दो दोस्तों ने घर के एक कमरे से शुरु किया था ऑनलाइन क्लासेज का स्टार्टअप, अब हर साल कर रहे 1.2 करोड़ रुपये कारोबार

मध्य प्रदेश के सनत श्रीवास्तव और असावरी सावरीकर ने 3 साल पहले एक ऑनलाइन शिक्षण मंच शुरू किया था। जिसके माध्यम से वे देश भर के छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करते हैं। इनके साथ 10 लोगों की टीम जुड़ी हुई है। यूट्यूब और सोशल मीडिया पर उनके लाखों सब्सक्राइबर हैं। महज 25 हजार रुपये से शुरू हुआ यह स्टार्टअप आज हर साल 1.2 करोड़ से ज्यादा रेवेन्यू कमा रहे है।
Photo | Dainik Bhaskar
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डेस्क न्यूज़- मध्य प्रदेश के सनत श्रीवास्तव और असावरी सावरीकर ने 3 साल पहले एक ऑनलाइन शिक्षण मंच शुरू किया था। जिसके माध्यम से वे देश भर के छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करते हैं। इनके साथ 10 लोगों की टीम जुड़ी हुई है। यूट्यूब और सोशल मीडिया पर उनके लाखों सब्सक्राइबर हैं। महज 25 हजार रुपये से शुरू हुआ यह स्टार्टअप आज हर साल 1.2 करोड़ से ज्यादा रेवेन्यू कमा रहे है।

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घर के एक कमरे से की शुरुआत

असावरी कहती हैं, "जब हमने परीक्षा की तैयारी शुरू की तो पता चला कि हाइपर इकोनॉमिक्स, माइक्रो इकोनॉमिक्स और इंडियन इकोनॉमिक्स के अलावा इकोनॉमिक्स कई चीजों में जरूरी है। जैसे- पब्लिक इकोनॉमिक्स, इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स, एनवायर्नमेंटल इकोनॉमिक्स। इन क्षेत्रों के बारे में किसी को कोई जानकारी है। हमने देश-विदेश के प्रोफेसरों के वीडियो देखना शुरू किया। इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के सम्मेलन में भाग लिया। हालांकि, इसके बाद भी उचित मार्गदर्शन नहीं मिला।

जटिल विषयो को आसान बनाया

तब एक ही रास्ता समझ में आया कि विषयों को स्वयं पढ़कर उन्हें समझा जाए। मैंने फैकल्टी को बोलते हुए सुना था कि अगर आप विषय को अच्छी तरह समझना चाहते हैं तो किसी को आसान भाषा में समझाएं। हमने यही किया और घर के एक कमरे से वीडियो बनाने लगे। तब तक नेट का रिजल्ट भी आउट हो चुका था। सनत ने पहले प्रयास में और असावरी ने दूसरे प्रयास में परीक्षा पास की। इसके बाद दोनों भोपाल के एक कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर पढ़ाने लगे। इसके साथ ही वह पहले की तरह वीडियो बनाते रहे।

असावरी कहती हैं, "जब मैं कॉलेज में पढ़ाने गई थी, तो जटिल विषयों को समझाना मुश्किल था। इस पर काबू पाने के लिए हमने कुछ वीडियो तैयार किए। हमने ये वीडियो अपनी शंकाओं को दूर करने के लिए बनाए, लेकिन छात्रों को भी इनसे बहुत कुछ मिला है। कई लोगों ने हमारी तारीफ की। तब हमें एहसास हुआ कि हमें इस काम को आगे बढ़ाना चाहिए। लोगों को ऐसे वीडियो चाहिए।

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कैमरा उधार लेकर शुरू किया काम

साल 2017 में दोनों ने मिलकर यूट्यूब पर 'इकोहोलिक्स' नाम का चैनल बनाया। इसके बाद सनत ने वीडियो अपलोड करना शुरू कर दिया। बिना किसी संसाधन की मदद के बनाए गए इन वीडियो को खूब व्यूज मिल रहे थे। फिर सनत ने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से इकोहोलिक्स पर काम करना शुरू कर दिया, जबकि असावरी ने अपनी नौकरी करते हुए वीडियो बनाना जारी रखा। सनत बताते हैं, "किसी भी नए काम के शुरुआती दौर में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

इस दौर को याद करते हुए 27 साल की सनत कहती हैं, 'हमने घर के एक कमरे से वीडियो शूट करना शुरू किया। कैमरा भी एक दोस्त से उधार लिया गया था जिसने लगभग 800 वीडियो बनाए थे। एडिटिंग से लेकर अपनी खुद की वेबसाइट बनाना सीखें। खुद मार्केटिंग करना सीखें। हमारे पास अचानक से लिए गए इस फैसले से पैसे भी नहीं थे और परिवार भी नाराज था।' 29 साल की असावरी कहती हैं, 'हमारे पास एक तरफ खाई थी और दूसरी तरफ कुआं था, इसलिए हमने तुरंत इस रास्ते पर चलने का फैसला किया। 2019 में, मैंने अपनी नौकरी भी छोड़ दी और पूरे समय अपने YouTube चैनल के लिए काम करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे हमारा काम बढ़ता गया और दूसरे शिक्षक भी हमारे साथ हो गए। फिलहाल हमारे साथ 10 लोगों की टीम है।

फ्री ऑफ कॉस्ट और सब्सक्रिप्शन मॉडल पर कर रहे काम

अभी दोनों अपने-अपने ऐप और यूट्यूब के जरिए छात्रों को पढ़ा रहे हैं। उनके यूट्यूब चैनल पर करीब एक लाख सब्सक्राइबर हैं। कोई भी इस चैनल पर व्याख्यान तक पहुंच सकता है। इकोहोलिक्स एडटेक नाम से पंजीकृत कंपनी के अब ऐप पर दो मॉडल हैं। पहला- फ्री ऑफ कॉस्ट मॉडल और दूसरा- सब्सक्रिप्शन मॉडल। जैसा कि नाम से पता चलता है, फ्री मॉडल से कोई भी वीडियो एक्सेस कर सकता है, जबकि सब्सक्रिप्शन मॉडल में अलग-अलग कोर्स के हिसाब से फीस देनी होती है।

असावरी कहती हैं, हमारे पास यूपीएससी और यूजीसी नेट के लिए भारतीय आर्थिक सेवा, अर्थशास्त्र वैकल्पिक की तैयारी करने वाले छात्रों की सबसे बड़ी संख्या है। अब तक 2000 लोग सब्सक्राइब कर चुके हैं। हाल के दिनों में यहां पढ़ने वाले कई छात्र अलग-अलग परीक्षाओं में चयनित भी हुए हैं। पिछले कुछ सालों में ऑनलाइन टीचिंग की डिमांड बढ़ी है। खासकर कोरोना के बाद ज्यादातर छात्र ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट हो गए हैं। यही वजह है कि इस सेक्टर में कई नए स्टार्टअप सामने आए हैं।

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