Religious Reservation: बंगाल, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु… हर जगह OBC का हक मार रहे मुस्लिम

Religious Reservation: कई राज्यों में गैर भाजवाई सरकारों ने मुस्लिमों को ओबीसी में आरक्षण दे रखा है। यह कारण है कि PM मोदी को कहना पड़ा- 'मेरे जीते जी नहीं चलेगा मजहबी आरक्षण'।
Religious Reservation: बंगाल, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु… हर जगह OBC का हक मार रहे मुस्लिम

PM Modi on Religious Reservation: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के दौरान स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा अनुसूचित जनजाति (ST), अनुसूचित जाति (SC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का आरक्षण मुस्लिमों में बाँटने नहीं देगी। पीएम मोदी ने विपक्षी दलों पर धर्म के आधार पर आरक्षण देने की विपक्षी दलों की घोषणा का पुरजोर विरोध किया।

तेलंगाना के जहीराबाद में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने मंगलवार (30 अप्रैल 2024) को कहा, “कांग्रेस वाले सुन लें… उनके चट्टे-बट्टे सुन लें… उनकी पूरी जमात सुन ले… जब तक मोदी जिंदा है, मैं दलितों का, एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण धर्म के आधार पर मुसलमानों को नहीं देने दूँगा… नहीं देने दूँगा।”

धर्म के आधार पर आरक्षण लागू नहीं होने देंगे : मोदी

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “कांग्रेस फिर से देश को उन्हीं पुराने दिनों में ले जाना चाहती है। अगर कांग्रेस सत्ता में आ गई तो वे विरासत कर लाएँगे। कांग्रेस विरासत (माता-पिता से प्राप्त धन-संपत्ति) पर टैक्स लगाकर आपकी 55 प्रतिशत संपत्ति पर कब्जे की योजना बना रही है।” इससे पहले भी पीएम मोदी ने कॉन्ग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया था।

पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह धर्म के आधार पर देश में आरक्षण लागू नहीं होने देंगे। भारत का संविधान भी धर्म के आधार पर आरक्षण देने की व्यवस्था पर रोक लगाता है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी कहा है कि कर्नाटक सरकार ने मुस्लिम समुदाय की सभी जातियों को ओबीसी में शामिल कर लिया है जो संवैधानिक रूप से गलत है।

इन राज्यों की सरकारों ने दिया धर्म के आधार पर आरक्षण

तेलंगाना : तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (BRS) की सरकार में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने राज्य के मुस्लिमों को OBC श्रेणी में 4 प्रतिशत आरक्षण दिया था। वे इस आरक्षण को बढ़ाकर 12 प्रतिशत करना चाहते थे। इसके लिए वो तेलंगाना की विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पास करा चुके हैं, लेकिन केन्द्र सरकार ने प्रस्ताव को अपनी मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया। अभी तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है।

आंध्र प्रदेश : आंध्र प्रदेश में सीएम वाईएस राजशेखर रेड्डी की अगुवाई में कांग्रेस सरकार ने साल 2004 में मुस्लिमों की कई जातियों को ओबीसी में शामिल कर लिया और इन्हें 5 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की। दो माह बाद आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद जून 2005 में कांग्रेस ने अध्यादेश लाकर 5 प्रतिशत कोटे का ऐलान कर दिया।

पश्चिम बंगाल : साल 2011 में पश्चिम बंगाल की सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुस्लिमों को अधिक से अधिक फायदा पहुँचाने के लिए मुस्लिमों की कई जातियों को ओबीसी की लिस्ट में जोड़ा। इसका परिणाम यह हुआ कि राज्य की नौकरी या अन्य सरकारी योजनाओं में आरक्षण का 90% से अधिक फायदा मुस्लिमों को मिला है। पश्चिम बंगाल में सरकारी संस्थाओं और नौकरियों में 45% आरक्षण का प्रावधान है, जिसमें 17% ओबीसी, 28% फीसदी आरक्षण समाज के एससी/एसटी जातियों को दिया जाता है। बंगाल में ओबीसी की दो कैटेगरी- A और B है। दरअसल, A कैटेगरी के अति पिछड़ा वर्ग में 81 जातियों में से 73 जातियाँ मुस्लिम हैं, जबकि मात्र 8 जातियाँ हिंदू हैं। वहीं, ओबीसी के B कैटेगरी की 98 जातियों में से 45 मुस्लिम हैं।

तमिलनाडु: तमिलनाडु में धर्म के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की गई है। तमिलनाडु सरकार ने मुस्लिमों और ईसाइयों में प्रत्येक के लिए 3.5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है। इस तरह ओबीसी आरक्षण को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 23 प्रतिशत कर दिया गया है। मुस्लिमों या ईसाइयों से संबंधित अन्य पिछड़े वर्ग को इससे हटा दिया गया था। इसके पीछे सरकार की दलील थी कि यह उप-कोटा धार्मिक समुदायों के पिछड़ेपन पर आधारित है न कि खुद धर्मों के आधार पर। दरअसल, द्रमुक सरकार ने इसे आगे बढ़ाया।

केरल : धर्म के आधार पर आरक्षण देने का सबसे पहला मामला केरल से आया। 1956 में केरल के पुनर्गठन के बाद वामपंथी सरकार ने आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाकर 50 कर दिया गया, जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षण 40% शामिल था। सरकार ने ओबीसी के भीतर एक उप-कोटा पेश किया जिसमें मुस्लिम हिस्सेदारी 10% थी। वर्तमान में केरल की सरकारी नौकरियों में मुस्लिम हिस्सेदारी बढ़कर 12% और व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थानों में 8% हो गई है। उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बावजूद केरल में सभी मुसलमानों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसके आधार पर उन्हें ओबीसी कैटेगरी में शामिल किया गया है।

बिहार: बिहार में गरीब मुस्लिमों को पिछड़ी जातियों में शामिल किया गया है। बिहार में 1970 के दशक से पिछड़ी जातियों के लिए कोटा है। उस समय कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री थे। यहाँ जनता पार्टी की सरकार थी। बिहार में जिन मुस्लिमों को पिछड़ा कहा गया है, उमें अंसारी, मंसूरी, इदरीसी, दफाली, धोबी, नालबंद, आदि शामिल हैं। उन्हें नौकरी आदि में 3% कोटा का लाभ मिलता है। पंचायत निकायों में भी ईबीसी के लिए आरक्षित 20% में मुस्लिम हैं।

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