सार्वजनिक क्षेत्र के तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने कहा कि यह लद्दाख में देश की पहली भू-तापीय क्षेत्र विकास परियोजना (जियोथर्मल फील्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट)को क्रियान्वित करेगी । इसमें पृथ्वी-गर्भ की गर्मी का उपयोग स्वच्छ ऊर्जा पैदा करने के लिए किया जाएगा। ओएनजीसी ने तीन चरणों में इसके विकास की योजना बनाई है।
यह खासियत होगी ओएनजीसी संयंत्र की
ओएनजीसी के बयान के अनुसार, भू-तापीय संसाधनों का विकास लद्दाख में कृषि में क्रांति ला सकता है। वर्तमान में, इस क्षेत्र में बाहर से ताजी सब्जियों और फलों की आपूर्ति की जाती है। प्रत्यक्ष ऊष्मा ऊर्जा
अनुप्रयोग इसे लद्दाख के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक बनाते हैं। इसे औपचारिक रूप देने के लिए, ओएनजीसी एनर्जी सेंटर (OEC) ने
6 फरवरी को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद, लेह के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
ओएनजीसी की इस परियोजना से भारत थर्मल पावर के मामले में वैश्विक मानचित्र पर आ जायेगा
भूतापीय ऊर्जा स्वच्छ और 24 घंटे, 365 दिन उपलब्ध है। भूतापीय विद्युत संयंत्रों की औसत उपलब्धता 90
प्रतिशत और उससे अधिक है। जबकि कोयला आधारित संयंत्रों के मामले में यह लगभग 75 प्रतिशत है। कंपनी की
योजना इसे तीन चरणों में विकसित करने की है। पहले चरण में 500 मीटर की गहराई तक कुओं की खुदाई की जाएगी।
यह खोज-सह-उत्पादन अभियान होगा।
भूतापीय संयंत्र का वाणिज्यिक विकास तीसरे चरण में किया जाएगा
पायलट आधार पर 1 मेगावाट तक की क्षमता वाले प्लांट स्थापित किए जाएंगे। दूसरे चरण में, भू-तापीय क्षेत्र के लिए
अधिक गहराई से खोज की जाएगी। इसके तहत, अधिकतम संख्या में कुओं की खुदाई की जाएगी
और उच्च क्षमता वाले संयंत्र स्थापित किए जाएंगे और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
भूतापीय संयंत्र का वाणिज्यिक विकास तीसरे चरण में किया जाएगा।
लद्दाख में परियोजना को लागू करेगी कंपनी,ओएनजीसी पृथ्वी के अंदर उपलब्ध गर्मी का उपयोग करके
स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करेगी। इस समय पूर्वी लद्दाख में पुगा और चुमाथांग भारत में सबसे अधिक आशाजनक भूतापीय क्षेत्र हैं।