बिहार के विकास ने बनाई पानी से चलने वाली ऐसी मशीन, जिसमें 7 दिन ताजी रहेंगी सब्जियां, करोडों में है टर्नओवर

बिहार के विकास झा ने एक पहल की है। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक वेजिटेबल कूलर डिजाइन किया है जो बिना बिजली और ईंधन के सप्ताह में सात दिन हरी सब्जियों और फलों को सुरक्षित रख सकता है। इससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है। विकास पिछले दो साल से देशभर में इसकी मार्केटिंग कर रहे हैं। फिलहाल उनकी कंपनी का टर्नओवर 2 करोड़ रुपए है।
Photo | Dainik Bhaskar
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डेस्क न्यूज़- किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनी उपज को सुरक्षित रखना है। खासकर हरी सब्जियां और फल। ये बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं। अधिकांश किसानों के पास अपनी उपज को सुरक्षित रखने के लिए जगह नहीं है। इस वजह से उन्हें अपने उत्पाद औने-पौने दाम पर बेचने पड़ रहे हैं। इसी समस्या को दूर करने के लिए बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले विकास झा ने एक पहल की है। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक वेजिटेबल कूलर डिजाइन किया है जो बिना बिजली और ईंधन के सप्ताह में सात दिन हरी सब्जियों और फलों को सुरक्षित रख सकता है। इससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है। विकास पिछले दो साल से देशभर में इसकी मार्केटिंग कर रहे हैं। फिलहाल उनकी कंपनी का टर्नओवर 2 करोड़ रुपए है। सब्जी कूलर ।

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पहले से किसानों के लिए कुछ करने का जूनून था

विकास झा एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। इसके बाद उन्होंने एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर 2016 में आईआईटी मुंबई से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। विकास बताता है कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। कुछ जमीन थी जिस पर पिता खेती करते थे, लेकिन इससे परिवार का खर्च नहीं चलता था। मेरी पढ़ाई के लिए भाई को 12वीं के बाद ही नौकरी के लिए बाहर जाना पड़ा। तभी से मैंने तय कर लिया था कि भविष्य में मैं किसानों के लिए कुछ ऐसा करूंगा जिससे उनका जीवन बेहतर हो सके। इसलिए मैंने इंजीनियरिंग के लिए एग्रीकल्चर सब्जेक्ट चुना।

खेती में लागत ज्यादा मुनाफा कम

विकास का कहना है कि आईआईटी में पढ़ाई के दौरान मैंने कृषि से जुड़े इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स पर काम करना शुरू किया। मेरे प्रोफेसर सतीश अग्निहोत्री मेरा मार्गदर्शन करते थे, उन्हें टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काफी अनुभव था। हम अलग-अलग राज्यों में जाकर किसानों से मिलते थे। उन्होंने उनकी समस्याओं को समझा। इस दौरान हमें एक बात समझ में आई कि किसानों को खेती के लिए अधिक लागत मिल रही है जबकि मुनाफा कम हो रहा है। उनका अधिकांश पैसा सिंचाई और उर्वरकों पर खर्च किया जा रहा है।

इस समस्या को दूर करने के लिए हमने 2016 में एक ट्रेडल पंप विकसित किया। यह पंप बिना बिजली और ईंधन के चलता है। इसे पैरों के सहारे चलाकर किसान अपनी फसल की सिंचाई के लिए तालाब या कुएं से पानी की व्यवस्था कर सकता है। इसके लिए हमें आईआईटी से फंड मिला है।

किसानों के लिए विकसीत की पीक प्रोटेक्टर मशीन

इस मशीन को तैयार कर किसानों में बांटने के बाद हमारे सामने एक नई समस्या आई। जब हमने गांवों का दौरा किया, तो हमें पता चला कि किसानों के लिए सिंचाई की गई है, लेकिन उनके उत्पादों को जंगली जानवरों द्वारा नष्ट किया जा रहा है। इससे उन्हें काफी नुकसान हो रहा है। इस समस्या को दूर करने के लिए, हमने योजना बनाना शुरू किया और जल्द ही एक पीक प्रोटेक्टर मशीन विकसित की। यह सोलर की मदद से चलता है और तरह-तरह की आवाजें निकालता है, जिससे जानवर खेत में नहीं आते। इस मशीन के लिए किसानों से हमें काफी अच्छा रिस्पोंस भी मिला। हमारे उत्पाद कई राज्यों में बेचे जाते हैं।

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कम दाम में उत्पाद बेचना पड़ता हैं उत्पाद

विकास बताते हैं कि हमने किसानों के लिए ट्रेडल पंप और पीक प्रोटेक्टर की व्यवस्था की है, उनका उत्पादन भी बढ़ा, लेकिन उनकी आमदनी उतनी नहीं बढ़ी, जितनी हम सोच रहे थे। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह था कि बाजार में सही दर न होने के कारण उन्हें अपना उत्पाद कम कीमत पर बेचना पड़ा। यह किसानों के लिए एक बड़ी समस्या थी। खासकर उन किसानों के लिए जो फलों और सब्जियों की खेती करते थे। भण्डारण की सुविधा न होने के कारण इनके उत्पाद शीघ्र ही खराब हो रहे थे। इसलिए किसान अपने उत्पादों को बाजार से घर वापस लाने के बजाय कम दामों पर बेचते थे।

स्टोरेज की समस्या का समाधान

इस समस्या को दूर करने के लिए हमने काफी रिसर्च और स्टडी की। तब हमारे पास एक अच्छा बजट था। हमें IIT मुंबई से भी 7 लाख रुपये का फंड मिला है। इसके बाद हमने साल 2019 में एक सब्जी कूलर मशीन तैयार की। यह मशीन बिना बिजली और ईंधन के काम करती है और सब्जियों को 6 से 7 दिन और फलों को करीब 10 दिनों तक सुरक्षित रखती है। इसे चलाने के लिए 24 घंटे में सिर्फ 20 लीटर पानी की जरूरत होती है। इसमें एक बार में 100 किलो उत्पाद रखा जा सकता है। इसकी कीमत करीब 50 हजार रुपये है।

साल 2019 में लॉन्च किया स्टार्टअप

विकास का कहना है कि इस उत्पाद को तैयार करने के बाद किसान बहुत खुश थे। हम जहां भी गए, हमारे उत्पादों की काफी मांग थी। इसके बाद हमने 2019 में RuKart नाम से अपना स्टार्टअप शुरू किया। उसके बाद हमने इसकी मार्केटिंग पर फोकस किया। हमने अलग-अलग राज्यों में जाकर किसानों को अपने उत्पाद की जानकारी दी और उन्हें इसका महत्व बताया। धीरे-धीरे हमारा उत्पाद किसानों के बीच लोकप्रिय हो गया और इसकी मांग बढ़ गई।

देशभर में कर रहे मार्केंटिंग

फिर हमने अलग-अलग राज्यों में अपने डीलर्स रखना शुरू कर दिया। जो हमारे उत्पादों को किसानों तक ले जाते हैं। इसके साथ ही ऑनलाइन स्तर पर हम अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया के माध्यम से मार्केटिंग करते हैं। इसके लिए हमने कई कुरियर कंपनियों के साथ करार किया है। जो 10-15 दिनों के भीतर देश में कहीं भी किसानों को मशीन पहुंचाते हैं। अब तक हम 300 से अधिक सब्जी सी . स्थापित कर चुके हैं। फिलहाल विकास के साथ कोर टीम में 35 से 40 लोग काम करते हैं। जबकि 300 से ज्यादा लोग उनकी कंपनी के जरिए रोजगार से जुड़े हैं। इसमें 100 से ज्यादा महिलाएं भी शामिल हैं।

कैसे काम करती है यह मशीन

विकास की कोर टीम में काम कर रहे ऋषभ कहते हैं कि फिलहाल हमारे पास दो तरह की मशीनें हैं. पहली मशीन सीमेंटेड मॉडल पर आधारित है जबकि दूसरी मशीन प्लग एंड प्ले मॉडल पर बनी है। सीमेंटेड मॉडल को स्थापित करने के लिए, हम ऐसी जगह चुनते हैं जो अच्छी तरह हवादार हो और जहां धूप न हो। इसके लिए हम चौकोर आकार में सीमेंट की दीवार तैयार करते हैं। जिसके अंदर इंसुलेटर मटेरियल और नाइट्रोजन बॉल लगाई जाती है। इसके अंदर पानी के लिए चारों तरफ जगह बनाई गई है। जबकि दूसरी मशीन के लिए सीमेंट की दीवार की आवश्यकता नहीं है, यह पहले से ही पूरी तरह से तैयार है। इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।

काम करने की प्रक्रिया के बारे में उनका कहना है कि सबसे पहले सब्जियों को डिब्बे के अंदर रखा जाता है। उसके बाद उसमें पानी भर दिया जाता है। यह कूलर वाष्पीकरण तकनीक पर काम करता है। यह बाहर की गर्मी को अंदर आने से रोकता है और सब्जी की गर्मी को अंदर बाहर तक पहुंचाता है। जिससे सब्जी का आवश्यक तापमान बना रहता है। इस प्रक्रिया में प्रतिदिन 20 लीटर पानी की खपत होती है।

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