Tawang Clash: हजारों वर्ग गज जमीन छोड़ने वाले कह रहे 'सरकार मूकदर्शक'! ये कैसी कांग्रेस नीति?

Tawang Clash LIVE: तवांग सेक्टर में चीनी सैनिकों को खदेड़ने वाले भारतीय सैनिकों का मनोबल गिराने का एक बार फिर प्रयास हुआ है। कांग्रेस इस पर भड़ाऊ बयान दे रही है, जबकि नेहरू के समय चीन ने हमारे 44000 वर्ग किमी भूभाग पर कब्जा कर लिया था और वे ‘हिंदी, चीनी भाई-भाई’ का नारा लगा रहे थे।
Tawang Clash: हजारों वर्ग गज जमीन छोड़ने वाले कह रहे 'सरकार मूकदर्शक'! ये कैसी कांग्रेस नीति?
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Tawang Clash Update: भारतीय और चीनी सैनिकों की अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास 9 दिसंबर को झड़प हुई, जिसमें दोनों पक्षों के कुछ जवान घायल होने के समाचार हैं। सरकार ने भी यह बात स्वीकारते हुए इस पर राज्यसभा और लोकसभा में स्पष्टीकरण दिया है, लेकिन कांग्रेस है कि हमेशा की तरह ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर भी सरकार और भारतीय सेना के साथ खड़ी होने की बजाय उकसाने वाले बयान देकर ओछी राजनीति करने पर तुली है।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से सीमा पर विवाद जारी है। एक तरफ चीन बार-बार उकसाने वाली हरकतें कर रहा है, दूसरी तरफ कांग्रेस भी उसी की भाषा बोलते नजर आ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि चीन देश की अखंडता और सुरक्षा को खुलेआम चुनौती दे रहा लेकिन हमारी सरकार चुपचाप बैठी है।

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के इस बयान का आखिर क्या मतलब निकाला जाए? क्या भारतीय सैनिकों की मुंहतोड़ जवाबी कार्रवाई कम है जिसमें चीनी सैनिक अधिक घायल हो रहे हैं? क्या भारत सरकार को हमारी सेना को चीनी सैनिकों जैसी हरकत करने की इजाजत दी जाए, जिससे युद्ध की आग भड़के? क्या कांग्रेस इस मुद्दे को हवा देकर केंद्र की सत्ता पाने का ख्वाब देख रही है? क्या पहले राहुल गांधी की चीन यात्रा के दौरान चीन से कोई ऐसा गुप्त समझौता हुआ था, जिससे कांग्रेस का यूं हित सधता हो?

नेहरू के साथ चीनी प्रीमियर झाउ एन लाई
नेहरू के साथ चीनी प्रीमियर झाउ एन लाई

तब नेहरू ने दिया ‘हिंदी, चीनी भाई-भाई’ का नारा

अप्रैल 29, 1954 को भारत और चीन के बीच पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर हुए। चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता रहा और नेहरू ‘हिंदी, चीनी भाई-भाई’ की ग़लतफ़हमी में अटके रहे। अक्साई चीन पर भी चीन ने अपना दवा ठोक डाला। 1956 में चीन के पहले प्रीमियर झोउ एनलाई ने कहा कि चीन किसी भी भारतीय क्षेत्र पर दावा नहीं करता। बाद में वो पलट गए।

फिर खो दी 44000 वर्ग Km जमीन, 3250 जवान बलिदान

वर्ष 1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध हुआ। चीन ने 4 दिनों के भीतर ही भारत को अच्छा-खासा नुकसान पहुंचाया। वहां की सेना अक्टूबर 24, 1962 तक भारत में 15 किलोमीटर भीतर तक घुस चुकी थी। इसके बाद चीन ने दोनों सेनाओं के 20 किलोमीटर पीछे हटने और अक्साई चीन में यथास्थिति को बरक़रार रखने की पेशकश थी। उसका उद्देश्य पूरा हो चुका था। इसी बीच नवम्बर 14 को पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन भी आया। लेकिन, युद्ध फिर शुरू हो गया। इसके एक सप्ताह बाद चीन ने ही एकतरफा सीजफायर की घोषणा कर दी, लेकिन इसके साथ ही भारत की 43,000 वर्ग किलोमीटर भूमि चीनियों के कब्जे में जा चुकी थी। भारत के 3250 जवान वीरगति को प्राप्त हो चुके थे।

अब तवांग झड़प पर कांग्रेसियों के बयान

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि चीन के अतिक्रमण से भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को खुलेआम चुनौती दी जा रही है क्योंकि केंद्र सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा, "चीन जनवरी, 2020 में दिए गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस बयान की आड़ ले रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘किसी ने भी भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया है या हमारी किसी भी जमीन पर कब्जा नहीं किया है।’’ खड़गे ने कहा कि ‘‘हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को चीन के खुलेआम उल्लंघनों द्वारा प्रभावित किया जा रहा है, क्योंकि सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि चीन के दुस्साहस करने पर कांग्रेस सरकार को 'जागने' की कोशिश कर रही है, लेकिन वह 'अपनी राजनीतिक छवि चमकाने' के लिए चुप्पी साधे है। जयराम रमेश ने कहा कि सीमा पर चीन की हरकतें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। पिछले दो वर्षों से हम बार-बार सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार सिर्फ अपनी छवि को चमकाने के लिए इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि जब भी चीन बुरी नजर से हमारे देश की तरफ देखता है, प्रधानमंत्री या तो खुलकर या अपनी चुप्पी से चीन को क्लीन चिट दे देते हैं। कांग्रेस के ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया गया- अगर ये गलती ना की होती। चीन का नाम लेने से डरे न होते तो आज चीन की हैसियत नहीं थी कि हमारे देश की तरफ आंख उठाकर देखे। हमारी जमीन पर कब्जा करना, हमारी जमीन पर आकर हमारे सैनिकों से झड़प करना तो दूर की बात है। अब भी वक्त है।।। डरो मत।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि अपनी सेना के शौर्य के बल पर इतना तो दावे के साथ कह सकती हूं कि चीन को क्षति ज्यादा हुई होगी। पर इतनी बड़ी खबर भी सूत्रों के माध्यम से? सरकार कहां है? चीन बार-बार यह हिमाकत कर कैसे रहा है?

ओवैसी बोले- सरकार ने देश को अंधेरे में रखा

AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस घटना पर केंद्र सरकार पर देश को अंधेरे में रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर 13 दिसंबर को संसद में स्थगन प्रस्ताव लाएंगे। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'कमजोर राजनीतिक नेतृत्व' की वजह से चीन ने यह अपमान किया है।

शाह का आरोप, कांग्रेस ने चीनी दूतावास से लिया था पैसा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि चीन पर कांग्रेस का रवैया दोहरा है। मोदी सरकार के कार्यकाल में कोई एक इंच जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने 2006-07 में चीनी दूतावास से पैसा लिया था। शाह ने कहा कि 1962 में कांग्रेस के वक्त चीन ने भारत की जमीन हड़प ली थी।

"भारतीय सेना ने बहादुरी से चीनी सैनिकों को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी पोस्ट पर वापस जाने पर मजबूर कर दिया। मैं सदन को बताना चाहता हूं कि हमारे किसी भी सैनिक की मौत नहीं हुई और ना ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है।"

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

अब 1962 का दौर नहीं है: खांडू

अरुणाचल प्रदेश मुख्यमंत्री पेमा खांडू खांडू ने एक ट्वीट में कहा, "यांग्त्से मेरे विधानसभा क्षेत्र के तहत आता है और हर साल मैं क्षेत्र के जवानों और ग्रामीणों से मिलता हूं। अब 1962 के वक्त वाला दौर नहीं है। अगर कोई हमारे इलाके को अतिक्रमण करने की कोशिश करता है, तो हमारे बहादुर सैनिक करारा जवाब देंगे।''

इधर, सेना का यह है जवाब...

भारतीय थलसेना ने एक बयान में कहा, ‘पीएलए के सैनिकों के साथ तवांग सेक्टर में एलएसी पर नौ दिसंबर को झड़प हुई। हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों का दृढ़ता के साथ सामना किया। इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं।’ कहा कि, ‘दोनों पक्ष तत्काल क्षेत्र से पीछे हट गए। इसके बाद हमारे कमांडर ने स्थापित तंत्रों के अनुरूप शांति बहाल करने के लिए चीनी समकक्ष के साथ ‘फ्लैग मीटिंग’ की।”

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