उत्तरी कश्मीर के सोपोर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के दो आतंकवादियों ने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया था। इसके उलट उन्होंने सुरक्षाबलों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सोपोर के वारपोरा इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में श्रीनगर पुलिस द्वारा दी गई विशेष सूचना पर कार्रवाई करते हुए, पुलिस, सेना के 22 आरआर और सीआरपीएफ द्वारा एक संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया गया था।
पुलिस ने कहा, "तलाशी अभियान के दौरान, आतंकवादियों को बार-बार आत्मसमर्पण करने का मौका दिया गया। हालांकि, उन्होंने आत्मसमर्पण करने के बजाय संयुक्त तलाशी दल पर अंधाधुंध गोलियां चलाई, जिसके जवाबी कार्रवाई में मुठभेड़ हुई।"
पीड़ितों की पहचान वारपोरा निवासी फैयाज अहमद वार उर्फ रुकाना उर्फ उमर और आतंकी संगठन के शीर्ष कमांडर शाहीन अहमद मीर उर्फ शाहीन मोलवी निवासी चेरपोरा, बडगाम के रूप में हुई है।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, दोनों विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में शामिल समूहों का हिस्सा थे और उनके खिलाफ कई आतंकी अपराध के मामले दर्ज किए गए थे।
पुलिस ने कहा, "फयाज अहमद वार का आतंकवादी अपराध के मामलों का एक लंबा इतिहास था, क्योंकि वह वर्ष 2008 से आतंकवाद से जुड़ा था। हालांकि उसने पहले हथियारों और गोला-बारूद के साथ आत्मसमर्पण किया था, फिर रिहाई के बाद उसने फिर से आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के लिए आतंकवादी सहयोगी के रूप में काम किया।"
उन्होंने कहा, "हालांकि अपनी रिहाई के बाद, मार्च -2020 में वह फिर से प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर में शामिल हो गया। इसके अलावा, कई आतंकी अपराध मामलों में शामिल समूहों का हिस्सा होने के नाते, वह सुरक्षा प्रतिष्ठानों और नागरिक हत्याओं पर आतंकी हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने में भूमिका निभाता था। वह उत्तरी कश्मीर में मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की सूची में शामिल था