Controversial Statement: जावेद अख्तर अपनी बात को बेबाकी से कहने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन यही बात कभी-कभी उन पर भारी भी पड़ जाती है। हाल ही में दिए गए उनके एक बयान ने मानो एक बार फिर से एक संग्राम छेड़ दिया है। बता दें कि ये विवादित बयान कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) के बारे में बात करते हुए दिया गया था।
गौरतलब है कि जावेद अख्तर जिस मजहब से हैं उसमें मुस्लिम पुरुषों को तो एक से अधिक पत्नियां रखने का हक है, लेकिन महिलाओं को एक से अधिक पति या पुरुषों से संबंध रखने का हक नहीं है। ऐसे में जावेद अख्तर का यह बयान मजहबी कट्टर सोच रखने वालों को नागवार लगा है।
दैनिक भास्कर को दिए गए एक इंटरव्यू में कॉमन सिविल कोड का मतलब समझाते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि मेरा एक बेटा और एक बेटी है। अगर मुझे अपनी प्रॉपर्टी देनी होगी तो मैं उसके दो बराबर हिस्से करूंगा। जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने आगे कहा कि कॉमन सिविल कोड का मतलब केवल सभी समुदायों के लिए एक कानून होना नहीं बल्कि औरत और मर्द के लिए भी एक कानून होना है।
जावेद अख्तर जहां अपने शब्दों की वजह से लोगों का दिल जीतते हैं तो वहीं कई बार उनके शब्द लोगों का दिल चीरकर चले जाते हैं। दरअसल इस दौरान जावेद ने कहा कि अगर मर्दों को एक से ज्यादा बेगम रखने का अधिकार (Right) दिया गया है तो औरतों को भी एक से ज्यादा पति रखने का हक मिलना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो ये बराबरी कैसे हुई। इस बयान के बाद कुछ लोगों ने मिलकर जावेद अख्तर के खिलाफ आवाज उठाने की बात भी कही है।
जावेद अख्तर ने कहा, ‘आज देश की समस्या ये है कि देश को सरकार और सरकार को देश माना जाने लगा है. सरकार तो आती-जाती रहती है, मगर देश तो हमेशा रहेगा.’ अख्तर ने कहा, ‘अगर कोई सरकार का विरोध करता है, तो उसे देशद्रोही करार दिया जाता है. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘देश का मिजाज बहुत पहले से ही लोकतांत्रिक रहा है. हजारों साल के देश के जनमानस का मिजाज उदार रहा है. वो कभी कट्टरवादी नहीं रहा है. आज जिस तरह से कट्टरता को बढ़ावा दिया जा रहा है, वो हिंदुस्तान का मिजाज नहीं है.’
जावेद के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर जमकर बवाल मच रहा है। कई लोगों ने लेखक के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए माफी की मांग भी की है। हालांकि कई लोग जावेद अख्तर की बात का सपोर्ट करते भी नजर आए।
ऑल इंडिया शिया चांद कमेटी के प्रेसिडेंट मौलाना सैयद सैफ अब्बास नकवी ने जावेद अख्तर के इस बयान को शर्मनाक करार दिया है। सैफ अब्बास नकवी ने कहा कि जावेद अख्तर ने महिलाओं को कई पति रखने का मशवरा दिया गया है, इसका जितना भी विरोध किया जाए वह कम है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि पूरे देश की महिलाओं को मिलकर इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और जावेद अख्तर को उस समय तक नहीं छोड़ना चाहिए जब तक वह पूरे देश की महिलाओं से माफी न मांगे लें।
एक प्रोग्राम में जयपुर आए जावेद अख्तर ने दैनिक भास्कर से बातचीत में ट्रिपल तलाक को गलत बताते हुए कहा था कि ऐसा करने वाले इस्लामिक नहीं हैं। अगर हम मान भी लें कि ये इनका धर्म है तो कुरान में ऐसा नहीं लिखा है। दुनिया में जो भी प्रमुख इस्लामिक देश हैं, उन्होंने भी इसे बैन कर दिया तो धर्मनिरपेक्ष भारत में ऐसा क्यों हो रहा है। इनसे पूछो कि अमेरिका, सिंगापुर, इंग्लैंड में रहते हो तो क्या वहां ऐसा कर सकते हो? ये एक्सेप्ट नहीं किया जा सकता।
जयपुर में ही जावेद अख्तर ने कहा था कि मुझे किसी धर्म की बातें समझ नहीं आती है ना ही मैं कोई फेस्टिवल मनाता हूं। मैं नास्तिक हूं। उन्होंने एक एक्टर की ओर से कुर्बानी को लेकर दिए गए बयान पर कहा था कि उसके बारे में मेरा ये मानना है कि कुर्बानी, बलिदान अच्छी बात है, लेकिन किसी भी खास त्योहार पर ही क्यों, ये तो कभी भी दी जा सकती है।
जावेद अख्तर उस वक्त भी सुर्खियों में आ गए थे जब उन्होंने लाउडस्पीकर पर अजान देने को लेकर एक ट्वीट किया था। इसे लेकर वो काफी ट्रोल हुए थे। दरअसल जावेद अख्तर ने कहा था कि, 'लाउडस्पीकर पर अजान को बंद कर देना चाहिए। इसके बाद जब विवाद हुआ तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि मुस्लिम समाज के लोगों ने मुझे श्राप दिया और कहा कि मैं नरक से भी बद्दतर जगह जाऊंगा। वहीं हिंदु के बड़े लोग मुझे जिहादी और राष्ट्रदोही कहते हैं। मैं एक समान अवसरवादी नास्तिक हूं जो सभी तरह के आस्थाओं के खिलाफ है'।
बूर्का और घूंघट तक के मामले को लेकर भी जावेद अख्तर विवादित बयान दे चुके हैं। दरअसल जावेद अख्तर ने पूछा था कि, 'जब सुरक्षा की बात आती है तो चेहरे को ढंकना एक समस्या हो सकती है। अगर बुर्का बैन है तो घूंघट पर भी प्रतिबंध होना चाहिए। बुर्का या घूंघट की क्या जरूरत है'। हालांकि इस पर भी सफाई देते हुए जावेद अख्तर ने कहा था कि, 'मेरे बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। मेरे कहने का मतलब था कि चेहरे ढकना ही बंद करना चाहिए फिर वो नकाब हो या घूंघट'।