आशीष मिश्रा की बेल रद्द, SC ने कहा, एक हफ्ते में सरेंडर करो, दलील- HC ने पीड़ित पक्ष को नजरअंदाज किया

फैसला सुनाते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर भी सवाल उठाया। इस फैसले तहत ही आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) को जमानत दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने दलील में कहा कि हाईकोर्ट ने फैसला लेते समय पीड़ित पक्ष को नजरअंदाज किया सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद ही लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) हिंसा मामले की जांच के लिए SIT का गठन भी किया गया था। SIT ने अपनी जांच में आशीष मिश्रा को लखीमपुर कांड का मुख्य आरोपी और साजिशकर्ता बताया था।
आशीष मिश्रा की बेल रद्द, SC ने कहा, एक हफ्ते में सरेंडर करो, दलील- HC ने पीड़ित पक्ष को नजरअंदाज किया

सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की (supreme court cancels ashish misra bail) जमानत रद्द कर दी है। साथ ही कोर्ट ने आशीष मिश्रा को एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है। आशीष मिश्रा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे हैं, जिन पर लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से कुचलने का आरोप है, जो 3 अक्टूबर को विरोध कर रहे थे। फैसला सुनाते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर भी सवाल उठाया। इस फैसले तहत ही आशीष मिश्रा को जमानत दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने दलील में कहा कि हाईकोर्ट ने फैसला लेते समय पीड़ित पक्ष को नजरअंदाज किया और अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण कर ये फैसला सुनाया।

जमानत पर उठेते सवाल

supreme  court
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मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की अर्जी पर सुनवाई पूरी करते हुए चार अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले 14 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी, जिस पर सवाल उठाए गए थे।

पीड़ित किसानों के परिजनों ने एसी में लगाई थी याचिका

फैसले को चुनौती देते हुए लखीमपुर कांड में मारे गए किसानों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 3 अक्टूबर को लखीमपुर में हुई इस घटना में कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी, इनमें से 4 लोगों को बीजेपी नेताओं के काफिले की कार ने कुचल दिया था। इसके बाद हिंसा में एक पत्रकार समेत 4 अन्य लोगों की मौत हो गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय में क्या कहां

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष को नजरअंदाज किया।

  • आशीष मिश्रा को जमानत आनन फानन में दी गई।

  • आशीष को जमानत देने पर वे केस को प्रभावित कर सकता है।

  • आशीष मिश्रा एक हफ्ते में करे सरेंडर।

  • आशीष मिश्रा चाहें तो नए सिरे से इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत की याचिका दायर करें।

SC - आशीष चाहे तो जमानत के लिए फिर से इलाहबाद HC में याचिका दायर करे

आशीष मिश्रा के लिए राहत की बात ये है कि वो फिर से जमानत के लिए अपील कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि आशीष मिश्रा फिर से इलाहाबाद कोर्ट में नई जमानत के लिए नई याचिका दायर करे। इलाहाबाद हाईकोर्ट इस पर दोबारा विचार कर सकता है। ऐसे में आशीष के लिए एक रास्ता अभी भी खुला है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत देने में जल्दबाजी की और सभी पक्षों को नहीं सुना।

SIT की चार्टशीट में आशीष मिश्रा था मुख्य आरोपी

इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने मामले को फिर से उच्च न्यायालय के समक्ष भेज दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि इस मामले में कोई नया मामला सामने आता है तो इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही अपील की जाए। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद ही लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन भी किया गया था। SIT ने अपनी जांच में आशीष मिश्रा को लखीमपुर कांड का मुख्य आरोपी और साजिशकर्ता बताया था। इतना ही नहीं हाईकोर्ट से दी गई जमानत पर भी एसआईटी ने सवाल उठाए थे। अब एक बार फिर मिश्रा की जमानत खारिज होने से लखीमपुर खीरी मामला सुर्खियों में आ गया है।

हादसे में चार किसानों समेत कुल 8 की मौत हुई थी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी। आशीष 129 दिन बाद 15 फरवरी को जेल से रिहा हुआ था। बता दें कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में किसान आंदोलन के दौरान बवाल हुआ था। प्रदर्शन कर रहे लोगों को कुचलते हुए तीन वाहन गुजर गए थे। इस घटना में चार किसानों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी। कार से कुचले गए किसानों के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
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