(Supreme Court To Unique Identification Authority Of India) सुप्रीम अदालत ने गुरुवार को यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) की ओर से जारी एक प्रोफार्मा प्रमाण पत्र के आधार पर सेक्स वर्कर्स को भी आधार कार्ड जारी करने का निर्देश दिया है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति के साथ सम्मान पूर्ण व्यवहार करना उसका मूलभूत अधिकार है।
पीठ ने कहा कि हर व्यक्ति को उसके काम के बावजूद गरिमा के साथ व्यवहार किए जाने का अधिकार है और इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए। UIDAI ने पहले SC को सुझाव दिया था कि पहचान के प्रमाण पर जोर दिए बिना सेक्स वर्कर्स को आधार कार्ड जारी किया जा सकता है, बशर्ते कि वे NACO के गजिटेड ऑफिसर या संबंधित राज्य सरकारों के स्वास्थ्य विभाग के गजिटेड ऑफिसर द्वारा जारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें।
इसके बाद SC ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे उन सेक्स वर्कर्स की पहचान करें, जिनके पास पहचान का कोई प्रमाण नहीं है और जिन्हें राशन नहीं मिल रहा है। अदालत ने पहले कहा था कि इस काम के लिए राज्य सरकारें समुदाय आधारित संगठन का समर्थन लेंगी और NACO द्वारा तैयार की गई लिस्ट पर भरोसा करेंगी। इसके बाद राशन कार्ड के अलावा सेक्स वर्कर्स को मतदाता पहचान पत्र जारी करने के लिए भी कदम उठाएंगी।
जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस काम में सेक्स वर्कर्स की पहचान उजागर नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि UIDAI द्वारा जारी एक प्रोफार्मा प्रमाण पत्र के आधार पर सेक्स वर्कर्स को आधार कार्ड जारी किए जाएंगे। यह नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (NACO) के अधिकारी या स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की ओर से नामांकन फॉर्म के साथ सबमिट किया जाएगा।
कोर्ट ने कोरोना के कारण सेक्स वर्कर्स की समस्याओं पर एक याचिका की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए। कोर्ट ने पिछले साल 29 सितंबर को केंद्र और राज्यों को सेक्स वर्कर्स को पहचान प्रमाण पत्र के बिना सूखा राशन उपलब्ध कराने के लिए कहा था। याचिका में पूरे भारत में नौ लाख से अधिक महिला और ट्रांसजेंडर सेक्स वर्कर्स के लिए राहत उपायों की मांग की गई।