डेस्क न्यूज़- 'जिस तरह मछली पानी के बाहर नहीं रह सकती, उसी तरह मैं भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकती' दीदी '। मैं माफी मांगता हूं और अगर आपने मुझे माफ नहीं किया तो मैं जी नहीं पाऊंगा। मुझे वापस आने दो और जीवन को तुम्हारे स्नेह की छाया में जीने दो। ' ये शब्द पश्चिम बंगाल की पूर्व डिप्टी स्पीकर और विधायक सोनाली गुहा के हैं, जो चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं थी। TMC छोड़ BJP में गए नेता घर वापसी की कोशिश कर रहे हैं।
कुछ नेता जो तृणमूल कांग्रेस छोड़कर पश्चिम बंगाल विधानसभा
चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे, अब सत्ताधारी पार्टी की
शानदार जीत के बाद ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी में फिर
से शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं। सोनाली गुहा के साथ हबीबपुर
से टिकट मिलने के बावजूद भाजपा में शामिल हुए सरला मुर्मू और उत्तर दिनाजपुर से पूर्व विधायक अमोल आचार्य भी
'घर वापसी' के लिए हाथ-पैर मार रहे नेताओं में शामिल हैं।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस छोड़ने के बाद भाजपा में शामिल हुई पूर्व विधायक सोनाली गुहा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर पार्टी छोड़ने के लिए माफी मांगी और उनसे पार्टी में शामिल होने का अनुरोध किया। गुहा ने इस लेटर को सोशल मीडिया पर शेयर भी किया है। गुहा ने कहा कि भावनाओं में बहकर उन्होंने पार्टी छोड़ी है।
उन्होंने कहा, 'मैं टूटे हुए दिल से लिख रहा हूं कि मैंने किसी और पार्टी में शामिल होने का फैसला किया था और मैं वहां नहीं आभ्यस्त नही हो पाई।' उसने कहा, "जिस तरह से मछली पानी से बाहर नहीं रह सकती, उसी तरह मैं 'दीदी' के बिना नहीं रह सकती। मैं माफी मांगती हूं और अगर आपने मुझे माफ नहीं किया, तो मैं जी नही पाऊंगी। मुझे वापस आने दो और तुम्हारे स्नेह की छाया में जीवन को बिताने दो।'
वहीं सरला मुर्मू ने भाजपा में शामिल होने को अपनी गलती बताया, और कहा कि वह चाहती हैं कि ममता बनर्जी उन्हें माफ कर दें। मुर्मू ने कहा, 'अगर वह मुझे स्वीकार करती है तो मैं उसके साथ रहूंगी और पार्टी के लिए कड़ी मेहनत करूंगी।' मुर्मू को मालदा के हबीबपुर से टिकट दिया गया था। लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक वह मालदा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहती थीं। उन्होंने कहा, 'मैंने गलती की है और मैं चाहती हूं कि दीदी मुझे माफ कर दें।'
ऐसा ही दो बार के टीएमसी विधायक और उत्तर दिनाजपुर के जिलाध्यक्ष अमोल आचार्य के साथ भी है। टिकट नहीं मिलने पर वह भाजपा में शामिल हो गए थे, लेकिन वहां भी उनके हाथ खाली रहे। सीबीआई के दबाव को पार्टी छोड़ने के पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने हमेशा ममता बनर्जी को अपना नेता माना है। बीजेपी की बदले की राजनीति का पर्दाफाश हो गया है। मैंने ममता बनर्जी को पत्र भी लिखा है और माफी भी मांगी है।