टेरर फंडिंग केस में यासीन मलिक दोषी करार, 10 मई को पटियाला कोर्ट में कबूल किया था गुनाह

10 मई को पटियाला हाउस कोर्ट में अपना गुनाह स्वीकार किया था। कोर्ट में मलिक ने अदालत में कहा कि वह खुद पर लगे टेरर फंडिंग, आतंकी ग्रुप में शामिल होने, साजिश रचने और राजद्रोह के आरोप से इनकार नहीं करता है।
टेरर फंडिंग केस में यासीन मलिक दोषी करार, 10 मई को पटियाला कोर्ट में कबूल किया था गुनाह

कश्मीर में अशांति का माहौल बनाने के लिए टेरर फंडिंग करने के आरोपित अलगाववादी नेता यासीन मलिक को आज दोषी करार दे दिया गया। (Yasin Malik convicted in terror funding case) बता दें कि 10 मई को पटियाला हाउस कोर्ट में अपना गुनाह स्वीकार किया था। कोर्ट में मलिक ने अदालत में कहा कि वह खुद पर लगे टेरर फंडिंग, आतंकी ग्रुप में शामिल होने, साजिश रचने और राजद्रोह के आरोप से इनकार नहीं करता है।

यासीन के ​10 मई को दिए कन्फेशन के बाद विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यासीन मलिक की सजा पर बहस के लिए 19 मई तारीख तय की थी। गौरतलब है कि 10 मई को ही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले में अन्य सभी आरोपितों पर औपचारिक रूप से आरोप तय कर दिए थे।

1990 में चार वायु सेना अधिकारियों की हत्या में शामिल था यासीन मलिक

जनवरी, 1990 में यासीन मलिक (Yasin Malik) कश्मीर के रावलपोरा में एयरफोर्स के 4 अफसरों की हत्या में भी शामिल था। यासीन मलिक ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फोर्स के आतंकियों के साथ इंडियन एयरफोर्स के स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना समेत 4 अफसरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

इनके विरुद्ध आरोप तय करने का आदेश था

हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, शब्बीर शाह, मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अलताफ अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।

सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा के आरोप

NIA के अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनें ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया।

हवाला के जरिए होता था लेनदेन

NIA में सामने आया था कि हाफिद सईद ने हुर्रियत कान्फ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के माध्यम से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया था। इस धन का इस्तेमाल वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमले करने, स्कूलों को जलाने और पब्लिक प्रोपर्टी को नुकसान पहुंचाने का काम किया गया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज कर लिया था।

यासीन मलिक कौन है

यासीन मलिक (Yasin Malik) का जन्म 3 अप्रैल 1966 को मैसुमा, श्रीनगर में हुआ था। जांच में ये साफ हो गया है कि यासीन मलिक एक आतंकी है। वो जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का अध्यक्ष और अलगाववादी नेता है, जो पाकिस्तान के इशारे पर काम करता था। यासीन मलिक 90 के दशक में कश्मीर में हुए कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार और पलयान में शामिल था। यासीन मलिक पर कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन करने का भी आरोप है। इसके अलावा वो भारत में टेरर फंडिंग के मामले में भी दोषी है। इतना ही नहीं, यासीन मलिक पर मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण का भी आरोप लगा था।

यासीन मलिक को हो सकती है लंबी सजा

यासीन मलिक (Yasin Malik) के खिलाफ कई धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं। इनमें गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) की धारा 16 (टेररिस्ट एक्ट), धारा 17 (टेररिस्ट एक्ट के लिए फंडिंग करना), धारा 18 (टेररिस्ट एक्ट की साजिश रचना) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह का मेंबर होना) सहित आईपीसी की धारा 120-B (आपराधिक साजिश) और 124-A (राजद्रोह) भी शामिल है। इनके तहत यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा हो सकती है।

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