
Bundelkhand Expressway योगी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसमें लगभग 18000 करोड़ रूपए की लागत लगाई गई है। लेकिन ये 18 हजार करोड़ की लागत वाला एक्सप्रेस वे 18 दिन भी नहीं चल पाया। उद्घाटन के 5वें दिन ही बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे की सड़क धंस गई। लोकार्पण के पहले बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को मजबूती की मिसाल बताया जा रहा था लेकिन बारिश ने सरकार के खोखले दावों की पोल खोल दी है।
उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे (Bundelkhand Expressway) जो कि सीएम योगी ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी की भी एक महत्वाकांक्षी योजना था। आज से 5 दिन पहले ही खुद प्रधानमंत्री मोदी ने जालौन जाकर इस एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया था। अब चूंकि ये प्रोजेक्ट इतना महत्वाकांक्षी तो इस पर अच्छा खासा पैसा भी खर्च किया गया था।
प्रदेश सरकार ने इस एक्सप्रेस-वे पर 18हजार करोड़ रूपए खर्च किए। देश भर के बड़े बड़े इंजीनियर्स ने बेहद बारीकी इसकी मजबूती का ध्यान रखा था लेकिन पहली बारिश ही इस एक्सप्रेस वे पर भारी पड़ गई। जरा सी बारिश के चलते जालौन में एक्सप्रेस-वे पर सड़क धंस गई। सोशल मीडिया पर इसका विडियो सामने आया है।
जानकारी के अनुसार एक्सप्रेस वे के 195 किलोमीटर के खंभे के पास बुधवार 20 जुलाई को रात में तेज बारिश में सड़क धंस गई। सड़क धंसते ही कार्यदायी संस्था UPEIDA ने मरम्मत कार्य शुरू कर दिया। आखिर कार्यदायी संस्था ने जिम्मेदारी दिखाई और तुरंत काम शुरू कर दिया लेकिन अगर इसी जिम्मेदारी से ये संस्था सड़क बनाते समय काम करती तो शायद ये दृश्य नहीं देखना पड़ता। फिलहाल सड़क धंसने पर कोई भी अधिकारी बोलने से बच रहा है।
सरकार के दावों की पोल खुलते ही विपक्ष भी एक्टिव हो गया। सपा ने ट्विटर पर वीडियो ट्वीट की और कहा कि 'बारिश ने खोल दी अधूरे बुंदेलखंड एक्स्प्रेस-वे की पोल. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पित बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का बारिश में निकला दम. अधूरे एक्सप्रेस-वे को बुंदेलखंडियों के लिए सौगात बताने वाली भाजपा सरकार जनता को गुमराह कर रही है. शर्म करो प्रचारजीवी सरकार.'
साथ ही सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कहा है कि 'ये है भाजपा के आधे-अधूरे विकास की गुणवत्ता का नमूना… उधर बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का बड़े लोगों ने उद्घाटन किया ही था कि इधर एक हफ़्ते में ही इस पर भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े गड्ढे निकल आए. अच्छा हुआ इस पर रनवे नहीं बना.'
खैर लागत जो भी हो परिणाम ये है कि ये एक्सप्रेस वे पहली बारिश में धंस गया। सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट का इस तरह धंसना कहीं न कहीं प्रशासन और सरकार दोनों पर ही बड़ा सवाल उठाता है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है। कमी किसकी थी ये तो जांच के बाद ही सामने आएगा।