'लव जिहाद' पर सरकार का एक्शन, नाम बदलकर यौन संबंध बनाने पर 10 साल की सजा

पहचान छिपाकर शादी के मामले अकसर खबरों में आते रहते हैं, लेकिन अब ऐसा करना उन लोगों को महंगा पड़ सकता है। अगर कोई शख्स नाम छिपाकर या नाम बदलकर किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाता है, तो इसे अपराध माना जाएगा। ऐसे अपराध में सरकार ने 10 साल की सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान किया है।
'लव जिहाद' पर सरकार का एक्शन, नाम बदलकर यौन संबंध बनाने पर 10 साल की सजा
'लव जिहाद' पर सरकार का एक्शन, नाम बदलकर यौन संबंध बनाने पर 10 साल की सजा

2014 में हरिद्वार में रहने वाली सोनिया की मुलाकात राहुल नाम के शख्स से होती है। राहुल अक्सर गंगा आरती देखने गंगा घाट पर जाता था। दोनों ने पहले दोस्ती की फिर प्यार और उसके बाद शादी कर ली।

2023 में सोनिया को पता चला कि उसके पति का असली नाम राहुल नहीं, अजहर अहमद है। जिसके बाद सोनिया ने पुलिस थाने में अपने पति के खिलाफ केस दर्ज कराया।

पहचान छिपाकर शादी के मामले अकसर खबरों में आते रहते हैं, लेकिन अब ऐसा करना उन लोगों को महंगा पड़ सकता है। नए प्रस्तावित कानूनों में मोदी जी की सरकार ने नाम बदलकर यौन संबंध बनाने वालों पर 10 साल की सजा का प्रावधान किया है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को लोकसभा में बिल पेश करते हुए कहा, ' इस ​​नए कानून में महिलाओं के साथ अपराध और कई सामाजिक समस्याओं का समाधान जोड़ा गया है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि जब पहचान छिपाकर और झूठे वादे करके शारीरिक संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में लाया जा रहा है।’

जानें भारतीय न्याय संहिता की धारा 69

प्रस्तावित कानून भारतीय न्याय संहिता 2023 के 5वें हिस्से के सेक्शन 69 में इस अपराध का जिक्र किया गया है। अगर कोई शख्स नाम छिपाकर या नाम बदलकर किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाता है, तो इसे अपराध माना जाएगा। ऐसे अपराध में सरकार ने 10 साल की सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान किया है।

नए कानून के मुताबिक अगर पीड़िता या पीड़ित को संबंध बनाने वाले से जुड़े तथ्यों की गलत जानकारी है, तो यह नहीं कह सकते कि उसने यौन संबंध के लिए सहमति दी है या नहीं। अभी IPC की धारा 90 में ही इसका जिक्र है, लेकिन इस नए कानून में नाम बदलकर और नौकरी का झूठा प्रलोभन देकर संबंध बनाने की बात को अपराध बताया गया है।

जानें IPC में इस तरह के अपराध को लेकर क्या हैं कानून …

IPC में इस तरह के अपराध को रोकने के लिए कोई कानून नहीं है। केवल IPC की धारा 376 के तहत केस दर्ज होता है। अदालत मामले को सुनने के बाद अपने अनुसार फैसला और सजा सुनाती है।

जानें इस कानून को बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?

सुप्रीम कोर्ट के वकील के मुताबिक समय के साथ अपराधों का वर्गीकरण हो गया है। अपराध को अंजाम देने के लिये तरीके बदले जा चुके हैं, लेकिन अब तक कानूनी प्रावधान में बदलाव नहीं हुआ। ऐसे में पुराने कानूनों के हिसाब से ही केस दर्ज होने लगे, जिससे दिक्कतें होने लगीं। इसलिए आतंकवाद, स्नैचिंग, साइबर अपराध, समलैंगिकता और मॉब लिंचिंग आदि के बारे में इस नए बिल में प्रावधान हैं।

रेप के मामलों में पुलिस के पास दो तरह की शिकायत आ रही थी जिसमें पहला झूठा प्रलोभन देकर यौन शोषण और दूसरा जबरदस्ती यौन संबंध। आमतौर पर यौन शोषण के मामलों में IPC की धारा 375 और 376 के तहत रेप का केस दर्ज किया जा रहा था।

जिसके कारण न्याय प्रक्रिया और सजा तय करने में दिक्कत आ रही थी। यही वजह है कि महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े इस नये कानून को अब दो हिस्सों में बांटने का फैसला लिया गया है।

जानें नया कानून 'लव जिहाद' कितना सही?

इस कानून का इस्तेमाल पुलिस लव जिहाद जैसे दूसरे मामले में करेगी। लेकिन, इस कानून को बनाने का मुख्य उद्देश्य झूठे वादे करके शादी से मुकरने, लिव इन रिलेशनशिप जैसे तेजी से बढ़ रहे मामलों से निपटने के लिए लाया गया है।

इसका मुख्य उद्देश्य यौन शोषण और रेप के मामलों को अलग करना है।

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