सुप्रीम कोर्ट ने फिजिकल क्लास शुरू करने को लेकर दिल्ली के एक छात्र की अर्जी पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि वह छात्रों को स्कूल भेजने का आदेश जारी नहीं कर सकते। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम न्यायिक फरमान जारी नहीं कर सकते कि बच्चों को स्कूल भेजा जाए। दरअसल, कोरोना की थमती रफ्तार के बीच देशभर में स्कूल खोलने की मांग हो रही है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। जिसमें सर्वोच्च कोर्ट ने साफ किया कि वह इस संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश नहीं दे सकते।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि ये ऐसे मुद्दे हैं, जिसको लेकर अदालत को निर्देश जारी करना चाहिए। यह काम राज्यों का है, हमें इसमें दखल नहीं देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह शारीरिक शिक्षण के लिए स्कूलों को फिर से खोलने के लिए राज्यों को निर्देश नहीं दे सकता है। कोर्ट ने कहा कि हम नहीं जानते कि कोरोना का खतरा कहां अधिक है या किन जिलों में संक्रमित लोगों की संख्या अधिक है।
बेशक बच्चों को वापस स्कूल जाने की आवश्यकता है, लेकिन यह राज्यों द्वारा तय किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता छात्र दिल्ली का निवासी है। वहां, इस संबंध में सरकार से संवाद स्थापित किया जा सकता है।॒न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने शुरुआत में कहा कि अपने मुवक्किल को स्कूल में पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने और खुद को संवैधानिक उपायों की तलाश में शामिल न करने के लिए कहें। देखें कि यह याचिका कितनी गलत है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह एक प्रचार नौटंकी है, इसलिए बच्चों को इस सब में खुद को शामिल नहीं करना चाहिए