आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए सरकार की ओर से संसद में पारित किये गये आरक्षण (EWS) के प्रावधान को और मुस्लिम एसईबीसी आरक्षण की वैधता को चुनौती देने वाले मामलों पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई करेगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ 13 सितंबर से इस मामले में सुनवाई करेगी। जबकि 6 सितंबर को सुनवाई की रूपरेखा तय होगी।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की संवैधानिक वैधता और आंध्र प्रदेश में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) के रूप में मुसलमानों को दिए गए आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामलों में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 13 सितंबर से सुनवाई शुरू करेगी। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 6 सितंबर को मामले की सुनवाई की रूपरेखा बनाने और पूरा करने की समय सीमा तय करने का फैसला किया है।
पीठ ने कहा कि मामलों की सुनवाई 13 सितंबर से शुरू होगी। मुस्लिम एसईबीसी आरक्षण से संबंधित मामला 2005 की सिविल अपील है, जो यह मुद्दा उठाती है कि क्या एक समुदाय के रूप में मुसलमानों को अनुच्छेद 15 और 16 के तहत सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित किया जा सकता है। दूसरा मामला संविधान 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता से संबंधित है, जिसने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) (डब्ल्यूपी (सी) संख्या 55/2019) के लिए आरक्षण का प्रावधान पेश किया।
पांच न्यायाधीशों की पीठ इन मामलों को लेने के लिए सहमत हुई है। बेंच पहले EWS मामले को उठाएगी, उसके बाद मुस्लिम SEBC आरक्षण मसले पर सुनवाई करेगी। पीठ ने चारों वकीलों शादान फरासत, नचिकेता जोशी, महफूज नाजकी और कानू अग्रवाल को नोडल वकील नियुक्त किया है।