बिजली संकट: सात साल में पहली बार कोयला इंपोर्ट करेगा भारत

देश में कोयले की कमी और उसकी वजह से अप्रैल में हुए भीषण बिजली संकट से सीख लेते हुए सरकार अब पहले ही पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करना चाहती है। बता दें कि कोल इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है।
बिजली संकट: सात साल में पहली बार कोयला इंपोर्ट करेगा भारत
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कोयले की कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली कोल इंडिया (Coal India) सात सालों में पहली बार कोयला आयात करने जा रही है। (Coal India would import coal) विदेशों से मंगवाए गए इस कोयले को राज्यों और स्वतंत्र बिजली उत्पादकों के संयंत्रों को दिया जाएगा। देश में कोयले की कमी और उसकी वजह से अप्रैल में हुए भीषण बिजली संकट से सीख लेते हुए सरकार अब पहले ही पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करना चाहती है। बता दें कि कोल इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है।

एनर्जी मिनिस्ट्री ने सभी शेयर होल्डर्स को भेजा लेटर

Coal India to import for first time: कोयले के इंपोर्ट के लिए बिजली मंत्रालय ने 28 मई को सभी संयंत्रों, केंद्र और राज्यों के ऊर्जा अधिकारियों, कोयला सचिव और कोल इंडिया को पत्र भेजा था। इसमें लिखा गया है कि कोल इंडिया विदेशों से सरकार से सरकार आधार पर कोयला मंगवाकर उसे बिजली की आपूर्ति के लिए घरेलू कोयले में मिलाएगी। बता दें कि बिजली संयंत्रों के पास कोयले का भंडारण कई सालों के सबसे निचले स्तर पर है।

तीसरी तिमाही में कोयला संकट बढ़ने की आशंका

संभावना जताई जा रही है कि 2022 की तीसरी तिमाही में बिजली की बढ़ती मांग के चलते कोयले की कमी हो सकती है, जिससे दोबारा बिजली संकट के हालात पैदा हो सकते हैं। अप्रैल में भी देश ने ऐसे हालात देखे थे।

पहले राज्य सरकारों को दिए गए थे निर्देश

इस महीने की शुरुआत में केंद्र ने सभी राज्यों और घरेलू कोयले से बिजली बनाने वाली कंपनियों को अपनी जरूरत का 10 प्रतिशत कोयला आयात करने को कहा था। इसके बाद राज्यों ने सुझाया कि आयात के लिए अलग-अलग टेंडर जारी करने से बेहतर है कि कोल इंडिया के तहत केंद्र सरकार ही कोयले का आयात करे। इस पर अमल करते हुए केंद्र ने यह फैसला लिया है और राज्यों से टेंडर की प्रक्रिया रोक के लिए कहा है।

सितंबर में 42.5 मिलियन टन की कमी का अनुमान

बताया जा रहा है कि सितंबर तिमाही में कोयले की आपूर्ति में 42.5 मिलियन टन की कमी आ सकती है, जो पिछले संकट से 15 प्रतिशत ज्यादा होगी। बता दें कि अप्रैल में देशभर के बिजली संयंत्रों को छह साल में पहली बार सबसे खराब कोयला संकट का सामना करना पड़ा था। इसके वजह से भारी गर्मी के बीच कई घंटों के पावर कट ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। अब इससे भयंकर कोयला संकट की आशंका है।

कोयला खपत के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर

भारत में मार्च, 2021 तक कोयले की 442 खदानें थीं। भारत में दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कोयला भंडार है, लेकिन एशिया में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। भारत की 50 प्रतिशत से अधिक बिजली कोयले से बनती है।

सिंस इंडिपेंडेंस एक्स्ट्रा

2021-22 में भारत में 77.76 करोड़ टन कोयले का प्रोडक्शन हुआ था और देश में कोयले का कुल भंडार 318 अरब टन है। इसके बावजूद भी इसी साल अप्रैल में बिजली संयंत्रों के पास कोयले की कमी हो गई, जिसके चलते देशभर में पावर कट किया गया।
इसका कारण रहा कि बिजली डिमांड में अचानक आई तेजी और उस हिसाब से सप्लाई को न बढ़ना बताया गया। सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकार ने यात्री ट्रेनों को रद्द कर कोयला ढोने वाली रेलगाड़ियां दौड़ाई थीं।
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