
G20 का आयोजन इन दिनों दिल्ली के अंदर हो रहा है जिसमें 9 सितंबर को वर्ल्ड लीडर्स के लिए राष्ट्रपति भवन में डिनर का आयोजन किया गया है। डिनर आयोजन के लिए भेजे आमंत्रण पत्र में 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा गया है।
'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखे जाने के कारण देश में विवाद पैदा हो गया है।
क्या आमंत्रण पत्र में 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा जाना गैर-संवैधानिक है चलिए जानते हैं.
प्राचीनकाल से भारत के अलग-अलग नाम रहे हैं जिनमें जैसे जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, अजनाभवर्ष, हिमवर्ष, भारतवर्ष, भारत, आर्यावर्त, हिन्दुस्तान, हिन्द और इंडिया।
पौराणिक काल में भारत शब्द का ओरिजिन
राजा दशरथ के बेटे और राम के छोटे भाई भरत
नाट्यशास्त्र के रचयिता भरतमुनि
पुरुवंश के राजा दुष्यंत और शकुंतला के बेटे भरत
ऋग्वेद में भी दुष्यंत के बेटे भरत के नाम पर ही भारत नामकरण का तर्क दिया गया है। ऐतरेय ब्राह्मण में इसका भी जिक्र है कि जब भरत ने चारों दिशाओं को जीत लिया था तब अश्वमेध यज्ञ किया गया जिसके चलते उनके राज्य को भारतवर्ष कहा गया था।
जैन धर्म के धार्मिक ग्रंथों में भी भगवान ऋषभदेव के बड़े बेटे भरत के नाम पर देश का नाम भारतवर्ष पड़ा इसका तर्क दिया गया है। विष्णु पुराण में एक श्लोक है जिसमें लिखा गया है कि जो समुद्र के उत्तर व हिमालय के दक्षिण में है, वह देश भारतवर्ष है और हम उसकी संताने हैं।
करीब ढाई हजार साल महाभारत का युद्ध हुआ था। फिर इस युद्ध का नाम महाभारत क्यों पड़ा? क्योंकि महाभारत की लड़ाई में उन सभी राज्यों ने हिस्सा लिया था जो भारत की सीमा में आते थे।
2500 साल पहले देश में बाहर से आने वाले लोग ‘स’ को ‘ह’ बोलते थे जिसके चलते सिंध को हिंद बोलने लग गये थे। जिसके बाद लोगों को हिंदू कहकर पुकारा जाने लगा।
440 ईसा पूर्व यूनान के इतिहासकार हेरोटोस ने इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया था। ग्रीक भाषा में सिन्धु नदी को इंडस नाम से जानते थे। यूनान के राजदूत मेगस्थनीज ने 300 ईसा पूर्व सिंधु नदी के पार के इलाके के लिए इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया था।
इतिहासकार इयान जे बैरो ने 'फ्रॉम हिन्दुस्तान टु इंडिया: नेम्स चेंजिंग इन चेंजिंग नेम्स' में लिखा है कि 19वीं सदी में अंग्रेजों ने इंडिया शब्द का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। जिसके बाद रियासतों के राजा भी इंडिया शब्द का इस्तेमाल करने लगे थे।
1857 के बाद ब्रिटिश हुकूमत के बाद इंडिया नाम का इस्तेमाल देश और दुनिया में तेजी से बढ़ा दिया था।
17 सितंबर 1949 को संविधान सभा की बहस के दौरान 'संघ का नाम और क्षेत्र' खंड चर्चा के लिए पेश हुआ जिसमें इंडिया और भारत नाम पर चर्चा हुई। जिसके बाद संविधान सभा में मतभेद उभर आए। चर्चा में अंबेडकर कमेटी के मसौदे पर आपत्ति जताई जिसमें दो नाम इंडिया और भारत थे।
सेठ गोविंद दास ने कहा कि महाभारत, वेदों और कुछ पुराणों के लेखों में भारत देश का मूल नाम था। इसलिए संविधान में इंडिया को प्राथमिक नाम के रूप में रखना सही नही होगा।
हरगोविंद पंत जी जो संयुक्त प्रांत के पहाड़ी जिलों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे उन्होंने कहा उत्तर भारत के सभी लोग भारतवर्ष नाम चाहते हैं और कुछ नहीं।
संविधान सभा की कमेटी ने कोई भी संशोधन प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए और देश का नाम भारत और इंडिया दोनों पारित हो गए।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील के मुताबिक ये गैर-संवैधानिक नहीं है। भारत के संविधान के आर्टिकल 1 (1) में लिखा है - हमारे देश का नाम भारत और इंडिया दोनों है। इन दोनों नामों का इस्तेमाल संवैधानिक है। हालांकि अगर कोई हिंदुस्तान, जंबूद्वीप या आर्यावर्त लिखने लगे, तो इसे संविधान के खिलाफ माना जायेगा।
अगर देश का अंग्रेजी नाम इंडिया की जगह सिर्फ भारत करना है तो इसके लिए हमें संविधान संशोधन करना पड़ेगा जो आर्टिकल 368 में दिया गया है। हमारे देश की संसद को ये शक्ति दी गयी है कि संसद संविधान संशोधन कर सकती है। इसके लिए सरकार को एक विधेयक लाना होगा और दो-तिहाई बहुमत से पारित करना पड़ेगा।
अगर इंडिया नाम को हटा दिया जाता है तो संविधान से लेकर सभी संस्थाओं में इसे बदलना पड़ेगा। आप इस बारें में क्या सोचते हैं ये आपकी राय है। 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखना क्या सही है आप भी कमेंट के माध्यम से हमें बता सकते हैं।