Photo | Dainik Bhaskar
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दो राजस्थानियों ने 6 महीने पहले शुरु किया मिट्टी के बर्तन का बिजनेस, अब हर महीने हो रही 1 लाख की कमाई

जयपुर के अभिनव और मेघा ने कारीगरों की परेशानियों को कम करने के लिए एक स्टार्टअप की शुरुआत की है। 6 महीने पहले शुरू हुआ यह स्टार्टअप भारत के साथ ही विदेशों में भी छोटे कारीगरों के बनाए प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहा है।

डेस्क न्यूज़- मिट्टी के बर्तन बहुत खास होते हैं। इनका प्रयोग पर्यावरण और स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी होता है। आजकल इनकी डिमांड भी बढ़ गई है, लेकिन असली दिक्कत इनकी मार्केटिंग को लेकर है। ये न तो ग्राहकों को आसानी से उपलब्ध होते हैं और न ही इन्हें बनाने वाले कारीगरों को मार्केटिंग के लिए सही प्लेटफॉर्म मिलता है। कोरोना काल में इन कारीगरों की हालत और भी खराब हो गई है। कई कारीगरों को दो वक्त की रोटी के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में जयपुर के रहने वाले अभिनव और मेघा ने इन कारीगरों की परेशानी को कम करने के लिए एक स्टार्टअप शुरू किया है।

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ऐसे आया बिजनेस आइडिया

6 महीने पहले शुरू किया गया यह स्टार्टअप भारत के साथ-साथ विदेशों में भी छोटे कारीगरों द्वारा बनाए गए उत्पादों की मार्केटिंग कर रहा है। इससे उनका कारोबार भी हो रहा है और कारीगर भी कमाते हैं। फिलहाल अभिनव और मेघा हर महीने एक लाख रुपये से ज्यादा का कारोबार कर रहे हैं।

अभिनव और मेघा दोनों वर्तमान में ग्रेजुएशन के दूसरे वर्ष में पढ़ रहे हैं। दोनों की उम्र करीब 20 साल है। अभिनव का कहना है कि हमारे पास पहले ऐसा कोई बिजनेस प्लान नहीं था। हमें कॉलेज में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने का प्रोजेक्ट वर्क मिला है। तब ज्यादातर छात्र बाजार में उपलब्ध उत्पादों के आधार पर प्लेटफॉर्म विकसित कर रहे थे, लेकिन मैंने कुछ नया करने की सोची। जब से मैंने मिट्टी से बर्तन बनाने वाले कारीगरों की परेशानी बचपन से ही देखी है। इसलिए हमने फैसला किया कि हम उनके उत्पाद की मार्केटिंग के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित करेंगे।

2020 में शुरु किया प्रोजेक्ट का काम

साल 2020 में अभिनव और मेघा ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। उन्होंने सबसे पहले राजस्थान के स्थानीय कारीगरों से मिलना शुरू किया। उनके काम और उनकी समस्याओं को समझें। शोध के बाद उन्होंने अपने उत्पादों को अपने प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध करना शुरू किया। अभिनव कहते हैं कि कॉलेज में हमारे प्रोजेक्ट को सराहा गया था। हमारे रिश्तेदारों ने भी हमारे विचार का समर्थन किया। तब हमें एहसास हुआ कि इस प्रोजेक्ट के काम को स्टार्टअप में बदला जा सकता है।

50 हजार रुपये से शुरु कीया कारोबार

करीब एक साल तक रिसर्च और फील्ड वर्क करने के बाद साल 2021 में अभिनव और मेघा ने अपने परिवार से 50 हजार रुपये लिए और 'मिट्टी हब' नाम से अपना स्टार्टअप शुरू किया। उन्होंने अपने मंच के माध्यम से स्थानीय कारीगरों के उत्पादों को बेचना शुरू किया। इसके लिए उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिली और कुछ ही दिनों में उन्हें अटल इनक्यूबेशन सेंटर के लिए शॉर्टलिस्ट भी कर लिया गया।

अभिनव का कहना है कि सालों से कारीगर मिट्टी के बर्तन बनाते आ रहे हैं। उनके उत्पाद लुक और क्वालिटी दोनों स्तरों में बहुत खास हैं। इसलिए बड़े शहरों में भी इनकी काफी डिमांड है। जरूरत सिर्फ उन्हें सही प्लेटफॉर्म मुहैया कराने की है। जब लोगों की मांग बढ़ी तो अभिनव और मेघा ने अपने स्टार्टअप का दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया। उन्होंने एक के बाद एक कई कारीगरों से संपर्क किया। उन्हें अपने साथ जोड़ा।

कैसे करते हैं प्रोडक्ट की Marketing?

अभिनव का कहना है कि हमने केवल मिट्टी के बर्तनों को निशाना बनाया है, क्योंकि ज्यादातर लोगों की खासकर बड़े शहरों में इनकी अच्छी मांग है। वर्तमान में हम किचन सेट, बर्तन, टेबलवेयर, प्लांटर्स और होम डेकोर उत्पादों का विपणन कर रहे हैं। इसके लिए हमने सोशल मीडिया पर भी फोकस किया है। जल्द ही हम रिटेलरशिप बाजार में भी प्रवेश करेंगे। अभी हम देश भर में अपनी वेबसाइट के माध्यम से मार्केटिंग कर रहे हैं। हमने कुछ कूरियर कंपनियों के साथ भी करार किया है। हमने कुछ उत्पाद विदेश भी भेजे हैं।

बिजनेस मॉडल क्या है?

वर्तमान में अभिनव के साथ राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्यों के 200 से अधिक कारीगर जुड़े हुए हैं। ये सभी कारीगर मिट्टी के बर्तन बनाते हैं। अभिनव इन कारीगरों से अपने ग्राहकों की मांग के अनुसार उत्पाद बनाता है और फिर अपने प्लेटफॉर्म के माध्यम से उनकी मार्केटिंग करता है। इससे इन कारीगरों को अच्छी आमदनी होती है। अभिनव की टीम में ज्यादातर छात्र हैं। उन्हें अलग-अलग समूहों में बांटा गया है। कुछ कारीगरों से उत्पाद एकत्र करते हैं और कुछ इसे वेबसाइट पर सूचीबद्ध करते हैं। इसके बाद ऑर्डर मिलने पर इसकी पैकेजिंग और डिलीवरी की जाती है।

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