
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश पर शहरी विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग कॉलोनियों ऐसी कॉलोनियों की सूची तैयार कर रहा है । इसके लिए विकास प्राधिकरण, नगरीय विकास न्यास एवं नगरीय निकायों से तत्काल विस्तृत जानकारी मांगी गई है। इसमें 1 से 1.5 लाख प्लॉटधारक होने का अनुमान है। यह काम प्रशासन शहरों के साथ अभियान के तहत किया जाएगा ।
न तो कानून, न नीति, कम्फर्ट जोन भी गायब है, ऐसे में जनता से आपत्ति और सुझाव लेना अनिवार्य है, लेकिन न तो नीति और न ही कानून का मसौदा तैयार किया जा रहा है। अगर ऐसा नहीं होता है तो यह मनमानी होगी। लोगों को कंफर्ट जोन भी नहीं मिलेगा। हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि मास्टर प्लान का पालन किया जाए और सुनियोजित विकास किया जाए। लेकिन मंत्री और उनके विभाग के चहेते अधिकारी लगातार इस आदेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं. व्यापक जनहित की आड़ में अवैध बंदोबस्त को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इन विभागों, राज्य उपक्रमों की जमीन पर नजर रखते हुए। सरकार ने नियमन के लिए रीको से एनओसी भी मांगी थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने इसके पीछे हाईकोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया, जिसमें संबंधित मामलों में दावा न की गई जमीन पर बसी कॉलोनी को नियमित नहीं करने के आदेश हैं । निकायों और कॉलोनियों को उनकी लावारिस जमीन पर विनियमित करने का निर्णय पूर्व में लिया गया है। इसमें बस्ती का नियमन 31 दिसंबर 2013 तक किया जाएगा।