
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में 25 मई को एक बड़ी खबर सामने आई है। ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की पूजा की इजाजत मांगने वाली याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई की। इस मामले में कोर्ट ने बिना वक्त गंवाए सुनवाई की और इस पूरे केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। बता दें कि वाराणसी जिला कोर्ट में चल रहा ज्ञानवापी का मामला दूसरा है, उस मामले पर 26 मई यानी कल कोर्ट सुनवाई करेगी।
अब ज्ञानवापी मस्जिद मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा। आज यानी बुधवार को वाराणसी के सिविल कोर्ट ने यह फैसला किया है। पहले इस मामले की सुनवाई सिविल जज रवि दिवाकर कर रहे थे, पर अब अब फास्ट ट्रैक कोर्ट में जज महेंद्र पांडे इस मामले पर सुनवाई करेंगे। बताया जा रहा है कि 30 मई तक इस मामले पर सुनवाई की जा सकती है।
बता दें कि यह याचिका मंगलवार को विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन की पत्नी किरण सिंह दाखिल की थी।
Gyanvapi Case: मंगलवार को दायर इस याचिका में तीन प्रमुख मांगे रखी गई थी। जिसमें ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों की एंट्री को रोकेने, ज्ञानवापी परिसर को पूरी तरह हिंदुओं को सौंपने और पूरे विधि-विधान के साथ आदि विश्वेश्वर के ज्योतिर्लिंग की नियमित पूजा-पाठ शुरू करने की अनुमति दी जाने की बात कही गई थी।
बताया जा रहा है कि जज ने अपने विवेक से ही ये मामला फास्ट ट्रैक में भेजा है। ऐसी मांग किसी भी पक्ष की तरफ से नहीं की गई थी। इस मामले पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में रोजाना सुनवाई पर भी फैसला लिया जा सकता है, साथ ही सुनवाई की एक टाइमलाइन भी तय की जा सकती है। बता दें कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में तय समय में अपना फैसला सुनाया जाता है ऐसे में इस मामले पर जल्द ही कोर्ट का फैसला आ सकता है।
फास्ट ट्रैक कोर्ट की बात करे तो यह जल्द से जल्द मामलों की सुनवाई और कम समय में पीड़ित पक्ष को न्याय देने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए गए हैं। इन फास्ट ट्रैक कोर्ट में हर रोज मामलों की सुनवाई होती है और पीड़ितों को इंसाफ दिया जाता है। देश में लाखों केस पेंडिंग पड़े हुए है ऐसे में कोर्ट के पास इतना समय नहीं है कि वह उन पर सुनवाई कर सके तो वह इन मामलों को FTC में ट्रासंफर कर देती है ताकि जल्दी इन मामलों पर फैसला आ सके।
फास्ट ट्रैक कोर्ट सुनावई के लिए टाइमलाइन तय करता है जिस पर दैनिक रुप से कार्रवाई की जाती है। इस कोर्ट में सम्मन, वारंट आदि की तैयारी में देरी के कारण सुनवाई स्थगित नहीं होती है और फैसले जल्दी सुनाए जाते है।