जानें क्या है कच्छतीवु द्वीप का मामला, जिसे इंदिरा गांधी ने सौंप दिया श्रीलंका को

कच्छतीवु द्वीप को लेकर एक बार फिर से राजनीति गरमा गई है। ये द्वीप कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था। कभी भारत कि हिस्सा हुआ करता था, लेकिन इंदिरा गांधी ने इस द्वीप को श्रीलंका को दे दिया। चलिए आपको बताते है क्या है कच्छतीवु द्वीप, कैसे शुरू हुआ विवाद, कैसे गांधी परिवार ने खेली राजनीति।
जानें क्या है कच्छतीवु द्वीप का मामला, जिसे इंदिरा गांधी ने सौंप दिया श्रीलंका को
जानें क्या है कच्छतीवु द्वीप का मामला, जिसे इंदिरा गांधी ने सौंप दिया श्रीलंका को

कच्छतीवु द्वीप को लेकर एक बार फिर से राजनीति गरमा गई है। ये द्वीप कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था। कभी भारत कि हिस्सा हुआ करता था, लेकिन इंदिरा गांधी ने इस द्वीप को श्रीलंका को दे दिया।

चलिए आपको बताते है क्या है कच्छतीवु द्वीप, कैसे शुरू हुआ विवाद, कैसे गांधी परिवार ने खेली राजनीति।

रामेश्वरम से 12 मील दूर

कच्छतीवु द्वीप भारत के रामेश्वरम से श्रीलंका के बीच एक छोटा सा द्वीप है। रामेश्वरम से इसकी दूरी 12 मील है तो श्रीलंका के जाफना से 10.5 मील।

कच्छतीवु द्वीप का कुल क्षेत्रफल करीब 285 एकड़ है। इस द्वीप की लंबाई 1.6 किलोमीटर है तो चौड़ाई 300 मीटर है।

कच्छतीवु द्वीप में सेंट एंथोनी चर्च और एक मंदिर है, जिसका निर्माण 20वीं सदी में हुआ था। हर साल फरवरी और मार्च के महीने में यहां पूजा का आयोजन किया जाता है।

इंदिरा गांधी ने क्यों श्रीलंका को दिया

साल 1974 में जब इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं, तब उन्होंने भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा विवाद को हल करने का प्रयास किया।

दोनों देशों के बीच कई बार बातचीत हुई और इसी दौरान एक समझौता हुआ, जिसे ‘इंडिया-श्रीलंका मैरिटाइम एग्रीमेंट’ के नाम से जाना जाता है।

इंदिरा गांधी ने श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमाव भंडारनायके के साथ कुल 4 सामुद्रिक समझौतों पर दस्तखत किये।

उस वक्त इंदिरा गांधी ने कहा था कि कच्छतीवु द्वीप एक पत्थर का टुकड़ा है। ये हमारे लिए महत्व नहीं रखता है।

इंदिरा गांधी की सरकार ने जब कच्छतीवु द्वीप को श्रीलंका को सौंपने का फैसला किया और तमिलनाडु सरकार से कोई सलाह नहीं ली। इसका जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ औऱ मछुआरे सड़कों पर उतर आएं।।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि कच्छतीवु द्वीप को इंदिरा ने श्रीलंका को सौंप दिया। इसको लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की उदासीनता को भी साफ ठहराया।

उन्होंने कहा कि आज लोगों को ये जानना जरूरी है कि इतने समय से इस मामले को लोगों से छिपाकर क्यों रखा गया है।

हमें पता है कि ये किसने किया है, लेकिन हमें ये नहीं पता कि इसे किसने छिपाया। विदेश मंत्री ने कहा कि ये दशकों पुराना मुद्दा है और इसको लेकर मैंने 21 बार जवाब दिया है।

उन्होंने कहा कि 20 सालों में श्रीलंका से लगभग 6 हजार 184 मछुवारों को हिरासत में लिया औऱ 1 हजार 175 नावों को जब्त किया जा चुका है।

ये द्वीप हिंद महासागर के दक्षिणी क्षोर पर है। भारत के लिहाज से ये रामेश्वरम औऱ श्रीलंका के बीच है।

आपको बता दें कि पिछले साल जब श्रीलंका के प्रधानमंत्री भारत आ रहे थे तब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर कच्छतीवु द्वीप को वापस लेने की मांग उठाई थी।

वहीं तमिलनाडु के पूर्वज कांग्रेस के साथ मिलकर इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था। हांलाकि विपक्ष इस द्वीप को लगातार वापस लाने की मांग उठा रहा है।

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