जनता पर मोदी सरकार की मार जारी, क्रूड ऑयल सस्ता होने के बाद भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती नहीं

इंटरनेशनल मार्केट में 77 डॉलर तक पहुंचने के बाद अब कच्चा तेल एक बार फिर 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गया है। बीते 2-3 दिनों से कच्चा तेल 70 डॉलर के नीचे ही चल रहा है बावजूद इसके सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी नहीं की है
जनता पर मोदी सरकार की मार जारी, क्रूड ऑयल सस्ता होने के बाद भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती नहीं

इंटरनेशनल मार्केट में 77 डॉलर तक पहुंचने के बाद अब कच्चा तेल एक बार फिर 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गया है। बीते 2-3 दिनों से कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) 70 डॉलर के नीचे ही चल रहा है बावजूद इसके सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी नहीं की है। बीते 7 सालों में मोदी सरकार ने जनता को कच्चा तेल सस्ता होने का फायदा नहीं दिया। मोदी सरकार जब सस्ता में आई थी तब कच्चा तेल 107 डॉलर प्रति बैरल पर था। (क्रूड ऑयल)

पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के अनुसार मई 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी तब पेट्रोल का बेस प्राइस 47.12 रुपए प्रति लीटर था, जो जुलाई 2021 में घटकर 41 रुपए रह गया। यानी इसमें गिरावट आई। लेकिन तब से लेकर आज तक पेट्रोल की कीमतें 43% तक बढ़ चुकी हैं। मई 2014 में दिल्ली में पेट्रोल 71.41 रुपए था जो अब 101.84 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया है। (क्रूड ऑयल)

अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि जब मोदी सरकार में बेस प्राइस कम हुआ है तो पेट्रोल-डीजल महंगे कैसे हो गए?

इसका कारण है पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स में बढ़ोतरी। मई 2014 से लेकर अब तक 13 बार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स यानी एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी की गई है।

वहीं इसमें सिर्फ 3 बार कटौती की गई है। सरकार ने आखिरी बार मई 2020 में एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी।

केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी के जरिए पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लेती है

केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी के जरिए पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लेती है। मई 2014 में जब मोदी सरकार आई थी, तब केंद्र सरकार एक लीटर पेट्रोल पर 10.38 रुपए और डीजल पर 4.52 रुपए टैक्स वसूलती थी। इस वक्त एक लीटर पेट्रोल पर 32.90 रुपए और डीजल पर 31.83 रुपए एक्साइज ड्यूटी लगती है। मोदी सरकार के आने के बाद केंद्र पेट्रोल पर 3 गुना और डीजल पर 7 गुना टैक्स बढ़ा चुकी है।

देश में पेट्रोल का बेस प्राइस 41 और डीजल का 42 रुपए है

देश में पेट्रोल का बेस प्राइस 41 और डीजल का 42 रुपए है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से लगने वाले टैक्स से इनकी कीमतें देश के कई हिस्सों में 110 रुपए के पार पहुंच गई हैं। केंद्र सरकार पेट्रोल पर 33 और डीजल पर 32 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम बेस प्राइस से 2 गुना से ज्यादा बढ़ जाते हैं। देश में पेट्रोल पर 56 और डीजल पर 45 रुपए प्रति लीटर से भी ज्यादा टैक्स वसूला जाता है।

 सरकार की कमाई 6 सालों में 3 गुना हुई

2014 में मोदी सरकार आने के बाद वित्त वर्ष 2014-15 में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर एक्साइज ड्यूटी से 1.72 लाख रुपए की कमाई हुई थी। 2020-21 में यह आंकड़ा 4.54 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। यानी सिर्फ 6 सालों में ही एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार की कमाई 3 गुना के करीब बढ़ गई।

पेट्रोल और डीजल GST के दायरे में नहीं आएं

सरकार ने साफ किया है कि पेट्रोल और डीजल GST के दायरे में नहीं आएंगे। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में सोमवार को कहा कि, अभी तक GST काउंसिल ने तेल और गैस को GST के दायरे में लाने के लिए कोई सिफारिश नहीं की है।

SBI की रिपोर्ट के मुताबिक पेट्रोल और डीजल अगर GST के दायरे में आते हैं तो देश में पेट्रोल की कीमत 81 रुपए और डीजल की कीमत 74 रुपए प्रति लीटर पर आ सकती है। इसका मतलब यह है कि पेट्रोल 15 से 30 और डीजल 10 से 20 रुपए प्रति लीटर तक सस्ता हो जाएगा। अगर इन्हें GST के दायरे में लाते हैं तो कच्चे तेल की कीमतों के हिसाब से पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय होंगी।

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