EVM से हुए पहले चुनाव को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया रद्द, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी EVM पर अपनी स्पष्ट मुहर लगा दी, लेकिन क्या आपको पता है 40 साल पहले, जब पहली बार केरल के पारूर विधानसभा क्षेत्र में मतदान के लिए EVM का इस्तेमाल किया गया था।
EVM से हुए पहले चुनाव को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया रद्द, जानें पूरा मामला
EVM से हुए पहले चुनाव को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया रद्द, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी EVM पर अपनी स्पष्ट मुहर लगा दी, लेकिन क्या आपको पता है 40 साल पहले, जब पहली बार केरल के पारूर विधानसभा क्षेत्र में मतदान के लिए EVM का इस्तेमाल किया गया,

तो अदालत ने चुनाव को रद्द कर दिया और 85 मतदान केंद्रों में से 50 पर दुबारा मतदान कवर के आदेश जारी किये गए। अगस्त 1980 में, (ECIL) यानि इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने राजनीतिक दलों के सामने एक प्रोटोटाइप वोटिंग मशीन प्रस्तुत की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने पहला EVM चुनाव किया रद्द

इसके ठीक दो साल बाद, 1982 में, चुनाव आयोग (ECI) ने घोषणा की कि केरल में उस वर्ष के विधानसभा चुनावों के दौरान पारूर निर्वाचन क्षेत्र के 84 मतदान केंद्रों में से 50 में इस मशीन का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किया जाएगा।

केंद्र सरकार ने मशीनों के उपयोग को मंजूरी नहीं दी, लेकिन ईसीआई ने article 324 के तहत उन्हें दी गई शक्तियों का इस्तेमाल किय। ये आर्टिकल चनाव आयोग को अपने तरीके से निर्णय लेने का अधिकार देता है।

कांग्रेस परिणाम से नाखुश पहुंची कोर्ट

20 मई 1982 को घोषित परिणाम में (सीपीआई) कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने कांग्रेस को 123 वोटों से हराया। कम्युनिस्ट पार्टी को 30,450 वोट मिले, जिनमें से 19,182 EVM का उपयोग करके डाले गए।

कांग्रेस से अपनी हार देखी नहीं गई और उन्होनें परिणाम को ट्रायल कोर्ट में चुनौती दी लेकिन, कोर्ट ने EVM के माध्यम से मतदान की वैधता और चुनाव परिणाम को बरकरार रखा। इसके बाद कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट चली गई और वहां जाके अपील की।

उच्चतम न्यायालय में जस्टिस मुर्तजा, फजल अली, अप्पाजी वरदराजन और रंगनाथ मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।

सुप्रीम कोर्ट ने पहला EVM चुनाव किया रद्द

कांग्रेस कि इस अपील को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीलर करा और केरल के परूर जिले में हिये हुए उमीदवार के चुनाव रद्द कर दिए गए। 1984 में इस मामले से जुड़ी एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना संसद में कानून बने चुनावों में ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

इस वजह से 2 साल तक ईवीएम मशीनों को कोल्ड स्टोरेज में कैद रहना पड़ा। 1989 में आखिरकार संसद में जनप्रतिनिधित्व कानून आया और जांच के बाद ईवीएम के इस्तेमाल का प्रावधान जोड़ा गया।

एक जमाने बाद EVM की वापसी

इसके करीब एक दशक बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 16 विधानसभा सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल कर चुनाव हुए। साल 1999 में 46 लोकसभा सीटों पर भी ईवीएम के जरिये वोटिंग हुई।

2001 में, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल में राज्यों में चुनाव पूरी तरह से ईवीएम का इस्तेमाल करके आयोजित किए गए। 2004 के लोकसभा चुनाव तक, सभी 543 सीटों पर मतपत्रों की जगह ईवीएम ले चुकी थी और तब से अब तक EVM से चुनाव होते आ रहे हैं

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