DELHI EXCISE POLICY: राजधानी दिल्ली में शराब को लेकर संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है। आप नेताओं के बयानों और उपराज्यपाल की कार्रवाईयों से लग रहा है कि दिल्ली की नई शराब नीति अब सरकार और उपराज्यपाल के लिए इज्जत की सवाल बन गई है।
LG वीके सक्सेना और केजरीवाल सरकार के बीच चल रही इस खींचतान में जहां एक तरफ उपराज्यपाल ने दिल्ली के तत्कालीन आबकारी आयुक्त गोपी कृष्णा सहित 11 अधिकारियों को आबकारी नीति को लागू करने में गलती करने का हवाला देकर सस्पेंड कर दिया है।
दूसरी तरफ डिप्टी सीएम सिसोदिया ने नई आबकारी नीति के असफल होने का ठीकरा पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल के माथे फोड़ दिया और नीति के क्रियान्वयन की सीबीआई जांच की मांग की है।
मामले को लेकर राजधानी ही नही पूरे देश की सियासत गर्माती नजर आ रही है क्योंकि भाजपा सांसद मनोज तिवारी और प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मामले पर केजरीवाल सरकार पर तगड़ा तंज कसा है।
शनिवार यानि 06 अगस्त को ये मामला एक बार फिर लाइमलाइट में आया। क्योंकि दिल्ली के उपराज्यपाल ने आबकारी नीति पर एक्शन लेते हुए दिल्ली के तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण और तत्कालीन उपायुक्त आनंद कुमार तिवारी के साथ ही 9 अन्य अधिकारियों के खिलाफ निलंबन और अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के आदेश दिए हैं।
उपराज्यपाल ने यह आदेश अधिकारियों की ओर से आबकारी नीति के कार्यान्वयन में गंभीर चूक को देखते हुए दिया है। इसमें टेंडर देने में अनियमितताएं पाने जाने और चुनिंदा विक्रेताओं को पोस्ट टेंडर लाभ प्रदान करना शामिल है।
इधर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने इस मामले को एक नया मोड़ दे दिया है। मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर पूर्व उपराज्यपाल को नई नीति के फेल होने का कारण बताया है। डिप्टी सीएम ने आरोप लगाया है कि पूर्व एलजी अनिल बैजल ने अनाधिकृत क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने पर अपना रूख बदल लिया था। वो भी किसी को बिना बताए।
इधर दूसरी ओर मनीष ने एलजी वीके सक्सेना पर भी बिना कैबिनेट से चर्चा किए नई आबकारी नीति को रद्द करने के आरोप लगाए हैं। जिससे दिल्ली सरकार को राजस्व का काफी नुकसान हुआ है। मनीष सिसोदिया ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
”सीबीआई को मैंने ब्योरा भेजा है कि वो जांच करें कि किस तरह से सरकार की पास पॉलिसी में फेरबदल कर कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया. इस मामले की जांच के लिए सीबीआई को दस्तावेज भेज रहा हूं. एलजी फैसले से सरकार को हजारों करोड़ों का नुक़सान और दुकानदारों को फायदा हुआ.”
”2021 की नई एक्साइज पॉलिसी में हमने कहा था कि 849 दुकानों को ही रखा जाएगा, लेकिन उनकी वितरण समान तरीके से रखा जाएगा. मई 2021 में कैबिनेट ने पास की उसके बाद उपराज्यपाल ने कुछ सुझाव दिए, उनको भी शामिल किए और कहा गया कि दिल्ली में दुकानों की संख्या नहीं बढ़ाई जाएगी, लेकिन पूरी दिल्ली में समान रुप से रखा जाएगा, जिनमें अवैध कालोनियां थी. LG साहब ने दो बार बिना किसी आपत्ति के पास किया, लेकिन जब नवंबर 2021 को दूकानों को खोलने का प्रस्ताव भेजा तो 17 नवंबर से दूकानों को खोला जाना था, लेकिन 2 दिन पहले यानी 15 नवंबर को उपराज्यपाल साहब ने नई शर्त जोड़ी की अनऑथराइज इलाकों में MCD और DDA से मंजूरी ले ली जाए, जबकि वो पहले भी मंजूरी देते रहे हैं.”
ये मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने मनीष सिसोदिया के आरोपों का तगड़े से पलटवार किया है। उन्होने अरविंद केजरीवाल पर गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल को सही ठहराया है।
उन्होंने कहा कि ब्लैट लिस्टेड कंपनियों को न ही टेंडर दिया जा सकता है न ही वह ठेके खोल सकते हैं, लेकिन ब्लैक लिस्टेड कंपनियों ने भी ठेके खोल रखे थे। साथ ही उन्होंने कहा कि कारटेल भी टेंडर में अलाउ नहीं होता, लेकिन इसे भी मनीष सिसोदिया ने अलाउ किया था।
इधर सांसद मनोज तिवारी ने एलजी के एक्शन को बिल्कुल सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि शराब की खराब नीति को दिल्ली पर थोप कर जो पाप मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल ने किया है, उसकी सजा उनको जरूर मिलेगी।
वह गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए कितनी ही सफाई क्यों न दें। दिल्ली के खिलाफ केजरीवाल की बुरी साजिश का अंत भी बुरा ही होगा।