अब संसद भवन परिसर में किसी भी प्रकार के प्रदर्शन, धरना, उपवास व धार्मिक समारोह पर सर्कुलर जारी कर रोक लगा दी गई है। संसद के मानसून सत्र में पहले जारी की गई सूची में असंसदीय शब्दों को हटाने को लेकर विवाद थमा ही था कि इसी क्रम में राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी ने सर्कुलर जारी करते हुए कहा कि प्रर्दशन, धरना, उपवास व धार्मिक समारोह संसद परिसर में नहीं कर सकेगें। महासचिव मोदी ने सभी सदस्यों से सहयोग की बात कहीं। विवाद को बढता देख राज्यसभा सचिवालय ने कहा कि ऐसा सर्कुलर हर सत्र के पहले जारी होता है।
संसद में सर्कुलर के सामने आते ही विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर तंज कसना शुरू कर दिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार पर डराने का आरोप लगाते हुए कहा कि 'विषगुरू का ताजा प्रहार, ड(ध)रना मना है'।
राजद प्रवक्ता मनोज झा ने आरोप लगाते हुए कहा कि 'असंसदीय सूची के जरिए संसदीय विमर्श पर बुलडोजर चलाने के बाद नया तुगलकी फरमान। आजादी के 75वें वर्ष में हो क्या रहा है? जय हिंद'।
सभी पार्टियों के अनशन व प्रदर्शन
2012 में कोयला घोटाले के विरोध में भाजपा सांसदों ने पीएम मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग करते हुए धरना दिया था।
2015 में मानसून सत्र की कार्यवाही न चलने देने पर भाजपा ने विजय चौक से संसद तक सेव डेमोक्रेसी मार्च निकाला था।
2020 में दिल्ली में दंगों होने पर कांग्रेस, तृणमूल और आम आदमी पार्टी के सांसदों ने परिसर में धरना दिया।
2021 में विपक्षी सांसदों ने 12 सांसदों के निलंबन के खिलाफ दिया था। रातभर गांधी प्रतिमा के समक्ष बैठे रहे थे।