लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी लगातार कह रहे हैं कि उन्हें तीसरा कार्यकाल मिलना निश्चित है। पीएम मोदी के अनुसार वह जमीनी स्तर पर काम करना चाहते हैं।
ऐसे में शीर्ष सरकारी अधिकारी नई व्यवस्था के लिए एक कार्य योजना तैयार कर रहे हैं। इसमें बुजुर्गों के पेंशन का दायरा बढ़ाने, मंत्रालयों की संख्या में कटौती, भारतीय मिशन की संख्या में बढ़ोतरी, ई-वाहनों की बिक्री बढ़ाने समेत अन्य बातों पर फोकस रहेगा।
कार्ययोजना के अनुसार अगले छह वर्षों में भारतीय मिशनों की संख्या को 20% बढ़ाकर 150 करना, बुनियादी ढांचे में अधिक निजी निवेश और प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए एक तंत्र विकसित करना शामिल है।
इस महीने कैबिनेट सचिव द्वारा बुलाई गई बैठकों के दौरान चर्चा किए जाने वाले एक मसौदा पत्र में 2030 तक पेंशन लाभ वाले वरिष्ठ नागरिकों की हिस्सेदारी को 22% से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाएगा।
साथ ही महिलाओं की भागीदार 37 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का प्रावधान किया गया है।
ई-वाहनों पर जोर वाहन बिक्री में उनकी हिस्सेदारी को 7% से बढ़ाकर 30% से अधिक करने के लक्ष्य से स्पष्ट है।
इन 10 बातों पर रहेगा फोकस
1. दुनियाभर में भारतीय मिशनों की संख्या को 20% बढ़ाकर 150 करना।
2. वर्तमान में 54 मंत्रालयों की संख्या में कमी पर विचार।
3. बुनियादी ढांचे में अधिक निजी निवेश और प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए एक तंत्र विकसित करना।
4. 2030 तक सभी वरिष्ठ पेंशनधारियों की हिस्सेदारी बढ़ेगी।
5. ई-वाहनों की हिस्सेदारी 7% से बढ़ाकर 30% से अधिक करने का लक्ष्य।
6. 2030 तक अदालतों में लंबित मामलों को 5 करोड़ से घटाकर 1 करोड़ से कम करना।
7. निचली न्यायिक प्रणाली में मामलों के निपटान के समय को 2,184 दिनों से घटाकर 1,000 दिन करना।
8. अगले छह वर्षों में न्यायपालिका में रिक्तियों को 22% से घटाकर 10% करने की योजना।
9. रक्षा बजट की हिस्सेदारी को 2% से बढ़ाकर 3% करने पर भी चर्चा।
10. 2030 तक औद्योगिक क्षेत्र का जीडीपी में योगदान को 28% से बढ़ाकर 32.5% करने का लक्ष्य।
वर्तमान में 5 करोड़ से 2030 तक अदालतों में लंबित मामलों को घटाकर 1 करोड़ से कम करने और निचली न्यायिक प्रणाली में मामलों के निपटारे को घटाकर 2,184 दिन करना।
साथ ही एक हजार दिन करने के लिए भी चर्चा चल रही है। उच्च न्यायालयों के मामले में 2030 तक वर्तमान 1 हजार128 दिनों से निपटारे के समय को घटाकर 500 दिनों से कम करने का लक्ष्य है,
जिसके लिए अदालतों में अधिक न्यायाधीशों की आवश्यकता होगी। अगले छह वर्षों में न्यायपालिका में रिक्तियों को 22% से घटाकर 10% करने की योजना चल रही है।
2047 के लिए लक्ष्य पर फोकस
लक्ष्य बताते हैं कि ये नीति निर्माताओं के लिए फोकस क्षेत्र होंगे, जिनमें मंत्रालय मतदान समाप्त होने से पहले बारीकियों को भरेंगे।
ध्यान 2030 के लिए मध्यम अवधि के लक्ष्य और 2047 के लिए दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित करने पर है। रक्षा बजट की हिस्सेदारी को 2% से बढ़ाकर 3% करने पर भी चर्चा चल रही है।
विजन दस्तावेज़ में इस अवधि के दौरान विश्वव्यापी हथियार आयात में भारत की हिस्सेदारी को आधा करने की परिकल्पना की गई है।
इससे पता चलता है कि सरकार रक्षा उपकरणों के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों को दोगुना करने का इरादा रखती है।
आर्थिक मोर्चे पर, लक्ष्य ऑटोमोबाइल, कपड़ा, फार्मा, पर्यटन और सेवाओं जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने और विनिर्माण और निर्यात की हिस्सेदारी बढ़ाने की ओर इशारा करते हैं।
2030 तक औद्योगिक क्षेत्र का जीडीपी में योगदान को 28% से बढ़ाकर 32.5% करने का लक्ष्य है। हालांकि इनमें से कई मुद्दों पर अतीत में भी चर्चा की गई है।
चुनाव घोषणा से पहले पीएम के साथ चर्चा ने उन्हें फिर से एजेंडे में डाल दिया है। उदाहरण के लिए, सचिवों और मंत्रालयों के साथ अपनी बैठक के दौरान, सिविल सेवकों ने परिवहन क्षेत्र के मंत्रालयों के बीच एकीकरण का आह्वान किया था।
हालांकि, नौकरशाह एक योजना तैयार कर सकते हैं लेकिन अंतिम निर्णय राजनीतिक होना होगा क्योंकि सांसदों और गठबंधन सहयोगियों को संतुष्ट और एडजस्ट करने के लिए मंत्रालयों में वृद्धि हुई है।