‘जब बलात्कार होना ही है, तो लेटे रहो और उसके मजे लो’ ऐसा कहना है कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और कर्नाटक विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केआर रमेश कुमार का। इसके बाद उन्होंने माफी भी मांग ली। लेकिन सिर्फ माफी मांगने के बात क्या गारंटी है कि इस तरह के महिला को लेकर बेबाक बयान दुबारा नहीं दिए जाएंगे। फिर किसी राज्य में कोई मंत्री या नेता की महिला की अस्मत का मखौल उड़ाएगा। दूसरा सबसे बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण वक्तव्य स्पीकर वीएच कागेरी का रहा...
उन्होंने कहा कि विधायक ने माफी मांग ली है ऐसे में मामले को तूल न दें... लेकिन ये तो वही बात हुई कि किसी का दुष्कर्म कर दिया जाए और फिर पंच उसी बलात्कारी से उसका विवाह करा दें.... यानि महिला के आत्मसम्मान का कोई मुल्य नहीं.... क्या सरकार को ऐसे कड़े नियम नहीं बनाने चाहिए ताकि भविष्य में कोई नेता रूपी दुशासन अपने शब्दों से नारी का चीर हरण करने का दुस्साहस न कर सके। खैर.... विधायक रमेश कुमार के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है।
हैरानी की बात तो यह है कि जिस वक्त कांग्रेस के विधायक जी सीना फुला कर ऐसी विवादित बातें कर रहे थे, तब विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी इस पर कोई कार्रवाई करने की बजाए जोर-जोर से ठहाके लगाते हुए नजर आए। सोशल मीडिया पर लोग इस बात को लेकर कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष की भी खूब आलोचना कर रहे हैं।
हालांकि, कहने की जरूरत नहीं है कि यह पहली बार नहीं है, जब किसी राजनेता ने अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के साथ अपने कदम रखे है और अनावश्यक तूफ़ान पैदा किया है। हमारे राजनेता अक्सर बेतुकी, सेक्सिस्ट, नस्लवादी टिप्पणियां करने और खबरें बनाने के लिए कुख्यात हैं, जिससे हम अक्सर भ्रमित हो जाते हैं कि क्या हमें उनकी पवित्रता पर संदेह करना चाहिए या उनके भोलेपन पर हंसना है।
आइए, दूसरे राजनेताओं द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयानों पर एक नज़र डालते है।
1 'लड़के लड़के होते है, वे गलतियाँ कर देते है'
अप्रैल 2014 में, एक सामूहिक बलात्कार मामले में दोषी ठहराए गए तीन लोगों को मौत की सजा का ऐलान किया गया था। तब इसका विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि, "'लड़के लड़के होते है, वे गलतियाँ कर देते है।" इतना ही नहीं, मुलायम सिंह यादव ने तो लड़कियों पर रेप का आरोप लगाते हुए यहाँ तक कह दिया था कि, 'लड़कियों की लड़कों से दोस्ती हो जाती है और जब इनके बीच मतभेद हो जाते है और दूरियाँ आ जाती है तो वे इसे बलात्कार करार दे देते है। अगर आप सोच रहे है कि मुलायम सिंह की अभद्र टिप्पणियों का आतंक यही खत्म हो गया है, तो आप गलत है। उपरोक्त बयान के इस साल बाद 2015 में यादव ने एक और चौंकाने वाला और असंवेदनशील बयान दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि, एक व्यक्ति ने बलात्कार किया और शिकायत में चार लोगों के नाम हैं। अपने दावे की पुष्टि करते हुए आगे कहा कि, "मैं ऐसे कई मामलों के बारे में जानता हूं, जहां 1 व्यक्ति बलात्कार करता है और 4 लोगों का नाम रिपोर्ट में है। ऐसे कई मामले हैं जहां एक व्यक्ति अपराध करता है, एक ही परिवार के 4 भाई गिरफ्तार हो जाते हैं।" 4 पुरुषों के लिए एक महिला का बलात्कार करना असंभव है।"
2. 2 पुरुषों द्वारा बलात्कार, सामूहिक बलात्कार नहीं
2015 में, कर्नाटक के तत्कालीन गृह मंत्री केजे जॉर्ज ने इस टिप्पणी के साथ एक विवाद खड़ा कर दिया कि "एक महिला से दो पुरुष बलात्कार करते है तो इसे सामूहिक बलात्कार नहीं कहा जा सकता है।" गृह मंत्री ने यह बयान तब दिया जब मीडिया ने बेंगलुरु में एक बीपीओ की महिलाकर्मी के साथ हुई गैंगरेप की वारदात के सवाल पर किया। जिसमें टेम्पो ट्रेवलर ड्राइवरों को बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दोनों आरोपी कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले के रहने वाले थे। ये दोनों बेंगलुरु में तीन साल से काम रहे थे।
3. "रेप की वजह बढ़ती आबादी"
ये बेतुका बयान है पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का। बनर्जी ने विधानसभा को कहा कि, ‘बलात्कार के मामलों की बढ़ती संख्या बढ़ती आबादी से जुड़ी है।' ममता ने कहा कि, ‘आबादी बढ़ रही है, कारों की संख्या बढ़ रही है, आधारभूत संरचना का विकास हो रहा है, शॉपिंग मॉल बढ़ रहे हैं, मल्टिप्लेक्स बन रहे हैं, नौजवान और आधुनिक हो रहे हैं। क्या आप उनका स्वागत नहीं करेंगे।’ ममता ने आरोप लगाया कि अखबार जान-बूझकर बलात्कार के मामलों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं, पहले महिलाएं इस तरह के मामले दर्ज कराने में हिचकिचाती थी। अक्टूबर 2012 में, एक कार्यक्रम में बोलते हुए, बनर्जी ने मीडिया पर बलात्कार का महिमामंडन करने का आरोप लगाया था। बनर्जी ने कहा था, "पहले अगर पुरुष और महिलाएं हाथ पकड़ते थे, तो माता-पिता उन्हें फटकार लगाते थे। अब सब कुछ खुलेआम किया जाता है। यह खुले विकल्पों के साथ खुले बाजार की तरह है।"
4. "शादी के कुछ दिनों बाद महिलाएं अपना आकर्षण खो देती है"
पूर्व केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने एक कविता सभा में बोलते हुए कहा था कि, "महिलाएं शादी के कुछ साल बाद अपना आकर्षण खो देती हैं।" भारत के टी20 चैंपियनशिप में पाकिस्तान के खिलाफ अपना मैच जीतने के बाद एक महिला कॉलेज में जयसवाल ने कहा कि, "नई नई जीत और नई शादी का अपना अलग महत्व होता है। जैसे जैसे समय बीतेगा, जीत की यादें पुरानी होती जाएंगी। जैसे जैसे समय बीतता है, पत्नी पुराणी होती जाती है, वह मज़ा नहीं रह जाता है।
5. रेप भारत में नहीं इंडिया में होते हैं
2013 में, दक्षिणपंथी आरएसएस या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि बलात्कार पश्चिमीकरण के कारण होने वाला एक शहरी अपराध है और पारंपरिक मूल्यों से समृद्ध ग्रामीण भारत में ऐसा नहीं होता है। शहरी भारत में हो रहे महिलाओं के खिलाफ अपराध शर्मनाक हैं। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है। लेकिन ऐसे अपराध "भारत" या देश के ग्रामीण इलाकों में नहीं होते है। आप देश के गांवों और जंगलों में जाएं, वहां सामूहिक बलात्कार या यौन अपराध की ऐसी कोई घटना नहीं होगी।" उन्होंने आगे कहा कि, "जहां पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से "भारत" "इंडिया" बन जाता है, वहां इस प्रकार की घटनाएं होती हैं। वास्तविक भारतीय मूल्यों और संस्कृति को समाज के हर उस स्तर पर स्थापित किया जाना चाहिए जहां महिलाओं को 'मां' माना जाता है।"
6. रेप के मामलों में महिलाओं को भी सजा
2014 में, सपा के प्रदेश अध्यक्ष अबू आज़मी ने बलात्कार पीड़ितों के बारे में अपने बयानों के लिए काफी आलोचना झेली थी। उन्होंने कहा कि, "अगर कोई महिला बलात्कार के मामले में पकड़ी जाती है, तो उसे और लड़के दोनों को सजा मिलनी चाहिए। भारत में, बलात्कार के लिए मौत की सजा है, लेकिन जब शादी के बाहर सहमति से सेक्स होता है, तो महिलाओं के खिलाफ कोई मौत की सजा नहीं होती है।"
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