नहीं रहे विनोद दुआ , जानिए कैसे थिएटर करते हुए बन गऐ देश के प्रसिद्ध पत्रकार

लम्बे समय से बीमारी से जूझ रहे अस्पताल में भर्ती वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ का निधन हो गया। बेटी मल्लिका ने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए निधन की जानकरी दी। मल्लिका ने लोगों से पिता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने की अपील की। विनोद दुआ का अंतिम संस्कार लोधी शमशान घाट पर किया जाएगा।
Vinod dua with her wife and daughter
Vinod dua with her wife and daughter

लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे अस्पताल में भर्ती वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ का शनिवार को निधन हो गया। उनकी बेटी मल्लिका ने इंस्टाग्राम स्टोरी के माध्यम से ये जानकारी दी। मल्लिका ने इस दौरान लोगों से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने की अपील की। इंस्टा स्टोरी में उन्होंने बताया कि उनके पिता का अंतिम संस्कार लोधी श्मशान घाट पर किया जाएगा। आपको बतादें कि पिछले दिनों विनोद दुआ की मृत्यु को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाह भी फैलाई जिसका थी जिसका उनकी बेटी ने इंस्टाग्राम पोस्ट पर ही खंडन किया था। तब से लेकर उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। वे आईसीयू में भर्ती थे। आइये आपको बताते हैं विनोद दुआ से जुड़े रौचक तथ्यों के बारे में... और बताते है कि कैसे पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा के डेरा इस्माईल से बंटवारे के वक्त उनका परिवार भारत आया और कैसे विनोद थिएटर में हाथ आजमाते हुए देश के नामी पत्रकार बन गए।

शुरूआती जीवन ऐसा रहा...

दिवंगत विनोद दुआ का बचपन दिल्ली रेफ्यूजी कॉलोनी में बीता। उनके माता-पिता पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा के डेरा इस्माईल से बंटवारे के वक्त आये सरायकी हिंदू थे। अपने स्कूल कॉलेज के दिनों में वह गायन , वाद विवाद जैसे कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया करते थे। १९८० के दशक तक उन्होंने थियेटर में अभिनय का काम भी किया करते थे। श्रीराम सेंटर फॉर आर्ट एंड कल्चर के सूत्रधार कठपुतली ने बच्चों के लिए विनोद दुआ द्वारा लिखे गए दो नाटकों का प्रदर्शन किया था। विनोद एक स्ट्रीट थियेटर अभिनय करने वाले ग्रुप के भी सदस्य थे‚ जिसका नाम थिएटर यूनियन था। ये ग्रुप दहेज जैसे मुद्दों को लेकर नाटकों का मंचन किया करता था।

युवा मंच से की थी पहले टेलीविजन कार्यक्रम की शुरुआत

उन्होंने हंस राज कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्यालय से साहित्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की। नवंबर 1974 में, विनोद ने युवा मंच में अपना पहला टेलीविजन कार्यक्रम का प्रदर्शन किया, ये एक हिंदी भाषा का युवा कार्यक्रम था, जिसे दूरदर्शन (जिसे पहले दिल्ली टेलीविजन कहा जाता था) पर प्रसारित किया गया था।

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