हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की घेराबंदी के लिए अमरीका ने आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ मिलकर एक नया गठबंधन बनाया है, जिसका नाम है 'ऑकस'। अमरीका ने इस त्रिपक्षीय गठबंधन ऑकस (एयूकेयूएस) में भारत या जापान को शामिल किए जाने की संभावना को खारिज कर दिया है। अमरीका ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि वह इस नए गठबंधन में भारत को शामिल नहीं करेगा।
मगर यहां सवाल उठता है कि चीन विरोधी गठबंधन ऑकस में क्या भारत को शामिल किए बिना ही अमरीका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ड्रैगन की दादागिरी को अमरीका कम कर पाएगा।
दरअल, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले हफ्ते ऑकस की घोषणा केवल सांकेतिक नहीं थी और मुझे लगता है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों को यही संदेश दिया है कि हिंद-प्रशांत की सुरक्षा के लिए बनाए गठबंधन में किसी अन्य देश को शामिल नहीं किया जाएगा। साकी से सवाल किया गया था कि क्या भारत या जापान को इस गठबंधन में शामिल किया जाएगा, जिसके जवाब में उन्होंने उक्त जवाब दिया।
अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के इस गुट में भारत का शामिल न होना फिलहाल झटका होगा या नहीं, यह कहना मुश्किल है। मगर जिस तरह से पनडुब्बी डील को लेकर अमरीका और फ्रांस के बीच तनातनी है, ऐसे में माना जा सकता है कि अमरीका उस क्वाड को तवज्जो देना कम कर सकता है, जो चीन के वर्चस्व को कम करने के लिए बना है। क्वाड में भारत और फ्रांस शामिल हैं। अगर अमरीका ऑकस को ज्यादा तरजीह देना शुरू करता है तो ऐसे में क्वाड का मिशन डगमगा सकता है। हालांकि, क्वाड को लेकर भारत की ओर से कहा गया है कि ऑकस के गठन से इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा