यूं तो इस वक्त देश में माहौल 5 राज्यों के चुनावों और बजट को लेकर होना चाहिए था लेकिन कब इस चुनावी मौसम में हिजाब वर्सेज केसरिया गमछे के विवाद का बादल कर्नाटक से निकल कर पूरे देश पर छा जाएगा किसने सोचा था । एक स्कूल के गलियारे से निकल कर हाईकोर्ट के कटघरे में पहुंचने में इस विवाद को चंद रोज लगे ।
महिलाओं के पहनावे को लेकर यूं तो हमेशा ही बवाल होते रहे हैं चाहे वो मजहबी फतवें हों या खाप पंचायतों के फैसले लेकिन देश के संविधान की आजादी के आगे 21वीं सदी में इनका कभी स्त्रियों पर जोर नहीं चल सका । देश की युवा पीढ़ी ने हमेशा इस मामले में रूढ़िवादी सोच का मुखरता से प्रतिकार किया । लेकिन इस बार ये लड़ाई एक स्कूल के कुछ छात्राओं से जुड़ी थी फिर भी इस विवाद के जड़ से निकली लड़ाई को राजनैतिक ताकतों ने सुदूर यूपी तक लाकर इसे चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया ।
हैदराबाद के सांसद असद्दुदीन ओवैसी किसी परिचय के मोहताज नहीं , मुसलमानों का खुद को देश का सबसे बड़ा नेता बताते हैं । यूपी चुनाव में भी चुन चुन कर मुस्लिम प्रभाव वाली सीटों पर प्रत्याशी खड़े कर अखिलेश और मायावती दोनों की ही राह में रोड़ा बन कर खड़े हैं । हाल ही में इनकी गाड़ी पर गोलियां चलीं दो आरोपी पकड़े भी गए , यूपी के मुस्लिम वोटरों के बीच संदेश दिया कि हिंदुत्ववादी ताकतें सूबे में मुस्लिम नेतृत्व खड़ा होते नहीं देखना चाहती । केन्द्र सरकार की ओर से मिल रही जेड प्लस सुरक्षा तक ठुकरा दिया । ऐसे में भला हिजाब के मुद्दे कोे कैसे बक्शते । पश्चिम यूपी की चुनावी रैलियों में ओवैसी इस मुद्दो को उठा कर मुस्लिम महिलाओं को लाज रखने की दुहाई दे रहे हैं ।
लड़की हूं लड़ सकती हूं के नारे का राजनैतिक प्रयोग इस बार के इलेक्शन में कर रहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा भी पीछे नहीं रहीं और ट्विट कर महिलाओं के कपड़े की आजादी का पुरजोर समर्थन करते हुए घूंघट , जीन्स और बिकनी जैसे पहनावों का समर्थन किया ।
फिलहाल इस पूरे विवाद को लेकर हाईकोर्ट में दलीलों का दौर जारी है । कुरान के धार्मिक पक्ष और संविधान के कानूनी पक्ष को लेकर इस मुद्दे का हल जल्द निकलने की उम्मीद है ।
फिलहाल ऐहतियातन कर्नाटक के सभी शिक्षण संस्थान दो सप्ताह के लिए बंद किए गए हैं लेकिन चुनाव में इस विवाद का ध्रुवीकरण का खेल जारी है ।
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