दिल्ली विश्वविद्यालय की ऑनलाइन कक्षाएं बंद हों: डूटा

शिक्षक संगठनों के मुताबिक, दिल्ली विश्वविद्यालय के लगभग 500 शिक्षक कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय की ऑनलाइन कक्षाएं बंद हों: डूटा

दिल्ली विश्वविद्यालय को बंद किए जाने के बावजूद छात्रों

के लिए ऑनलाइन कक्षाएं अभी भी जारी हैं।

हालांकि अब दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) ने तुरंत प्रभाव से

सभी ऑनलाइन कक्षाएं बंद करने का आग्रह किया है।

डूटा ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि सभी ऑनलाइन कक्षा बंद किए

जाने के साथ ही ऑनलाइन आयोजित किए जाने वाले ओपन बुक एग्जाम भी कोरोना

की मौजूदा स्थिति को देखते हुए रद्द कर दिए जाएं।

दिल्ली विश्वविद्यालय व संबंधित कॉलेजों के में सैकड़ों शिक्षक कोरोना संक्रमित हो गए हैं।

शिक्षक संगठनों के मुताबिक, दिल्ली विश्वविद्यालय

के लगभग 500 शिक्षक कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं।

डूटा ने मांग की है कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती, तब तक के लिए ऑनलाइन कक्षाएं और ऑनलाइन परीक्षाएं रद्द की जानी चाहिए

डूटा के अध्यक्ष राजीब रे कहा कि सैकड़ों शिक्षक कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। कई शिक्षकों के परिजन इस महामारी से जूझ रहे हैं। दूसरी ओर बड़ी तादाद में छात्र एवं उनके परिवार के सदस्य कोरोना पॉजिटिव हुए हैं।

ऑनलाइन परीक्षाएं रद्द की जानी चाहिए।

ऐसी स्थिति में छात्र और शिक्षक दोनों ही ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने के लिए मानसिक रूप से सक्षम नहीं हैं। डूटा ने मांग की है कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती, तब तक के लिए ऑनलाइन कक्षाएं और ऑनलाइन परीक्षाएं रद्द की जानी चाहिए।

दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन ने कहा कि दिल्ली में कोरोना अपने पैर पसार रहा है और दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों को आसपास कहीं भी अस्पताल की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो रही हैं।

टीचर्स एशोसिएशन ने इन शिक्षकों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस की भी मांग की है

वहीं, डीयू में पढ़ाने वाले तदर्थ शिक्षकों को मेडिकल सुविधा के नाम पर डीयू कोई राशि नहीं मिलती। यह देखते हुए दिल्ली टीचर्स एशोसिएशन ने इन शिक्षकों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस की भी मांग की है।

वहीं डूटा के अध्यक्ष राजीब रे कहा, डीयू के सैकड़ों शिक्षक कोरोना पॉजिटिव हैं। कई शिक्षकों की मृत्यु भी कोरोना के कारण हो गई है। कोरोना के कारण जान गवाने वाले वाले शिक्षकों के परिजनों को 2.5 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी जानी चाहिए। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को केंद्र सरकार से मदद मांगे। केवल स्थायी ही नहीं, तदर्थ शिक्षक भी इसके शिकार हो रहे हैं। कई तदर्थ शिक्षक कोरोना से संक्रमित हैं।

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