डेस्क न्यूज़- DRDO ने पूर्वी लद्दाख, सियाचिन और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात भारतीय सेना के लिए ‘हिम तपाक’ नामक नए अंतरिक्ष ताप उपकरणों को डेवलप किया हैं। दरअसल, डीआरडीओ ने ‘हिम तापक‘ नाम की एक खास डिवाइस बनाई है, जो जवानों को सुरक्षित रखेगी।
बता दें कि हिम तापक एक स्पेस हीटिंग डिवाइस है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि जवानों की मौत बैकब्लाॅस्ट और कार्बन मोनो ऑक्साइड के जहर के कारण न हो।

डिवाइस को बनाने का उद्देश्य
डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइंसेज के निदेशक डॉ. राजीव वार्ष्णेय ने कहा है कि
इन डिवाइस को बनाने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ठंड के दौरान जवानों की बैकब्लास्ट और कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता से मौत न हो।
इसके अलावा, डॉ. वार्ष्णेय ने बताया कि अंतरिक्ष ताप उपकरणों में तीन अन्य सुधार भी किए गए हैं, क्योंकि तेल की खपत लगभग आधी हो गई है।
इससे केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को प्रति वर्ष लगभग 3,650 करोड़ रुपये की कुल बचत होगी।
इसके अलावा उन्होने बताया कि DRDO ने अत्यंत ठंडे सीमा क्षेत्रों में जवानों को शीत दंश व बिवाई व ठंड के कारण होने वाली अन्य समस्याओं से बचाने के लिए ‘एलोकल क्रीम‘ भी तैयार किया है।
वह हर साल भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख, सियाचिन व अन्य क्षेत्रों के लिए इस क्रीम के 3 से 3.5 लाख जार के ऑर्डर देती है।
DRDO-developed ‘Alocal cream’ that helps in preventing frostbite, chilblains&other cold injuries to soldiers deployed in extremely cold areas. Every year, Indian Army orders 3 to 3.5 lakh jars of this cream for troops in Eastern Ladakh,Siachen&other areas:Dr Rajeev Varshney, DRDO pic.twitter.com/1qLPNUbeBd
— ANI (@ANI) January 10, 2021
नए अंतरिक्ष हीटिंग डिवाइस
अंतरिक्ष हीटर बिजली या एक जलने योग्य ईंधन,
जैसे प्राकृतिक गैस, प्रोपेन, ईंधन तेल, या लकड़ी के छर्रों द्वारा संचालित होते हैं।
और वह एक छोटे क्षेत्र को गर्म करते हैं
। यह नए अंतरिक्ष हीटिंग डिवाइस (SHED) दोनों विकिरणशील और साथ ही संवहन प्रकार के हीटिंग देते हैं
और मिट्टी के उपभोग और गर्मी उत्पन्न करने के मामले में कुशल हैं।
यह पूरी तरह से सुरक्षित है क्योंकि हवा के पिछले मसौदे से विस्फोट की कोई संभावना नहीं है।
डीआरडीओ ने बर्फीले सीमा क्षेत्रों में जवानों के पीने के पानी की समस्या दूर करने के लिए सोलर स्नो मेल्टर भी बनाया है।
यह उपकरण हर घंटे पांच से सात लीटर पीने का पानी उपलब्ध करा सकता है।
इससे शून्य से नीचे तापमान वाले इलाकों में तैनात जवानों को पीने के पानी की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
To address the issue of drinking water problems in freezing temperatures in Eastern Ladakh & other similar areas, we provided Solar Snow Melter for trials at Siachen, Khardungla & Tawang areas. Equipment can provide 5-7 ltr of drinking water every hr:Satish Chouhan,Scientist,DRDO pic.twitter.com/art7ENz3UL
— ANI (@ANI) January 10, 2021
420 करोड़ रुपये के ऑर्डर दे दिए हैं
डिफेंस इंस्टीट्यूट आफ फिजियोलाॅजी एंड अलाॅइड साइंसेस के डायरेक्टर डाॅ. राजीव वार्ष्णेय ने बताया कि
भारतीय सेना ने इस डिवाइस के मैन्यूफेक्चरर्स को 420 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया है।
इन्हें सेना व आईटीबीपी के उन सभी नए आवासों में लगाया जाएगा, जहां तापमान बहुत कम रहता है।