नेशनल डेस्क. एक पीएम की सुरक्षा में चूक सिर्फ इसलिए अहम नहीं हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, बल्कि इसलिए भी अहम में है क्योंकि ये देश के पीएम इंस्टीट्यूशन की सुरक्षा पर सवाल है.... जिसमें घोर लापरवाही सामने आ रही है। समझिए कि पीएम ने कल यूं ही नहीं कहा था कि सीएम चन्नी को थैंक्यू कहना कि मैं एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया....।
दरअसल लापरवाही के जो तथ्य अब सामने आ रहे हैं उससे पीएम मोदी के पंजाब दौरे में सुरक्षा में लापरवाही को लेकर चन्नी सरकार अब अपने इंटरनल सिक्योरिटी मेमो में ही घिर आई है।
पीएम सुरक्षा चूक में बड़ी बात सामने आई है कि पंजाब के ADGP लॉ एंड ऑर्डर ने तीन बार चरणजीत सरकार को किसानों के धरने से रोड ब्लॉक होने के बारे में पहले से आगाह किया गया था। वहीं इस पर पुलिस को डायवर्जन प्लान बनाने के लिए भी कहा गया था।
जांच में सामने आया है कि एक जनवरी, तीन और 4 जनवरी को यह निर्देश भेजे भी गए थे, लेकिन पंजाब सरकार ने किसी भी स्तर पर इसे गंभीरता से नहीं लिया।
केंद्र द्वारा जारी लेटर में बारिश की वजह से बाय रोड वीवीआइपी मूवमेंट के लिए वैकल्पिक रूट्स तय रखने के भी निर्देश भेजे गए थे। इनपुट्स के आधार पर पंजाब पुलिस के एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर ने इसे लेकर लेटर जारी किया था। ऐसे में हाई लेवल पर अधिकारियों को पहले से ही पत्र के जरिए सूचना दे दी गई थी। इसके लिए पंजाब पुलिस के एडीजीपी ने इंटरनल मेमो सर्व किया था।
इधर गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पीएम नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे पर सुरक्षा में चूक पर गहरी चिंता जाहिर की है। इस मसले पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मोदी के बीच मुलाकात भी हुई। इससे पहले राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पंजाब की घटना के बारे में बात कर चिंता व्यक्त की है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यह बड़ी लापरवाही इसलिए भी है क्योंकि एक इंटरनेशनल बॉर्डर स्टेट में वो भी एक ओवर ब्रिज पर देश के पीएम का काफ़िला एक बंदी की तरह 15-20 मिनट तक खड़ा रहा। गंभीर मसला इसलिए है क्योंकि जहां भी पीएम का विजिट होता है, वहां एसपीजी की सिक्योरिटी एकाउंटेबिलिटी होने के साथ तो होती ही है, लेकिन सुरक्षा की पूरी ज़िम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की होती है जो राज्य पीएम का मेजबान होता है। ये नेशनल प्रोटोकॉल है। ऐसे में इस तरह की केयरलेस सिचुएशन में रहना वो भी महज एक बुलेट प्रूफ़ कार के भीतर ये बड़ी लापरवाही है।
इस मामले को अति गंभीरता से लिया गया है और पंजाब सरकार से रिपोर्ट तलब की गई है। शाह ने कहा कि इस पूरे मामले में निश्चत रूप से जवाबदेही तय होगी।
गृह मंत्री अमित शाह
सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें तो पीएम के किसी भी दौरे में सुरक्षा इंतजाम और जायजा लेने के लिए एसपीजी की टीम सबसे पहले पहुंचती हैं।
एसपीजी इस दौरान संबंधित प्रदेश के लोकल ख़ुफ़िया अधिकारियों से तालमेल बिठाती है। कहां और किस स्तर पर क्या व्यवस्था होनी चाहिए, क्या रूट रहेगा चाहिए ये सारा कुछ तय करती हैं। पुलिस आउटर सर्किल में सुरक्षा देती है और एसपीजी इनर सर्कल में।
पीएम के दौरे से पहले राज्य सरकार को सूचित किया जाता है और प्रधानमंत्री की सुरक्षा की दृष्टि से हर हरसंभव तैयारी की जाती है।
सिक्योरिटी एक्सपटर्स की मानें तो प्रधानमंत्री के काफ़िले को लेकर कभी भी एक स्थायी रूट नहीं होता है। पीएम रूट प्लानिंग में वैकल्पिक रूट्स भी पहले से तय होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि किसी रूट पर कोई परेशानी आए तो वैकल्पिक रूट से पीएम का कॉनवॉय आगे बढ़ सकता है।
सुरक्षा जानकारों के अनुसार बठिंडा एयरपोर्ट पर आने के बाद पीएम को आगे जाना था, लेकिन उस दौरान मौसम ठीक नहीं था। बठिंडा से फ़िरोज़पुर की दूरी करीब 110 किलोमीटर है। ऐसे में पीएम ने एयरपोर्ट पर रुककर मौसम के ठीक होने का वेट भी किया गया। बाद में सड़क मार्ग से जाना तय हुआ। ऐसी सिचुएशन में प्रोटोकॉल के तहत राज्य सरकार द्वारा सडन प्रिपरेशन भी की जाती है। जिसमें खासकर पीएम विजिट के लिए वैकल्पिक रूट पहले से तय रखा जाता है।
इस बीच कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पंजाब के सीएम चन्नी से बात की है। जिसमें उन्होंने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के मामले में कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी से विस्तृत जानकारी ली है। सोनिया गांधी ने सीएम चन्नी से बात की और कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा के मामले में पूरा ध्यान रखा जाए। जो भी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए और पूरी व्यवस्था की जाए।
प्रधानमंत्री सबके हैं और इस मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला
सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार बातचीत से हल निकल सकता था। यदि तब भी प्रदर्शनकारी नहीं मान रहे थे तो पीएम को प्रोटोकॉल के अनुसार दूसरा वैकल्पिक मार्ग देना चाहिए था।
वहीं यदि फिर भी स्थिति लोकल पुलिस के हाथ में नहीं थी तो पीएम कॉनवॉय के एयरपोर्ट से बढ़ने से पहले ही उन्हें सूचित कर देना चाहिए था।
क्योंकि बिना स्थानीय प्रदेश पुलिस के ग्रीन सिग्नल के पीएम का काफ़िला आगे नहीं बढ़ता। प्रोटेस्टर्स से बातचीत आम दिनों में की जा सकती थी,
ऐसे में देश के पीएम के काफिले को बाधित नहीं किया जा सकता। इसके लिए स्थानीय पुलिस को उसी समय रास्ता सेनेटाइज कराना चाहिए था। चाहे वो बलपूर्वक ही क्यों ना किया जाता।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा का पूरा इंतज़ाम था। मामले को जबरदस्ती तूल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, "इसमें कोई सुरक्षा का मामला नहीं है। उनको आंदोलनकारियों ने रोका और वे चले गए। मैं अब यही कहूंगा कि आगे से अच्छे से इंतज़ाम करूंगा।"
चरणजीत सिंह चन्नी‚ मुख्यमंत्री‚ पंजाब
'प्रधानमंत्री की जान को जोखिम में डाला गया और पंजाब पुलिस मूकदर्शक बनी रही।' "कांग्रेस के ख़ूनी इरादे नाकाम रहे। हमने कई बार कहा है कि कांग्रेस को नफ़रत मोदी से है लेकिन हिसाब हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री से न कीजिए। कांग्रेस को आज जवाब देना होगा।" " क्या जानबूझकर प्रधानमंत्री के सुरक्षा दस्ते को झूठ बोला गया? पीएम के पूरे काफिले को रोकने का प्रयास हुआ 20 मिनट तक पीएम की सुरक्षा भंग की गई, उन लोगों को वहां तक किसने पहुंचाया। "
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता स्मृति इरानी
प्रधानमंत्री के किसी भी विजिट से पूर्व एसपीजी मौके पर पहुंच कर रेकी करती है। इस दौरान एसपीजी के दल तैनात किया जाता है। इंटेलिजेंस ब्यूरो, राज्य की प्रोटेक्शन एजेंसी के साथ लगातार तालमेल बनाए रखती है।
इसके लिए एडवांस सिक्योरिटी लिएज़न (एएसएल) की बैठक की जाती है। इसमें एसपीजी के साथ लोकल पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन आॅफिसर्स मौजूद रहते हैं। बैठक में पीएम के प्रोग्राम के मिनट टू मिनट सुरक्षा का एनालेसिस किया जाता है। इस दौरान हर संभावित प्रदर्शनों का भी एनालिसिस होता है। वहीं इस बीच एंटी नेशनल एलिमेंट्स से खतरे का भी विश्लेषण किया जाता है।
पीएम दौरे से पहले पीएम मूवमेंट की पूरी ड्रिल होती है। इसी ड्रिल के अनुसार पीएम सिक्योरिटी की व्यवस्था की जाती है। इस पूरी व्यवस्था में हर तरह का सब्स्टीट्यूट बैकअप रखा जाता है। पीएम स्टे बैकअप भी रहता है, वहीं इमरजेंसी सिचुएशन में हाइली प्रोटेक्टिव प्लेस भी पीएम के लिए पहले से तैयार होते हैं।
ऐसे में तर्क दिया जा रहा है कि सडन रूट बदला गया, जबकि रूट इलेवंथ आवर में ही बदलते हैं। इसी की प्रोटोकॉल के तहत पहले से तैयारी होती है। ये भी कहा जा रहा है कि प्रदर्शनकारी एकदम से अचानक नहीं आए, उन्होंने भी पहले से तैयारी की होगी। प्रदर्शनकारियों को रोका जा सकता था।
स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप या विशेष सुरक्षा दल 1985 में स्थापित किया गया था। इसका मकसद प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार के करीबी सदस्यों को सुरक्षा देना था। लेकिन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ साल बाद 1988 में एसपीजी यानि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप को अस्तित्व में लाया गया।
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का सालाना बजट 375 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। बता दें कि इसे देश की सबसे महंगी और पुख्ता और हाई एंड सिक्योरिटी सिस्टम माना जाता है।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लापरवाही के मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है। सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने एससी से इस मामले की जांच करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बठिंडा के जिला एवं सेशन जज को निर्देश दिए जाएं कि वे इस मामले में पुलिस की ओर से बरती गई लापरवाही से जुड़े सभी सबूत इकट्ठा करें। इस याचिका पर चीफ जस्टिस की बेंच अब कल सुनवाई करेगी।