PM Race in Opposition: केसीआर की मेगा रैली में अखिलेश, अरविंद; कांग्रेस की उम्मीदों को झटका

PM Race in Opposition: के चंद्रशेखर राव की रैली में अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव का शामिल होना कांग्रेस के विपक्षी एकता के प्रयास को बड़ा झटका है। जानें इस सियासत के मायने...
PM Race in Opposition: केसीआर की मेगा रैली में अखिलेश, अरविंद; कांग्रेस की उम्मीदों को झटका

PM Race in Opposition: वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों के साझा प्रयास में अभी से फूट नजर आने लगी है। ऐसे में यह तो तय है कि विपक्षी पार्टियों के लिए प्रधानमंत्री उम्मीदवार तय करना आसान काम नहीं होगा। विपक्ष में कई बड़े चेहरे हैं जिनमें से किसी एक पर एक राय होना आसान काम नहीं है।

एक तरफ कांग्रेस अपनी रणनीति बनाने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव (केसीआर) की मेगा रैली भी इसी दिशा में एक प्रयास है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर विपक्ष के 21 दलों को कांग्रेस का आमंत्रण और अब केसीआर की मेगा रैली में अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव का शामिल होना इस फूट की ओर स्पष्ट इशारा है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा उत्तर प्रदेश से होकर गुजरी थी, लेकिन इस यात्रा में बुलावे के बावजूद सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव शामिल नहीं हुए। यूं भी अखिलेश पूर्व में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुके, उनका यह प्रयोग विफल रहा।

केसीआर की रैली में पहुंचे अरविंद, अखिलेश

बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के एक दिन बाद तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने विपक्षी पार्टियों की मेगा रैली आयोजित की है। इस रैली में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी पहुंचे हैं।

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं होने वाले अखिलेश यादव के हैदराबाद जाने को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। अखिलेश यादव पहले भी केसीआर, शरद पवार और ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बता चुके हैं।

तीन प्वॉइंट्स में जानें इसके मायने

1. तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद

अखिलेश यादव मजबूत क्षेत्रीय क्षत्रपों का शुरू से समर्थन करते आ रहे हैं। इनमें ममता बनर्जी, शरद पवार, लालू यादव और केसीआर का नाम प्रमुख हैं। इन नेताओं ने अपने-अपने राज्यों में बीजेपी से कड़ा मुकाबला किया है।

तीसरा मोर्चा यानी थर्ड फ्रंट बनाने को लेकर अभी तक किसी भी नेता ने औपचारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, क्षेत्रीय क्षत्रप जिस तरह एकजुट हो रहे हैं, उससे इसकी अटकलें लग रही है। अखिलेश यूपी में एक मोर्चा बनाकर 2022 के चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर दे भी चुके हैं।

2. यूपी में सीट शेयरिंग नहीं करना पड़ेगा

केसीआर की पार्टी भारतीय राष्ट्र समिति का आधार वोट तेलंगाना में है। केसीआर अलग तेलंगाना की मांग को लेकर राजनीति की ऊंचाईयों पर पहुंचे हैं। चुनाव आयोग की ओर से केसीआर को एम्बेसडर कार चुनाव चिह्न मिला है।

तेलंगाना के अलावा केसीआर का किसी भी राज्य में जनधार नहीं है। अखिलेश जानते हैं कि केसीआर के साथ जाने से उनकी पार्टी को यूपी में सीटें नहीं देनी पड़ेगी।

3. कांग्रेस की कवायद पर पानी फेरना

कांग्रेस ने 30 जनवरी को 16 विपक्षी पार्टियों को राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का न्यौता दिया है। हालांकि केसीआर, अरविंद केजरीवाल और असदुद्दीन ओवैसी को आमंत्रण नहीं भेजा गया है।

अखिलेश केसीआर की रैली में जाकर कांग्रेस की विपक्षी एकता की हवा निकालने की कोशिश में है। अखिलेश कई दफे कांग्रेस और बीजेपी के अलावा थर्ड फ्रंट की वकालत कर चुके हैं।

कांग्रेस की केसीआर से दूरी क्यों?

2014 से पहले केसीआर कांग्रेस गठबंधन के साथ थे। उन्होंने सोनिया गांधी से वादा किया था कि तेलंगाना राज्य बनने के बाद अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर लेंगे। 2013 में कांग्रेस ने लोकसभा में आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना राज्य बना दिया। तेलंगाना बनने के बाद केसीआर मुकर गए। इतना ही नहीं, कई मौकों पर उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर जमकर हमला भी किया। तेलंगाना में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही राहुल गांधी ने ऐलान किया था कि केसीआर को साथ नहीं रखा जाएगा।

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