित्रीबाई फुले ने किए। फिर भी मैं सरस्वती के साथ हूँ। ब्रह्मा ने उनका जो यौन उत्पीड़न किया, वह जघन्य है। - संदर्भ Phule J."
बता दें कि देश में पत्रकारिता के विख्यात विश्वविद्यालय में शामिल माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार द्वारा तीन साल पहले जातिवादी टिप्पणी करने वाले एडजंक्ट फैकल्टी के रुप में सेवा दे रहे दिलीप मंडल को टाटा बाय-बाय बोल दिया था। मंडल को एमसीयू लेक्चर के लिए बुलाता था और हर लेक्चर के हिसाब से भुगतान करता था।