Wrestlers Protest: पहलवानों के विरोध में फिर राजनीति! प्रियंका गांधी के आंगन में दिखे बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक

Wrestlers Protest: संजय सिंह का कुश्ती संघ अध्यक्ष चुने जाने पर साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने व बजरंग पूनिया ने पद्मश्री अवार्ड लौटाने का ऐलान किया है। इसी बीच उन्होंने प्रियंका गांधी से मुलाकात कर अपने विरोध पर खुद प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
Wrestlers Protest: पहलवानों के विरोध में फिर राजनीति! प्रियंका गांधी के आंगन में दिखे बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक
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Wrestlers Protest Again: बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह जब से कुश्ती संघ के अध्यक्ष चुने गए हैं तभी से कुछ नामी भारतीय पहलवान इसका विरोध कर रहे हैं। 22 दिसंबर 2023 कोसाक्षी मलिक ने कहा था कि वो अपनी कुश्ती छोड़ रही हैं, वहीं बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री का सम्मान वापस लौटाने का ऐलान किया है। बजरंग पूनिया ने अपने एक्स अकॉउंट पर लिखा, “मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूँ। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है।”

फिर साबित हुआ विरोध है राजनीति से प्रेरित

बता दें कि साल 2013 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कई साहित्यकारों ने भी अवार्ड वापस का अभियान चलाया था। कुछ समय बाद पता चला था वो पूरा अभियान राजनीति से प्रेरित था। आज जब पहलवान बजरंग पूनिया ने अपना अवार्ड लौटाया उस समय भी ऐसा नजारा देखने को मिला। कांग्रेस द्वारा किए गए ट्वीट में देखने को मिला कि बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक समेत कई पहलवानों से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मुलाकात की। इससे एक बार फिर साबित हो जाता है कि पहलवानों का विरोध राजनीति से प्रेरित है।

अपने पत्र में बजरंग पूनिया ने क्या लिखा?

पत्र में बजरंग पूनिया ने संजय सिंह के अध्यक्ष बनने का हवाला देते हुए लिखा है कि WFI के अध्यक्ष पद पर बृजभूषण शरण फिर काबिज हो गया है। उसने बयान दिया है कि दबदबा है और दबदबा रहेगा। महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपी सरेआम ऐसा दावा कर रहा था, इसी मानसिक दबाव में आकर ओलंपिक पदक विजेता एकमात्र महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से सन्यास ले लिया।

उन्होंने लिखा, “खेल हमारी महिला खिलाड़ियों के जीवन में जबरदस्त बदलाव लेकर आए थे। पहले देहात में यह कल्पना नहीं कर सकता था कि देहाती मैदानों में लड़के-लड़कियाँ एक साथ खेलते दिखेंगे। लेकिन पहली पीढ़ी की महिला खिलाड़ियों की हिम्मत के कारण ऐसा हो सका। हर गाँव में आपको लड़कियाँ खेलती दिख जाएँगी और वे खेलने के लिए देश विदेश तक जा रही हैं। लेकिन जिनका दबदबा कायम हुआ है या रहेगा, उनकी परछाई तक महिला खिलाड़ियों को डराती है और अब तो वे पूरी तरह दोबारा काबिज हो गए हैं। उनके गले में फूल-मालाओं वाली फोटो आप तक पहुँची होगी।”

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