चुनाव प्रणाली में सुधार के लिए बिल लेकर आया गया चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 जिसे सोमवार को लोकसभा में पास किया गया, और अब इसे राज्यसभा में रखा जाएगा लेकिन हर बार की तरह राजनीती में होता आया है कोई पार्टी अगर कोई बिल लेकर आती है तो विपक्ष पार्टी का सवाल उठाना लाजमी है और कुछ ऐसा ही हुआ, क्या बवाल हुआ इसकी बात बाद में करेंगे लेकिन पहले आपको बताते है इस बिल के बारे में...
ये बिल क्या है इसे समझें ?
इस बिल में महत्वपूर्ण प्रावधान वोटर आईडी और आधार कार्ड को लिंक करना है, चुनाव आयोग ने ही इसकी सिफारिश ये तर्क देकर की थी कि अगर आधार कार्ड को वोटर आईडी से लिंक करते है तो इससे चुनाव में फर्जी वोटिंग पर रोक लगेगी, और साथ ही वोटर आईडी के डुप्लीकेशन पर भी रोक लगेगी।
इसे सर्विस वोटर्स के लिए जेंडर न्यूट्रल बनाया गया है, इससे महिला कर्मचारियों के पति भी सेवा मतदाताओं की सूची में अपना नाम जोड़ सकेंगे, अब 'पत्नी' शब्द की जगह 'पति या पत्नी' लिखा जाएगा।
वही इस बिल में साल में 4 बार वोटर लिस्ट में नाम जोड़ सकते है अब तक साल में केवल एक बार नामांकन कर सकते थे, लेकिन अब आप 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को नामांकन करा सकेंगे ।
कानून बनते ही चुनाव आयोग को चुनाव प्रक्रिया में इस्तेमाल के लिए किसी भी संस्था या परिसर को अपने कब्जे में लेने का अधिकार मिल जाएगा, जैसे चुनाव आयोग वोटिंग, मतगणना या ईवीएम रखने या किसी अन्य काम के लिए अधिग्रहण कर सकता है।सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ- अधीर रंजन चौधरी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ- अधीर रंजन चौधरी
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह पुट्टुस्वामी बनाम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है हमारे पास डेटा संरक्षण कानून नहीं है और अतीत में डेटा के दुरुपयोग के मामले सामने आए हैं, ऐसे में इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए और इसे संसद की स्थायी समिति के पास विचार के लिए भेजा जाना चाहिए
विधेयक लाना सरकार की विधायी क्षमता से बाहर- मनीष तिवारी
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि इस तरह का विधेयक लाना सरकार की विधायी क्षमता से बाहर है, इसके अलावा आधार एक्ट में यह भी कहा गया है कि आधार को इस तरह से लिंक नहीं किया जा सकता है, उन्होंने कहा कि वह इसका विरोध करते हैं और इसे वापस लिया जाना चाहिए।
संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन- प्रेमचंद्रन
आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को जीवन, निजता आदि के अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है, पुट्टुस्वामी बनाम भारत सरकार में सर्वोच्च न्यायालय ने मौलिक अधिकारों पर जोर दिया, उन्होंने कहा कि इस मामले में मतदाता सूची को आधार से जोड़ना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
अधिकार का उल्लंघन- ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों और निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है, यह विधेयक गुप्त मतदान के प्रावधान के भी खिलाफ है, इसलिए हम इसके खिलाफ हैं
वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि इस बिल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन किया गया है और यह मौलिक अधिकारों के खिलाफ है, इसलिए हम इसका विरोध करते हैं।
वोटर लिस्ट में जोड़ना गलत- शशि थरूर
कांग्रेस नेता शशि थरूर बोले कि आधार को केवल निवास के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं, ऐसे में इसे वोटर लिस्ट में जोड़ना गलत है, हम इसका विरोध करते हैं।
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