Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट के 9 जज मंगलवार को एक साथ पद गोपनीयता की शपथ लेंगे। इस मौके पर जो रिकॉर्ड बनेगा वह इससे पहले कभी नहीं बना। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में कभी इतने जजों ने एक साथ शपथ नहीं ली है। खास बात यह है कि शपथ लेने वालों जजों में तीन महिलाएं भी शामिल हैं। इनमें से जस्टिस बीवी नागरत्ना एक ऐसी जज हैं जो 2027 के आसपास देश की मुख्य न्यायाधीश बनेंगी।
इसके साथ ही शपथ लेने वालों में जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी मई 2028 में मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में आखिरी बार सितंबर 2019 में जजों की नियुक्ति हुई थी। उसके बाद से यहां जज रिटायर होते जा रहे थे, लेकिन नियुक्ति नहीं हो रही थी।
17 अगस्त को हुई कॉलेजियम की बैठक के बाद जिन 9 जजों की नियुक्ति की सिफारिश केंद्र ने पिछले दिनों मंजूरी दी थी उनमें कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एएस ओका, गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विक्रम नाथ, सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी, केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सीटी रवींद्र कुमार केरल हाईकोर्ट के जज जस्टिस एमएम सुंदरेश शामिल हैं।
वहीं, कॉलेजियम ने जिन तीन महिलाओं को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है, उनमें तेलंगाना हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस हिमा कोहली, गुजरात हाईकोर्ट की जज जस्टिस बेला त्रिवेदी कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरत्ना हैं।
दरअसल पिछले हफ्ते ही जस्टिस आरएफ नरीमन के रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों के 9 पद खाली थे। उनके रिटायर होने के बाद जस्टिस एलएन राव कॉलेजियम में शामिल हो गए थे। सूत्रों के मुताबिक, कॉलेजियम सदस्यों के बीच वैचारिक मतभेद होने की वजह से नामों पर सहमति नहीं बन पा रही थी, जिस वजह से नियुक्तियां अटकी हुई थीं।
बुधवार को जस्टिस नवीन सिन्हा भी रिटायर हो गये हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में खाली पड़े जजों के पदों की संख्या 10 हो जाएगी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जजों की तय संख्या चीफ जस्टिस समेत 34 है। अब जस्टिस नवीन सिन्हा के रिटायरमेंट के बाद जजों की संख्या 24 रह जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में वकीलों को सीधे जज बनाने की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 124 से आती है। इसके अनुसार वह व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट में जज बन सकता है। जो कम से कम पांच साल हाईकोर्ट के जज रहे हों या हाईकोर्ट में कम से कम 10 साल वकालत की हो या राष्ट्रपति की राय में प्रमुख न्यायविद हो, लेकिन सु्प्रीम कोर्ट में अब तक तीसरी श्रेणी के लोगों को जज नहीं बनाया गया है। जो भी वकील सीधे जज बने हैं वह दूसरी श्रेणी यानी वकालत पेशे से ही आते हैं।