फिल्मी सांसद Real लोकसभा में खामोश, आखिर क्यों दिया गया 5 सालों तक वेतन भत्ता
फिल्मी सांसद Real लोकसभा में खामोश, आखिर क्यों दिया गया 5 सालों तक वेतन भत्ता

फिल्मी सांसद Real लोकसभा में खामोश, आखिर क्यों दिया गया 5 सालों तक वेतन भत्ता

एक दौर था जब फिल्मी पर्दे पर शत्रुघ्न सिन्हा रौबीले अंदाज में ‘खामोश’ बोलते थे तो सिनेमाघरों में तालियां गूंजती थीं। फिल्मों से राजनीति में आए शत्रुघ्न सिन्हा और सनी देओल 17वीं लोकसभा के कार्यकाल में हमेशा खामोश रहें।

एक दौर था जब फिल्मी पर्दे पर शत्रुघ्न सिन्हा रौबीले अंदाज में ‘खामोश’ बोलते थे तो सिनेमाघरों में तालियां गूंजती थीं।

फिल्मों से राजनीति में आए शत्रुघ्न सिन्हा और सनी देओल 17वीं लोकसभा के कार्यकाल में हमेशा खामोश रहें।

आखिर ऐसा क्या हो गया जो फिल्मों में अपनी दहाड़ के लिए जाने जाने वाले कलाकार रियल लाइफ के लोकसभा में शांत हो गए।

पांच सालों में एक बार भी नहीं उठाई आवाज

वहीं पांच साल में सांसदों ने अपने-अपने इलाके के लोगों के सरोकार से जुड़े मुद्दे के लिए लोकसभा में आवाज उठाने की कोशिश की, लेकिन 543 सांसदों में से कुछ ऐसे है।

जिन्होंने संसदीय गतिविधि में न के बराबर भाग लिया। इस लिस्ट में शत्रुघ्न सिन्हा सहित 9 सासंदों का नाम शामिल है।

जोकि संसदीय कार्यवाही के दौरान एक बार भी अपनी आवाद बुलंद नहीं किये। इन सब से अछूते सनी देओल भी नहीं है। उन्होंने भी एक बार आवाज उठाने की कोशिश नहीं की।

निर्वाचन क्षेत्र में भी नजर नहीं आएं सनी

आपको सनी देओल का ‘तारीख पे तारीख’ वाला डायलॉग तो याद होगा ही जो काफी फेमस भी हुआ था।

लेकिन राजनीतिक जीवन में पूरे पांच साल बाद गुजर जाने के बाद भी सांसद सनी देओल के लोकसभा में बोलने की तारीख नहीं आई।

न ही गुरदासपुर से भाजपा सांसद ने वहां के जनता के लिए कभी आवाज उठाने की कोशिश की। अगर बात की जाएं तो वो अपने निर्वाचन क्षेत्र में भी कम ही दिखाई देते है।

दूसरी तरफ चुप रहने वाले सांसदों में बीजापुर (कर्नाटक) से भाजपा के रमेश चंदप्पा जिगा जिनागी भी शामिल हैं।

वह खराब सेहत के कारण ज्यादातर समय सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले पाएं। वहीं घोसी (उत्तर प्रदेश) सीट से बहुजन समाज पार्टी के सांसद अतुल राय 17वीं लोकसभा से नदारद रहें।

वह एक मामले में चार साल तक जेल में रहें। मौजूदा लोकसभा के पूरे कार्यकाल में कुछ भी न बोलने वाले अन्य 5वें सांसदों में टीएमसी के दिब्येंदु अधिकारी (पश्चिम बंगाल), 6वें भाजपा के प्रधान बरुआ (असम),

7वें बी.एन. बाचे गौड़ा, 8वें अनंत कुमार हेगड़े और 9वें पर वी. श्रीनिवास प्रसाद (तीनों कर्नाटक) शामिल हैं।

ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब ये सांसद सदन की कार्यवाही से गायब रहें औऱ बोलने से कतराते रहें, तो इन्हें फिर सरकार के तरफ से वेतन क्यों दिया जा रहा है।

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