भारत में 2.3 करोड़ महिलाएं पीरियड्स और गर्भपात से संबंधित व्यक्तिगत हेल्थ के चलते जिन ऐप्स का उपयोग करती है, ये ऐप्स महिलाओं की निजी जानकारियों को ट्रैक कर विज्ञापन और फार्मा कंपनियों को बेच रहे है।अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अबॉर्शन पर रोक के साथ पीरियड ट्रैकर ऐप्स के डेटा को लेकर चिंताएं बढ़ गई है।
अमेरिकी संसद ने इन ऐप्स के खिलाफ जांच शुरू कर दी है जो कंपनियों को पीरियड्स और गर्भपात से संबंधित व्यक्तिगत डेटा बेचते है। इन ऐप्स का इस्तेमाल दुनिया भर में 92 मिलियन महिलाएं करती है। जबकि भारत में 23 मिलियन महिलाएं इस ऐप्स का इस्तेमाल करती है। 90% ऐप इन महिलाओं की निजी जानकारी को ट्रैक कर करोड़ों की कमाई कर रहे है।
व्हाइट हाउस ने चेतावनी दी है कि इन ऐप्स के डेटा का इस्तेमाल उन महिलाओं के खिलाफ सबूत के तौर पर किया जा सकता है जो गर्भपात-प्रतिबंधित देशों में रहती हैं और गर्भपात का प्रयास करती हैं। इसके बाद कई महिलाओं ने मोबाइल, स्मार्ट वॉच, स्मार्ट बैंड और टैब से पीरियड ट्रैकर ऐप्स को डिलीट या बंद करना शुरू कर दिया है।
भारत में 2.3 करोड़ महिलाएं करती है ऐप्स का इस्तेमाल
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित पीरियड ट्रैकिंग ऐप जिसमें पीरियड्स में बदलाव, नियत तारीख, प्रजनन क्षमता/गर्भधारण का सही समय, ओव्यूलेशन ग्राफ, मूड स्विंग्स, न्यूट्रिशनिस्ट, मेडिसिन, चेकअप, अल्ट्रासाउंड, नींद, टीकाकरण, डिलीवरी और नवजात देखभाल विशेषज्ञ सलाह के साथ मेडिकल रिकॉर्ड भी देखते हैं। 18 से 40 साल की कामकाजी महिलाएं व जो पहली बार मां बनती हैं, वह इन ऐप्स का ज्यादा इस्तेमाल करती है।
दुनियाभर में इन ऐप्स का उपयोग 92 करोड़ महिलाएं करती हैं जबकि भारत में 2.3 करोड़ महिलाएं ऐप्स का इस्तेमाल करती है।
महिलाएं जिन टॉप 10 पीरियड्स ट्रैकिंग एप्स उपयोग करती है वह है-
ऐप्स कमाई (लाख डॉलर में)
फ्लो 59.0
लुनालुना 3.9
फिमोमीटर 2.1
क्लू 2.0
फिमोमीटर 2.0
पीरियड कैलेंडर 20.2
ग्लो 0.81
क्लू पीरियड ट्रैकर 0.78
लानुने 0.48
ईव 0.38
32 तरह के ऐप्स बेच रहे है डेटा
साइबर सुरक्षा और वीपीएन कंपनी सर्फशार्क ने जून 2022 में जर्नल ऑफ मेडिकल इंटरनेट रिसर्च में कहा है कि दुनियाभर में एप्पल ऐप स्टोर पर 20 में से 9 ऐप्स महिलाओं के पीरिएड्स से संबंधित है।
32 तरह के ऐप्स डेटा चुराकर विज्ञापन और फार्मा कंपनियों को बेच रहे हैं। 10 ऐप महिलाओं की लोकेशन पर नजर रखते हैं। 8 ऐप्स मोबाइल या टैब की लाइब्रेरी से फोटो, वीडियो या स्क्रीनशॉट चुरा रहे हैं।
डेटा की पूरी जानकारी ऐप कंपनी को होती है, लेकिन नियमों के अनुसार डेटा तीसरे पक्ष को भेजना अपराध है। इसके लिए कंपनियों पर कानूनी कार्यवाही के साथ जुर्माना भी हो सकता है। भारत समेत कई देशों में डेटा सुरक्षा पर सख्त कानून नहीं है, कंपनियां इसी का फायदा उठाती है -वी. राजेन्द्रन, चेयरमैन, डिजिटल सेक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया, चेन्नई