New Labour Law : मोदी सरकार को चौंकाने वाले फैसलों के लिए जाना जाता है।
एक बार फिर उन्होंने नौकरीपेशा वाले लोगों को चौंका दिया है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने सैलरी के नियमों में कुछ बड़े बदलाव किए हैं,
जिससे आपकी टेक होम सैलरी कम हो जाएगी।
अब तक देश में नौकरी करने वाले लोगों के लिए 29 श्रम कानून थे।
केंद्र सरकार इसमें बड़ा बदलव करके इनकी संख्या 29 से 4 कर दी हैं।
ये कानून हैं – व्यावसायिक सुरक्षा कानून, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति, औद्योगिक संबंध और सामाजिक सुरक्षा कानून।
वही यह नए कानून 1 अप्रैल से लागू होंगे। और 1 मई के वेतन पर उनका असर दिखना शुरू हो जाएगा।
ऐसे निर्धारित होता हैं वेतन
New Labour Law : कर्मचारी दो शब्दों से परिचित हैं, पहला सीटीसी यानी कॉस्ट टू कंपनी और दूसरा होम सैलरी,
जिसे इन-हैंड सैलरी के नाम से भी जाना जाता है।
1. सीटीसी : सीटीसी का मतलब है आपके काम के हिसाब से कंपनी का कुल खर्च,
यह आपकी कुल सैलरी है। इस वेतन में न केवल आपका मूल वेतन, बल्कि घर का भत्ता,
चिकित्सा भत्ता, यात्रा भत्ता, भोजन भत्ता और प्रोत्साहन शामिल हैं। इन सभी को मिलाकर आपका कुल वेतन निर्धारित होता है, जिसे CTC कहा जाता है।
2. टेक होम सैलरी: जब आपको वेतन मिलता है, तो यह आपके सीटीसी से कम होता है। इसका कारण यह हैं कि कंपनी आपके सीटीसी यानी कुल वेतन में से भविष्य निधि यानी पीएफ के रुप में कुछ पैसे काटती है। कुछ मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम में कटौती करती है और इसके अलावा, कुछ मदों में कटौती की जाती है। इन सबके बाद जो पैसा आपके हाथ में आता है वह है आपका इन-हैंड सैलरी हैं।
ऐसे कम होगी आपकी सैलरी
New Labour Law : जिसका मूल वेतन सीटीसी का 50% है, उसे बहुत फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन एक व्यक्ति जिसका मूल वेतन 50% नहीं है, सीटीसी बहुत अंतर लाएगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि इन नियमों के तहत, किसी का भी मूल वेतन सीटीसी के 50% से कम नहीं हो सकता है।
दरअसल, पीएफ का पैसा आपके मूल वेतन से काटा जाता है, जो मूल वेतन का 12% है। यानी जितना ज्यादा बेसिक सैलरी होगी, उतना ज्यादा पीएफ कटेगा। पहले लोग टोटल सीटीसी से बेसिक सैलरी घटाकर भत्ता बढ़ाते थे, जिससे टैक्स छूट भी मिलती थी और पीएफ भी कम होता था। इससे हाथ में आने वाले वेतन में वृद्धि हो जाती थी।
नोट- मेडिकल बीमा प्रीमियम और अन्य कटौती को 1 हजार माना गया है, जबकि यह कंपनी से कंपनी में भिन्न होता है। यह कंपनी की वेतन नीति और कर्मचारी वर्ग पर निर्भर करता है।